उत्तर – महेश्वर किसी पहाड़ी कसबे में एक सरकारी डिस्पेंसरी में डॉकटर है रोज डिस्पेंसरी जाना मरोजो को देखना , गैग्रिन का अपरेशन करना थका – मदा घर लौटना यही महेश्वर की दिनचर्या है महेश्वर हर तीसरे – चौथे दिन एक गैग्रिन का अपरेशन करता है किन्तु वे अपने घर में ही वाही गैग्रिन वह एक रास्ता मुंह फैलाए उपस्थित है जिसका हम कुछ नहीं बिगाड़ पाते महेश्वर के घर में गैग्रिन से बड़ी भी उदासी है परन्तु उसका इलाज वह नहीं कर पाता है |
प्रश्न 2.गैग्रिन क्या है ?
उत्तर – पहाडियों पर रहने वाले व्यक्तियों को कांटा चुबना आम बात है , परन्तु काँटा चुभन के बाद बहुत दिनों तक छोड़ देने के बाद व्यक्ति का पाँव का जख्म का दर्द बहुत बढ़ जाता है, जिसका इलाज मात्र पाँव काटना ही है काँटा चुभने पर जख्म ही गैग्रिन है |
प्रश्न 3.मालती और लेखक के संबंध का परिचय पाठ के आधर पर दे ?
उत्तर – लेखक मालती के दूर के रिश्ते का भाई है, किन्तु लेखक का संबंध भाई – बहन का ही रहा है, लेखक और मालती बचपन में एक साथ इकठ्टे खेले थे, लादे भी थे साथ में पिटा-पिटी भी किए थे, लेखक की पढाई भी मालती के साथ ही हुई थी, दोनों का प्रेम कभी भाई तथा कभी साथी का रहा है |
प्रश्न 4.रोज कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखे अथवा रोज का कथानक प्रस्तुत करे ?
उत्तर – कहानी के पहले भाग में मालती द्वारा अपने भाई के अप्चारिक स्वागत का उल्लेख है, जिससे कोई उत्साह नहीं है, घर पर अतिथि के आने पर कुशल समाचार तक नहीं पूछती है, प्रश्नों को संक्षिप्त में उत्तर देती है, बचपन में बातूनी करने वाली लड़की शादी के दो वर्षो बाद इतनी चुप रहती है, की लगता है उसके ऊपर काली साया मंडरा रही है, मालती अन्दर से काफी दुखी रहती है, जिससे स्पष्ट होता है, उसका जीवन काफी निरश हो रहा है, मालती का बच्चा तिरी बराबर रोता है, परन्तु मालती उसे सही तरह से पालन नहीं कर पाती है, बच्चा चिडचिडा हो जाता है, मालती दिनभर काम करती है, पति खाने के बाद दोपहर 3 बजे और रात में 10 बजे के बाद ही भोजन करती है, बच्चे का रोज रोना मालती को देर से भोजन करना पति को सुबेरे डिस्पेंसरी जाकर दोपहर को लौटना और शाम को फिर डिस्पेंसरी में रोगियों को देखना यह सब कुछ मालती के जीवन में रोज एक ही जैसा है, इस लिए कवि इस कहानी का शीर्षक रोज रखा है, मालती के जीवन निराशापूर्ण बीत रहा है| घर में अकेलेपन महसूस हो रहा है, लेखक इनकी दुर्दशा को देखकर यह कहता है, की बचपन में चहक – पहक वाली लड़की आज कैसे शांत और उषाउपन जीवन जी रही है, मालती के जीवन में निराशा ही निराशा है
प्रश्न 5.मालती के घर का वातावरण कैसा था अर्थात मालती के चरित्र का मनोवैज्ञानिक उदघटना प्रस्तुत करे| अथवा रोज कहानी में मालती को देखकर लेखक नए क्या कहाँ ? उत्तर – कहानी के प्रथम भाग में ही मालती के उदासिपन जीवन की झलक मिल रही है, जब वह अतिथि का स्वागत केवल अप्चारिक ढंग से करती है, जबकि अतिथि उसके रिश्ते का भाई है, ज्सिके साथ वह बचपन नए खूब खेलती थी, पर वर्षो के बाद आए भाई का स्वागत उत्साह पूर्वक नहीं कर पाती, बल्कि जीवन की अन्य अपचारिक्ताओ की तरह एक और अपचारिकता निभा देती है , ;लेखक देखते है की मालती अतिथि से कुछ नहीं पूछती, बल्कि उसके प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर ही देती है, मालती के घर में काफी उदासी है, उसे अकेलापन हमेशा महसूस होता है, मालती के पति के घर से चले जाने के बाद सुबह रात से 11 बजे तक घर के कार्यो में व्यस्त रहती है, उसका जीवन उबाऊ और उदासी के बिच हमेशा चलता है, किसी तरह के ख़ुशी और उल्लास उसके जीवन में नहीं है |
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