12th class history subjective objective mcq answer|12th class history subjective objective mcq ncert|12th class history subjective objective mcq notes|class 12 history chapter 7 notes|history 12th mcq ncert book in hindi|history 12th mcq ncert answer key|12th history question answer solutions|12th history question answer syllabus|12th ka history ka question answer|12th Class History Subjective Objective Solution Bihar Board | कक्षा 12 इतिहास Solution Chapter 7 History
कक्षा 12 इतिहास Question Answer
प्रश्न 1. उपनिवेशवाद क्या है इसकी स्थापना के कारण बताएं ?
उत्तर –उपनिवेशवाद का अर्थ होता है, किसी शक्तिशाली तथा समृद्ध राष्ट्र के द्वारा अपने हितों की पूर्ति के लिए किसी गरीब, किंतु प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण राष्ट्र के विभिन्न संसाधनों का शक्ति के बल पर उपयोग करना ही उपनिवेशवाद कहलाता है |
दूसरे शब्द में हम कह सकते हैं, कि किसी शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी गरीब राष्ट्र को शोषित करना ही उपनिवेशवाद कहलाता है |
क. भारत में उपनिवेशवाद के स्थापना के निम्नलिखित कारण है, जो इस प्रकार से है :-
i.कच्चे माल की प्राप्ति के लिए यूरोप वासी भारत आए और यहां के कच्चे माल को लेकर, वे अपने देश ले जाते थे तथा कारखाना चलाते थे |
ii.अपने कारखाने में निर्मित पक्के माल को बेचने के लिए वे, भारत को एक बाजार समझते थे इसलिए यहां पर आकर बस गए और बाजार कराना शुरू कर दिया |
iii.यूरोप वासी अपने धर्म के प्रचार प्रसार के लिए भी भारत, में अपना उपनिवेश स्थापित किए |
iv.भारत की जलवायु ऐसी थी, जहां पर विभिन्न प्रकार के कृषि उपजाए जाते थे, इसलिए ऐसी भूमि की तलाश में यूरोप वासी भारत आ पहुंचे |
दूसरे शब्द में हम कह सकते हैं, कि किसी शक्तिशाली राष्ट्र द्वारा अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी गरीब राष्ट्र को शोषित करना ही उपनिवेशवाद कहलाता है |
क. भारत में उपनिवेशवाद के स्थापना के निम्नलिखित कारण है, जो इस प्रकार से है :-
i.कच्चे माल की प्राप्ति के लिए यूरोप वासी भारत आए और यहां के कच्चे माल को लेकर, वे अपने देश ले जाते थे तथा कारखाना चलाते थे |
ii.अपने कारखाने में निर्मित पक्के माल को बेचने के लिए वे, भारत को एक बाजार समझते थे इसलिए यहां पर आकर बस गए और बाजार कराना शुरू कर दिया |
iii.यूरोप वासी अपने धर्म के प्रचार प्रसार के लिए भी भारत, में अपना उपनिवेश स्थापित किए |
iv.भारत की जलवायु ऐसी थी, जहां पर विभिन्न प्रकार के कृषि उपजाए जाते थे, इसलिए ऐसी भूमि की तलाश में यूरोप वासी भारत आ पहुंचे |
प्रश्न 2. रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या है इसके सामाजिक एवं आर्थिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर – दक्षिण भारत में रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू किया गया था, इशरत वाणी व्यवस्था को किसान भूमि का मालिक होता था, यदि वह भू - स्वराज अंग्रेजों के समय पर भुगतान करता रहता था, तो उसकी भूमि बराबर बनी रहती थी, यह व्यवस्था मद्रास एवं मुंबई प्रेसीडेंसी में लागू की गई थी, इस व्यवस्था के कई तृतीय थी, जैसे भूमि स्वराज 45 से 55% तक थाज्यादा था भूमि स्वराज बढ़ाने का अधिकार सिर्फ राजा के पास ही होता था, सुखाड़ या बाढ़ आ जाने के कारण भी भूमि स्वराज देना पड़ता था, इससे किसानों की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती चली गई |
रैयतवाड़ी व्यवस्था से सामाजिक एवं आर्थिक जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े जो इस प्रकार से है :-
क. इस व्यवस्था से समाज में लोगों के बीच असंतोष बढ़ने लगा |
ख. समाज में आर्थिक विषमता उत्पन्न हो गई |
ग. किसानों की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती चली गई |
रैयतवाड़ी व्यवस्था से सामाजिक एवं आर्थिक जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े जो इस प्रकार से है :-
क. इस व्यवस्था से समाज में लोगों के बीच असंतोष बढ़ने लगा |
ख. समाज में आर्थिक विषमता उत्पन्न हो गई |
ग. किसानों की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती चली गई |
प्रश्न 3. भूमि की स्थाई बंदोबस्त क्या थी इसके मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें अथवा भूमि के स्थाई बंदोबस्त के गुण दोषों का वर्णन करें ?
उत्तर – 1793 ई. में बंगाल में लॉर्ड कॉर्नवालिस भूमिका स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था को लागू किया गया था, इस व्यवस्था के तहत भूमि को स्थाई रूप से जमींदारों को दे दी गई थी, और इसके बदले में जमींदारों से एक निश्चित धनराशि सरकारी कोष में जमा करा दी जाती थी |
भूमि की स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था की विशेषताओं या उसके गुण निम्नलिखित है, जो इस प्रकार से है :-
क. इस व्यवस्था में भूमि को अस्थाई रूप से जमींदारों को दीप दी जाती थी, और उसके बदले में जमींदार कर के रूप में एक निश्चित धनराशि को सरकारी कोष में जमा करानी पड़ती थी |
ख. इस व्यवस्था से जमीन दारी को कानूनी तौर पर मालिकाना अधिकार मिल जाता था, अब वह किसान से मनमाना लगान ले लेते थे |
भूमि की स्थाई बंदोबस्त व्यवस्था की विशेषताओं या उसके गुण निम्नलिखित है, जो इस प्रकार से है :-
क. इस व्यवस्था में भूमि को अस्थाई रूप से जमींदारों को दीप दी जाती थी, और उसके बदले में जमींदार कर के रूप में एक निश्चित धनराशि को सरकारी कोष में जमा करानी पड़ती थी |
ख. इस व्यवस्था से जमीन दारी को कानूनी तौर पर मालिकाना अधिकार मिल जाता था, अब वह किसान से मनमाना लगान ले लेते थे |
स्थाई बंदोबस्त से निम्नलिखित हानि हुई जो इस प्रकार से है :-
क. किसान गरीब होने लगे |
ख. समाजिक लोगो के बिच असंतोष बढ़ने लगा |
ग. समाज में आर्थिक विषमता की स्थित उत्पन्न होने लगी |
घ. इस व्यवस्था के लागु होने से जमींदारो के द्वारा किसानो का जमकर शोषण होने लगा |
ख. समाजिक लोगो के बिच असंतोष बढ़ने लगा |
ग. समाज में आर्थिक विषमता की स्थित उत्पन्न होने लगी |
घ. इस व्यवस्था के लागु होने से जमींदारो के द्वारा किसानो का जमकर शोषण होने लगा |
प्रश्न 4. 1857 की सिपाही विद्रोह के क्या कारण थे ?
उत्तर – 1857 के विद्रोह को सिपाही विद्रोह कहते हैं, यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम विद्रोह माना जाता है, क्योंकि यह विद्रोह सैनिक एवं सिपाहियों के द्वारा लड़ी गई थी, इसलिए इसको सैनिक या सिपाही विद्रोह कहा जाता है, अतः इस विद्रोह के निम्नलिखित कारण थे, जिस प्रकार से है
क. राजनितिक
ख. आर्थिक कारण
ग. समाजिक कारण
घ. धार्मिक कारण
ङ. तात्कालिक कारण
क. राजनितिक
ख. आर्थिक कारण
ग. समाजिक कारण
घ. धार्मिक कारण
ङ. तात्कालिक कारण
प्रश्न 5. 1857 के विद्रोह के असफलता या विफलता के क्या कारण थे ?
उत्तर –1857 के सिपाही विद्रोह जो भारतीय जनता के द्वारा लड़ा गया था, वह सफल नहीं हो सका क्योंकि, इस और सफलता के निम्नलिखित कारण थे जो इस प्रकार से है:-
क. भारतीय लोगों में एकता का अभाव या इसके पास युद्ध लड़ने के लिए कोई मजबूत संगठन नहीं था |
ख. भारतीय लोग आर्थिक रूप से कमजोर थे, इसके पास धन दौलत नहीं था, जो युद्ध में इस्तेमाल करते हैं |
ग. भारतीय लोगों के पास अस्त्र शास्त्र की कमी थी, यह पुराने हथियार जैसे लाठी फरसा तीर से लड़ाई लड़ते थे, जबकि अंग्रेज गोली बारूद बम आदि से लड़ते थे |
घ. भारतीय लोगों के पास युद्ध लड़ने के लिए कोई राष्ट्रीय स्तर के नेता नहीं थे, लोग मिलजुलकर नहीं लड़ते थे, जिसके कारण यह युद्ध और असफल हो गया |
ङ. भारतीय लोगों में युद्ध लड़ने की कौशल नहीं थी, जब कि अंग्रेजो के पास युद्ध लड़ने की काला और कौशल था, इन्हीं सब कारणों से भारतीय लोग युद्ध को हार गए, और अंग्रेज आसानी से इस युद्ध को जीत लिया |
प्रश्न 6. 1857 के विद्रोह के स्वरूप का वर्णन करें ?
उत्तर –1857 के विद्रोह के स्वरूप के बारे में इतिहासकारों में मतभेद है, क्योंकि 1857 के विद्रोह की एक कारण से नहीं लड़ा गया था, विभिन्न विद्वानों में विभिन्न प्रकार के मतभेद है, कुछ विद्वान कहते हैं, कि यह विद्रोह सैनिक विद्रोह था, लेकिन इसको स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें भारत की पूरी सेना शामिल नहीं हुआ था, बहुत से भारतीय सैनिक अंग्रेजों के साथ दिया था, इस विद्रोह में सैनिकों के साथ-साथ जनता ने भी भाग लिया था, डब्लू टेलर ने इस विद्रोह का परिणाम हिंदू मुस्लिम के षड्यंत्र के रूप में दिखाया है, महोदय का कहना है, कि 1857 के विद्रोह ईसाई धर्म के विरोध में किया गया था, उनके अनुसार भारत के हिंदू मुस्लिम लोग ईसाई धर्म के प्रचार प्रसार से असंतुष्ट थे, वह अपने धर्म और संस्कृति पर प्रहार के रूप में देख रहे थे, हिंदू एवं मुस्लिम अपनी रक्षा के लिए संघर्ष किया, इस विद्रोह को भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रथम नियोजित स्वतंत्रता संग्राम बताया इस प्रकार हम कह सकते है, की सौ वर्षो की दासता से निजात पाने के लिए यह विद्रोह किया गया था, अतः हम इसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम ही कहेंगे |
प्रश्न 7. 1857 के विद्रोह के परिणाम को बताइए ?
उत्तर – 1857 के विद्रोह के निम्नलिखित परिणाम हुए, जो इस प्रकार से है :-
क. इस विद्रोह के बाद मुग़ल वंश के शासन का अंत हो गया |
ख. 1857 के विद्रोह के परिणाम स्वरूप मुग़ल शासन के, साथ साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का भी अंत हो गया |
ग. इस विद्रोह के बाद सिर्फ कंपनी के शासन का अंत ही नहीं हुआ, बल्कि देशो राज्य्वारो और सामान्य जनता के प्रशासन की निति को भी समाप्त कर दिया गया |
घ. अंग्रेजी राज्यों में देशी राज्यों की अखंडता एवं सुरक्षा व्यवस्था भी की गई |
ङ. इस विद्रोह के बाद अंग्रेजो नए यह स्वीकार किया, की नागरिक सेवा के उच्चे पदों पर भारतीय भी नियुक्त हो सकते है, इसके लिए भारत एवं इंग्लैण्ड में एक प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने की व्यवस्था की गई |
च. इस विद्रोह के बाद सैनिक व्यवस्था में काफी फेर बदल किया गया, कम्पनी की सेना अब राजस्व मुकुट की सेना बनकर रह गई |
छ. अंग्रेजी राज्य नए भारत के अंदर विस्तार बाड़ी निति को त्याग दिया |
ज. इस विद्रोह के बाद भारतीय राष्ट्रवाद का तेजी से विकास होने लगा |
ख. 1857 के विद्रोह के परिणाम स्वरूप मुग़ल शासन के, साथ साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का भी अंत हो गया |
ग. इस विद्रोह के बाद सिर्फ कंपनी के शासन का अंत ही नहीं हुआ, बल्कि देशो राज्य्वारो और सामान्य जनता के प्रशासन की निति को भी समाप्त कर दिया गया |
घ. अंग्रेजी राज्यों में देशी राज्यों की अखंडता एवं सुरक्षा व्यवस्था भी की गई |
ङ. इस विद्रोह के बाद अंग्रेजो नए यह स्वीकार किया, की नागरिक सेवा के उच्चे पदों पर भारतीय भी नियुक्त हो सकते है, इसके लिए भारत एवं इंग्लैण्ड में एक प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने की व्यवस्था की गई |
च. इस विद्रोह के बाद सैनिक व्यवस्था में काफी फेर बदल किया गया, कम्पनी की सेना अब राजस्व मुकुट की सेना बनकर रह गई |
छ. अंग्रेजी राज्य नए भारत के अंदर विस्तार बाड़ी निति को त्याग दिया |
ज. इस विद्रोह के बाद भारतीय राष्ट्रवाद का तेजी से विकास होने लगा |
प्रश्न 8. 18 वीं सदी में शहरी केन्द्रों का रूपांतरण किस तरह हुआ आथवा बम्बई के नगर निर्माण पर एक टिप्पणी लिखे ?
उत्तर – 18 वीं सदी में खासकर मुग़ल सम्राज्य पर जो नगर की व्यवस्था थी, उसमे भवनों और शाही महलो का विकास तेजी से हुआ | मुग़ल काल में लौहौर , दिल्ली , आगरा, जौनपुर , पटना आदि का विकास तेजी से हुआ, दक्षिण भारत में कांचीपुरम प्रमुख प्रसिद्ध नगर थे, मुगलकाल के पत्तन के बाद छोटे-छोटे नगर अब बड़े बड़े नगर बनने लगे, अतः हम कह सकते है, की 18 वीं सदी में शहरीकरण केन्द्रों का रूपांतरण निम्नलिखित प्रकार से हुआ जो इस प्रकार से है :-
क. जब भारत में 1757 में प्लासी युद्ध हुआ, और उसके बाद अंग्रेजो का व्यापार भारत में फैलने लगा तो उस समय मद्रास , कलकता , बम्बई , चेन्नई आदि शरो में नए – नए भवनों का निर्माण होने लगा ये शहर प्रशासन का केंद्र बन गया |
ख. अंगेजो के साथ लगातार युद्ध होने के करण अधिक से अधिक सैनिको को भर्ती होने लगी, जिससे इन सैनिको को फसाने के लिए शहर का निर्माण होने लगा |
ग. सिर्फ अंग्रेजो नए ही शहर को नहीं बसाया बल्कि पुतर्गाली , डच , फ़्रांसिसी , नए भी अपने अपने शासनकाल में शहरो का विकास किया जैसे – पाण्डचेरी
घ. 18 वीं सदी में भारतीय लोग रोजगार की तालाश में गाँव को छोड़कर, शहर के तरफ भागने लगे इसमें व्यापारी शिल्पकार आदि भी शामिल थे इनलोगों से शहर का निर्माण होने लगा |
क. जब भारत में 1757 में प्लासी युद्ध हुआ, और उसके बाद अंग्रेजो का व्यापार भारत में फैलने लगा तो उस समय मद्रास , कलकता , बम्बई , चेन्नई आदि शरो में नए – नए भवनों का निर्माण होने लगा ये शहर प्रशासन का केंद्र बन गया |
ख. अंगेजो के साथ लगातार युद्ध होने के करण अधिक से अधिक सैनिको को भर्ती होने लगी, जिससे इन सैनिको को फसाने के लिए शहर का निर्माण होने लगा |
ग. सिर्फ अंग्रेजो नए ही शहर को नहीं बसाया बल्कि पुतर्गाली , डच , फ़्रांसिसी , नए भी अपने अपने शासनकाल में शहरो का विकास किया जैसे – पाण्डचेरी
घ. 18 वीं सदी में भारतीय लोग रोजगार की तालाश में गाँव को छोड़कर, शहर के तरफ भागने लगे इसमें व्यापारी शिल्पकार आदि भी शामिल थे इनलोगों से शहर का निर्माण होने लगा |