Bihar Board Class 10th Science Solutions विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

www.storyofluck.com


Class 10th Science विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Subjective Solutions,

अध्याय – 5  विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 1. चुम्बक क्या है ?
उत्तर – चुम्बक एक ऐसा पदार्थ है जो लौह युक्त पदार्थ का अपने ओर आकर्षित करने का काम करता है|

प्रश्न 2. चुम्बकीय पदार्थ :- वैसे पदार्थ जिन्हें चुम्बक आकर्षित करता है | उसे चुम्बकीय पदार्थ कहते है | जैसे :- लोहा , कोबाल्ट , निकेल आदि |

प्रश्न 3. अचुम्बकीय पदार्थ :- वैसे पदार्थ जिन्हें चुम्बक अपनी ओर आकर्षित नहीं करता है | वैसे पदार्थ को अचुम्ब्कीय पदार्थ कहते है | जैसे :- कांच , कागज , पीतल आदि |

प्रश्न 4. मैक्सवेल के दक्षिण हस्त का नियम :- यदि धारावाही तार को दाया हाथ की मुट्ठी नए इस प्रकार पकड़ा जाएं की अंगूठा धस की दिशा की ओर संकेत करता हो तथा हाथ की अन्य अंगुलिया चुम्बकीय क्षेत्र की व्यक्त करती हो तो इस नियम को मैक्सवेल का दक्षिण हस्त का नियम कहते है |

प्रश्न 5. विधुत चुम्बक :- विधुत चुम्बक वैसा चुम्बक है | जिसमे चुम्बकत्व उतना ही समय तक विधमान रहता है | जितने समय तक परिनालिका में विधुत – धारा प्रवाहित होती है |

प्रश्न 6. विधुत चुम्बक किन – किन बातो पर निर्भर करता है ?
उत्तर – विधुत चुम्बक निम्नलिखित बातो पर निर्भर करता है –

क. परिनालिका में फेरो की संख्या :- यदि तार के फेरो की संख्या अधिक होगी तो चुम्बकत्व अधिक होगा |

ख. विधुत धारा का परिमाण :- प्रवाहित होने वाली विधुत – धारा का परिमाण जितना अधिक होगा | चुम्बकीय क्षेत्र उतना ही प्रबल होगा |

ग. क्रोड़ के पदार्थ की प्रकृति :- परिनालिका में नरम लोहे के क्रोड़ के व्यवहार करने पर चुम्ब्कात्व अधिक होगा |

प्रश्न 7. फ्लेमिंग का बाए हाथ का नियम :- फ्लेमिंग के बाए हाथ के नियम के अनुसार बाए हाथ के तीन अंगुलियों को इस प्रकार लम्बवत फैलाया जाता है | जिसपर अंगूठा चालक पर लगे बल को व्यक्त करता है | तथा तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा तथा माध्यम धारा की नियम को ही फ्लेमिंग के नियम का बाये हाथ का नियम कहा जाता है |

प्रश्न 8. फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त का नियम :- फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त के नियम के अनुसार यदि दाहिने हाथ के अंगूठा और तर्जनी तथा माध्यमा परस्पर समकोणिक इस प्रकार रखे जाएं की अंगुठा गति को व्यक्त करता है | तथा तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र और माध्यमा धारा के दिशा को व्यक्त करता है | इस नियम को ही फ्लेमिंग का दाहिने हाथ का नियम कहते है |

प्रश्न 9. विधुत मोटर क्या है ?
उत्तर – विधुत मोटर एक ऐसा यंत्र है | जिसके द्वारा विधुत ऊर्जा को यांत्रिक उर्जा में परिवर्तित किया जाता है |

प्रश्न 10. विधुत चुम्बकीय प्रेरण क्या है ?
उत्तर – जब कभी कुंडली और विधुत के बिच आपेक्षित गति होती है तब कुंडली में विधुत – धारा प्रेरित होती है | इस प्रभाव को विधुत चुम्बकीय प्रेरण कहते है |

प्रश्न 11. विधुत जनित्र क्या है ?
उत्तर – विधुत जनित्र एक ऐसा यंत्र है , जिसके द्वारा यांत्रिक उर्जा को विधुत उर्जा में परिवर्तित किया जाता है |

प्रश्न 12. दिष्ट D.C धारा क्या है ?
उत्तर – ऐसी धारा जो एक सीधी रेखा में गमन करती है | उसे दिष्ट धारा कहते है |

प्रश्न 13. प्रत्यावर्ती A.C धारा क्या है ?
उत्तर – ऐसी धारा जो सीधी रेखा में गमन न करके अपनी दिशा बदलती रहती है उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते है |

प्रश्न 14. आवृति क्या है ?
उत्तर – एक सकेंड में होने वाली चक्रो की संख्या को प्रत्यावर्ती धारा की आवृति कहते है |

प्रश्न 15. चुम्बकीय क्षेत्र किसे कहते है ?
उत्तर – किसी चुम्बक के चारो ओर के क्षेत्र जिसमे आकर्षण तथा प्रति आकर्षण बलों के प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है | उसे चुम्बकीय क्षेत्र कहते है |

प्रश्न 16. परिनालिका क्या है ?
उत्तर – जब किसी अचालक पदार्थ के ऊपर चालक पदार्थ की लपेट दी जाती है | तो ऐसी व्यवस्था परिनालिका कहलाती है |

प्रश्न 17. विधुत चुम्बक का उपयोग कहां कहां होता है ?
उत्तर – विधुत चुम्बक का उपयोग निम्नलिखित जगहों पर किया जाता है जो इस प्रकार से है –
क. लोहे के भारी टुकड़े को उठाने में किया जाता है | इसलिए प्रायः क्रेन में इसका उपयोग किया जाता है |
ख. इसका उपयोग विधुत घंटी माईक्रोफोन , टेलीफोन , लाउडस्पीकर आदि में किया जाता है |

प्रश्न 18. विधुत चुम्बक एवं स्थायी चुम्बक में क्या अंतर है ?
उत्तर – विधुत चुम्बक एवं स्थायी चुम्बक में निम्नलिखित अन्तर है जो इस प्रकार से है –

क. विधुत चुम्बक :- 1. यह एक अस्थायी चुम्बक है | 2. यह प्रबल चुम्बकीय बल लगा सकता है | 3. विधुत चुम्बक की शक्ति फेरो की संख्या पर निर्भर करती है | जो फेरो की संख्या बढ़ने से बढती है |

ख. स्थायी चुम्बक :- 1. छड़ चुम्बक एक स्थायी चुम्बक है | 2. इसकी आकर्षण बल कमजोर होता है | 3. स्थायी चुम्बक की शक्ति निश्चित रहती है |

प्रश्न 19. अतिभारन किसे कहते है ?
उत्तर – किसी भी कारण बस परिपथ में आवश्यकता से अधिक धारा बहने लगती है | तो इस घटना को ही अतिभारन कहते है |

प्रश्न 20. लघु – पथन :- कभी – कभी जीवित तार एवं उदासीन तार आपस में सम्पर्क में आ जाते है | तो ऐसी स्थिति में परिपथ में प्रतिरोध बहुत कम होने लगता है | फलस्वरूप उनसे होकर अत्यधिक धारा प्रवाहित होने लगती है | यही घटना को लघुपथन या शार्ट सर्किट कहते है |

प्रश्न 21. घरो में विधुत परिपथ में कौन – कौन सी खराबिया हो जाती है | जिनके कारण विधुत से खतरा हो जाता है , त्तथा इससे बचने के लिए क्या क्या सावधनिया होनी चाहिए ?
उत्तर – घरो में विधुत परिपथ में निम्नलिखित खराबिया उत्पन्न होती रहती है | जो इस प्रकार से है –
क. ढीला संयोजन
ख. सुईच को खराबी
ग. संयोजित तार का पुराण हो जाना
घ. लघु – पथन आथवा अतिभारन के कारण चिंगारी का निकालना |
ङ. उपकरण का खराबी
च. संयोजित तार का खुला रह जाना

खतरा से बचने के लिए निम्नलिखित सावधनिया हो सकती है – जो इस प्रकार से है –
क. किसी भी प्रकार का खतरा होने पर परिपथ की सुईच बंद कर देना चाहिए |
ख. सुईचो तथा अन्य जोड़ो पर अन्योजन सका होना चाहिए |
ग. संयोजन तार विधुत रोधी पदार्थ से ढका रहना चाहिए |
घ. उपयुक्त क्षामता वाली फ्यूज का प्रयोग करना चाहिए |
ङ. जब कभी परिपथ के किसी भाग पर मरम्मत करना हो तो रबड़ से बने दास्ताने तथा जुते का उपयोग करना चाहिए |

प्रश्न 22. विधुत जनित्र क्या है | यह किस सिद्धांत पर कार्य करता है ?
उत्तर – विधुत जनित्र या डायनेमो एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा यांत्रिक उर्जा को विधुत उर्जा में परिवर्तित किया जाता है | यह विधुत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर काम करता है |
बनावट :- सधारण डायनेमो में एक शक्तिशाली नाम चुम्बक होता है | जिसे क्षेत्र चुम्बक कहते है | क्षेत्र चुम्बक के ध्रुव के बिच छैतिज अक्ष पर एक धुर्णन करने वाली एक कुंडली होती है | जिसे आर्मेचर कहते है | आर्मेचर में कुंडली के अनेक फेरे होते है | जो नरम लोहे के पटिये पर लिपटे रहते है | इसे आर्मेचर का क्रोड़ कहते है | आर्मेचर के तार के छोर पीतल के वलय से ढके रहते है | तथा इन वलय से कार्बन के पटिया हल्का स्पर्श करती है | इन पतियों को ब्रश कहा जाता है | परिपथ को इन ब्रश से लगे पेचो से जोड़ दिया जाता है |
क्रियाविधि :- जब आर्मेचर को धुमाया जाता है तो कुंडली के भीतर के चुम्बकीय क्षेत्र प्रत्येक क्षण परिवर्तन होते है | एक अर्धचक्र में शून्य से महतम तक पहुंचती है | और दूसरी बार महत्तम से घटकर क्रम में कुंडली जब चुम्बकीय बल क्षेत्र के दिशा समांतर होती है | तब गति के दिशा समांतर होती है | और इस स्थिति में कुंडली में धारा शून्य रहती है | लेकिन लम्बवत स्थिति में महत्तम धारा जैसे होती है | धारा के परिवर्तन मान होने के कारण इस धारा के प्रत्यावर्ती धारा भी कहते है | किसी विधुत परिपथ में लघु-पथन कम होता है | जब जीवित तार एवं उदासीन तार आपस में सम्पर्क में आ जाते है | तो लघु – पथन की घटना होती है |

प्रश्न 23. भू-सम्पर्क तार का क्या कार्य है ? धातु के आवरण वाले विधुत शाधित्रो को भू – सम्पर्कित करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – भू – सम्पर्क तार का सम्पर्क मेन फ्यूज से रहता है | फ्यूज से होकर विधुत उपकरणों तक पहुंचाया जाता है | तथा वह वापस फ्यूज तक सम्पर्कित रहता है | इसका मेन काम झटका से बचाने का होता है |
धातु के आवरण वाले विधुत शाधित्रो को भू – सम्पर्कित इसलिए किया जाता है | की धारा शरीर में प्रवेश न करके पृथ्वी में प्रवेश कर जाए | क्योकि पृथ्वी नगण्य रूप में प्रतिरोध पैदा करता है |

प्रश्न 24. विधुत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है ?
उत्तर – विधुत मोटर में विभक्त वलय दिक् परिवर्तन का काम करता है | कुंडली के प्रत्येक आधे धुर्नानी के बाद यह विभक्त वलय पुनः वापस कर देती है | कुंडली को एक समान रूप में घूर्णन के लिए प्रेरनित करती है |

प्रश्न 25. दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएं एक – दुसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करती है ?
उत्तर – किसी बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र रेखा की दिशा उस बिंदु पर खिंची गई स्पर्श रेखा द्वारा प्राप्त की जाती है | यदि दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएं परस्पर किसी एक बिंदु पर प्रतिच्छेद करती है | तो उस बिंदु पर दो अलग – अलग दिशा प्राप्त करती है | जो सम्भव नहीं है |

प्रश्न 26. चुम्बक के निकट लाने पर दिक् सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?
उत्तर – दिक् सूचक की सुई भी एक छोटा चुम्बक ही होता है | जब उसे चुम्बक के निकट लाया जाता है तो क्रियाशील आकर्षण बल के कारण दिक् सूचक की सुई विक्षेपित हो जाती है |

प्रश्न 27. फैराडे के नियम एवं लेंज के नियम को लिखे ?
उत्तर – किसी परिपथ में प्रेरित विधुत वाहक बल का परिमाण उस परिपथ से होकर जाने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं के परिवर्तन की दर तथा परिपथ में फेरो की संख्या के समानुपाती होता है | इस नियम को ही फैराडे का नियम कहते है |
जब किसी विधुत चुम्बकीय प्रेरण तथा परिपथ में धारा उत्पन्न होती है | तो उसकी दिशा ऐसी होती है | की वह उस कारण का ही विरोध करती है | जिसे वह उत्पन्न होती है | इसी नियम को ही लेंज का नियम कहते है |

प्रश्न 28. चुम्बकीय फ्लक्स क्या है ?
उत्तर – समतल सतह पर चुम्बकीय क्षेत्र के अभिलम्ब घटक तथा सतह के क्षेत्रफल के गुणनफल के सतह को चुम्बकीय फ्लक्स कहते है |