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Bihar Board Class 12th History Book Solution
प्रश्न 1. भारतीय राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में गांधीजी की भूमिका का वर्णन करे ?
उत्तर – भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी की भूमिका मानी जाती है, अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में जो भूमिका जॉर्ज वॉशिंगटन ने निभाया था, वही भूमिका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी का था, आजादी दिलाने के कारण ही उन्हें राष्ट्रपिता कहा जाता है, उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका से भारत को आजादी दिला दी गांधी जी द्वारा आजादी दिलाने के लिए चार आंदोलन किस प्रकार से है :-
क. चंपारण आंदोलन |
ख. असहयोग आंदोलन |
ग. सविनय अवज्ञा आंदोलन |
घ. भारत छोड़ो आंदोलन |
गांधीजी इन 4 आंदोलनों के माध्यम से अंग्रेजों को यह एहसास दिला दिया, कि अब वह बहुत दिन तक भारत में शासन नहीं कर सकता है, 1917 में गांधीजी चंपारण की धरती पर आकर किसानों के हित में अंग्रेजों को झुका दिया, इसके बाद 1920 में अपना असहयोग आंदोलन पूरे भारत में चलाया, लेकिन 1922 में चौरा चौरी हत्याकांड हो जाने के कारण, इस आंदोलन को स्थगित करना पड़ा 1930 में गांधी जी दांडी मार्च करके सविनय अवज्ञ आंदोलन को शुरू किया, 1942 में गांधीजी ने अंग्रेजों के विरुद्ध अपना तीसरा आंदोलन चलाया, जिसमें इन्होंने करो या मरो का नारा दिया इसी आंदोलन के बाद अंग्रेज घबरा गए, अतः 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिल गई |
क. चंपारण आंदोलन |
ख. असहयोग आंदोलन |
ग. सविनय अवज्ञा आंदोलन |
घ. भारत छोड़ो आंदोलन |
गांधीजी इन 4 आंदोलनों के माध्यम से अंग्रेजों को यह एहसास दिला दिया, कि अब वह बहुत दिन तक भारत में शासन नहीं कर सकता है, 1917 में गांधीजी चंपारण की धरती पर आकर किसानों के हित में अंग्रेजों को झुका दिया, इसके बाद 1920 में अपना असहयोग आंदोलन पूरे भारत में चलाया, लेकिन 1922 में चौरा चौरी हत्याकांड हो जाने के कारण, इस आंदोलन को स्थगित करना पड़ा 1930 में गांधी जी दांडी मार्च करके सविनय अवज्ञ आंदोलन को शुरू किया, 1942 में गांधीजी ने अंग्रेजों के विरुद्ध अपना तीसरा आंदोलन चलाया, जिसमें इन्होंने करो या मरो का नारा दिया इसी आंदोलन के बाद अंग्रेज घबरा गए, अतः 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिल गई |
प्रश्न 2. गांधी जी के द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन का वर्णन करें ?
उत्तर – 1 अगस्त 1920 को गांधी जी ने असहयोग आंदोलन तथा, खिलाफत आंदोलन एक साथ चलाएं गांधी जी का कहना था, अंग्रेजों का बहिष्कार करना है 1920 में कोलकाता में कांग्रेस की एक विशेष अधिवेशन में असहयोग के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया, आंदोलन के तहत गांधीजी ने निम्नलिखित नीतियों को अपनाया जो इस प्रकार से है :-
क. सरकारी पदो तथा उपाधियों का बहिष्कार करना |
ख. सरकारी दरबारों तथा उत्सव समारोह का बहिष्कार करना |
ग. सरकारी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार करना |
घ. विदेशी वस्तुओं तथा वस्तुओं का बहिष्कार करना |
ङ. अदालतों का बहिष्कार करना |
च. अपने देसी वस्त्रों को पहनने पर जोड़ देना |
छ. हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना |
ज. छुआछूत की भावना को त्यागना |
झ. स्वयं सेवक दल को तैयार करना |
1921 में यह आंदोलन अपने चरम सीमा पर था, जगह-जगह पर धरना प्रदर्शन घेराव आदि हो रहे थे, हालांकि इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए भारत के सभी लोगों का सहयोग नहीं मिला था, इसी बीच 5 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला में चौरा चौड़ी गांव में 22 अंग्रेज अधिकारियों को जिंदा जला दिया, गया इस घटना से गांधी जी काफी नाराज हुए और उन्होंने इस आंदोलन को स्थगित कर दिया, लेकिन यह आंदोलन आजादी दिलाने में मील का पत्थर साबित हुआ |
क. सरकारी पदो तथा उपाधियों का बहिष्कार करना |
ख. सरकारी दरबारों तथा उत्सव समारोह का बहिष्कार करना |
ग. सरकारी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार करना |
घ. विदेशी वस्तुओं तथा वस्तुओं का बहिष्कार करना |
ङ. अदालतों का बहिष्कार करना |
च. अपने देसी वस्त्रों को पहनने पर जोड़ देना |
छ. हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना |
ज. छुआछूत की भावना को त्यागना |
झ. स्वयं सेवक दल को तैयार करना |
1921 में यह आंदोलन अपने चरम सीमा पर था, जगह-जगह पर धरना प्रदर्शन घेराव आदि हो रहे थे, हालांकि इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए भारत के सभी लोगों का सहयोग नहीं मिला था, इसी बीच 5 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला में चौरा चौड़ी गांव में 22 अंग्रेज अधिकारियों को जिंदा जला दिया, गया इस घटना से गांधी जी काफी नाराज हुए और उन्होंने इस आंदोलन को स्थगित कर दिया, लेकिन यह आंदोलन आजादी दिलाने में मील का पत्थर साबित हुआ |
प्रश्न 3. गांधी जी के द्वारा चलाए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन का वर्णन करें ?
उत्तर – महात्मा गांधी ने नमक कानून के विरोध में 12 मार्च 1930 में दांडी मार्च शुरू हुआ, इस आंदोलन के शुरू करने से पहले आम जनता के बाजार में ऊंची दामों पर नमक खरीदना पड़ता था, जिससे लोगों की काफी परेशानी उठानी पड़ती थी, इस कारण गांधीजी ने अंग्रेजो के विरुद्ध में सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाने का निर्णय लिया, इसी के तहत गांधी जी ने अपने 78 साथियों को लेकर 22 मार्च 1930 को अपने साबरमती आश्रम से दांडी के लिए चल पड़े थे, 224 किलोमीटर 24 दिनों में पैदल चलने के बाद गांधीजी 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुंच कर, उन्होंने अपने हाथों से नमक बनाकर नमक कानून को भंग किया, इस नमक कानून को भंग करने के दौरान निम्नलिखित बातें सामने उभर कर आई |
क.इस आंदोलन से अंग्रेजों को यह पता चल गया कि अब अंग्रेजों का राज भारत में ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता |
ख.इस आंदोलन के दौरान भारत के सभी वर्गों के लोगों ने सहयोग किया |
ग.इस आंदोलन में सिर्फ कानून का उल्लंघन करना ही नहीं, इसके द्वारा सामाजिक एकता स्थापित करने का प्रयास किया गया |
घ.इस आंदोलन में पहली बार भारतीय महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया |
क.इस आंदोलन से अंग्रेजों को यह पता चल गया कि अब अंग्रेजों का राज भारत में ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता |
ग.इस आंदोलन में सिर्फ कानून का उल्लंघन करना ही नहीं, इसके द्वारा सामाजिक एकता स्थापित करने का प्रयास किया गया |
घ.इस आंदोलन में पहली बार भारतीय महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया |
प्रश्न 4. गांधी जी के द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन का वर्णन करें ?
उत्तर – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारत छोड़ो आंदोलन का महत्वपूर्ण योगदान है, भारत छोड़ो आंदोलन ने ही आजादी के लिए अंग्रेजों को अंतिम किला ठोकने का काम किया, स्वतंत्रता संग्राम के लिए गांधी जी का यह अंतिम आंदोलन था, इस आंदोलन से अंग्रेजों को यह समझ में आ गया, कि अब भारत में ज्यादा दिनों तक अंग्रेजों का शासन नहीं चलेगा, इस आंदोलन के दौरान गांधीजी सहित सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन यह आंदोलन थामा नहीं बल्कि चलता रहा जब यह आंदोलन शुरू हुआ, तो भारत देश के कोने-कोने से ट्रेनों की पटरियां उखाड़ दी गई बिजली के खंभे तोड़ दिए गए, टेलीफोन के तार काट दिए गए भारतीय छात्र विद्यालय जाना छोड़ दिए, वकील वकालत करना छोड़ दिए, भारतीय महिलाओं ने जगह जगह पर धारण प्रदर्शन तथा घेराव किया, भारतीय कर्मचारियों ने कार्यालय जाना बंद कर दिया, अर्थात भारत छोड़ो आंदोलन से पूरे भारत में अव्यवस्था का माहौल हो गया, अंग्रेजों ने इस आंदोलन को दबाने के लिए अंतिम प्रयास किया लोगों को पकड़कर जेलों में डालना शुरू किया, प्रदर्शन करने वाले पर गोलियां चलाई गई, जिससे सैकड़ों लोग मारे गए, कहीं कही प्रदर्शन करने वालों पर लाठीचार्ज भी किया गया |
प्रश्न 5. गोलमेज में सम्मेलन का वर्णन करें अथवा गोलमेज में सम्मेलन क्यों आयोजित किए गए इसके कारणों को बताइए ?
उत्तर – गोलमेज सम्मेलन 1930-31 तथा 1932 में लंदन में बुलाए गए थे, इस सम्मेलन में गांधीजी सहित कई भारत के नेताओं ने भाग लिया, लेकिन सभी सम्मेलन असफल हुए गांधीजी सिर्फ दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लिए थे, गांधी जी के द्वारा 1930 में चलाए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन की घटनाओं ने सरकार को विचलित कर दिया, अब अंग्रेज भारत के संवैधानिक सुधार कर बात करने के लिए तैयार हो गए, उस समय भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन के प्रयास से प्रथम गोलमेज में सम्मेलन आंदोलन में बुलाया गया, लेकिन भारतीय नेताओं के साथ सही बातचीत नहीं होने के कारण यह सम्मेलन असफल हो गया, इस आंदोलन में गांधीजी भाग नहीं लिए सितंबर से दिसंबर 1931 में लंदन में दूसरा गोलमेज सम्मेलन शुरू हुआ, इस सम्मेलन में गांधीजी भाग लिए थे लेकिन यह भी सम्मेलन बिना कोई सफलता के विफल हो गया, 1932 में तीसरा गोलमेज सम्मेलन शुरू हुआ, लेकिन दो बार के विफलता के कारण तीसरी बार भारतीय कांग्रेस ने इस सम्मेलन में भाग नहीं लिया, इस तरह तीनो गोलमेज सम्मेलन बिना कोई सफलता के समाप्त हो गया |
प्रश्न 6. भारत विभाजन 1947 के कारणों का वर्णन करें ?
उत्तर – जैसे की हम सभी जानते हैं, कि 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी साथ ही उसी दिन भारत का विभाजन भी किया गया, भारत के बहुत से लोग नहीं चाहते थे, भारत का विभाजन हो भारत के विभाजन का स्वरूप बनाने वाले व्यक्ति लॉर्ड माउंटबेटन थे, इसलिए भारत के विभाजन को योजना का माउंटबेटन योजना कहते हैं, अतः भारत के विभाजन के निम्नलिखित कारण थे, जो इस प्रकार से है
क.अंग्रेजों की नीति थी कि फूट डालो और राज करो इसी के तहत विभाजन किया गया |
ख.कांग्रेश भारत और मुस्लिम लीग पाकिस्तान कभी भी कोई नीतिगत समझौता नहीं किया, जिसके कारण भारत का विभाजन हो गया |
ग.मुस्लिम लिंग के नेता मोहम्मद अली जीना की धार्मिकता के कारण, मुस्लिम हिंदू के बीच दंगे भड़क उठे और तो हिंसा के कारण भारत का विभाजन किया गया |
घ.उस समय भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन थे वे चाहते थे कि चलते-चलते भारत का विभाजन कर दिया जाए |
ङ. भारत में देसी रियासतों के शासक भी मनमानी की छूट करने के लिए भारत का विभाजन करना चाहते थे |
क.अंग्रेजों की नीति थी कि फूट डालो और राज करो इसी के तहत विभाजन किया गया |
ख.कांग्रेश भारत और मुस्लिम लीग पाकिस्तान कभी भी कोई नीतिगत समझौता नहीं किया, जिसके कारण भारत का विभाजन हो गया |
ग.मुस्लिम लिंग के नेता मोहम्मद अली जीना की धार्मिकता के कारण, मुस्लिम हिंदू के बीच दंगे भड़क उठे और तो हिंसा के कारण भारत का विभाजन किया गया |
घ.उस समय भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन थे वे चाहते थे कि चलते-चलते भारत का विभाजन कर दिया जाए |
ङ. भारत में देसी रियासतों के शासक भी मनमानी की छूट करने के लिए भारत का विभाजन करना चाहते थे |
प्रश्न 7. संप्रदायिकता के विकास के कारणों का वर्णन करें ?
उत्तर – सांप्रदायिकता भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अंग्रेजों के समय से ही भारत में सांप्रदायिकता का बोलबाला रहा है, अंग्रेजी शासन से लेकर आज तक भारतीय स्मप्रदायिकता के उदय और विकास का निम्नलिखित कारण थे जो इस पारकर है :-
क.फुट डालो और राज करो की निति के तहत अंग्रेजो नए भारत में राज किया इसके लिए अंग्रेजो के हिन्दू मुस्लिम के बिच सम्प्रदायिकता के बिज बो दिया जिसको आज तक हमलोग ढोह रहे है |
ख.मुसलमानों का आर्थिक एवं सांस्कृतिक पिछडापन भी सम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया और अंगेजो नए इन दोओ देशो को सत्ता सौप दिया और अपने देश चले गए |
ग.समाजवादी विचारधारा से प्रभावित इतिहासकारों नए अपने लेखन से हिन्दू मुस्लिम में फुट का बिज बो दिया |
घ.19 वीं एवं 20 वीं शताब्दी के धर्म सुधर आन्दोलन के प्रभाव के कारण ही सम्प्रदायिकता को बढने मे मदद मिला |
ङ.कुछ हिन्दू संगठन के प्रतिकिर्या वादियों नए सम्प्रदायिकता के भावना को उभडा, जैसे आ ए समाज हिन्दू महा सभा विश्व हिन्दू परिषद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ आदि |
ख.मुसलमानों का आर्थिक एवं सांस्कृतिक पिछडापन भी सम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया और अंगेजो नए इन दोओ देशो को सत्ता सौप दिया और अपने देश चले गए |
ग.समाजवादी विचारधारा से प्रभावित इतिहासकारों नए अपने लेखन से हिन्दू मुस्लिम में फुट का बिज बो दिया |
घ.19 वीं एवं 20 वीं शताब्दी के धर्म सुधर आन्दोलन के प्रभाव के कारण ही सम्प्रदायिकता को बढने मे मदद मिला |
ङ.कुछ हिन्दू संगठन के प्रतिकिर्या वादियों नए सम्प्रदायिकता के भावना को उभडा, जैसे आ ए समाज हिन्दू महा सभा विश्व हिन्दू परिषद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ आदि |
प्रश्न 8. 1947 के भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम के मुख्य विशेषताओ का वर्णन करे ?
उत्तर – माउंट बेटेन योजना के आधार पर भारत का बिभाजन किया गया था, भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम 1947 के आधार पर भारत को आजादी मिली, अतः भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है जो इस प्रकार से है :-
क. 15 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्थान नए नाम के दो देश बनाए गए और अंग्रेजो नए इन दोनों देशो को सत्ता सौप दिया और अपने देश चले गए |
ख.दोनों देश अब अपना अपना शासन चलाएंगे इसका भी इसमें प्रवधान किया गया |
ग.भारत और पाकिस्थान में यह अधिकार होगा की वी ब्रिरिस राष्ट्र मंडल की राष्ट्र सभा के सदस्य रहे या न रहे|
घ.भारत में मंत्री का पद अब समाप्त हो जाएगा |
ङ.जब तक नए चुनाव नहीं हो जाते है तब तक प्रति प्रधान मंडल काम करते रहेंगे |
च. 15 अगस्त 1947 के ब्रिटिश सरकार की देशी रिसायतो पर से सर्वोच्चता को समाप्त कर दिया जाएगा |
क. 15 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्थान नए नाम के दो देश बनाए गए और अंग्रेजो नए इन दोनों देशो को सत्ता सौप दिया और अपने देश चले गए |
ख.दोनों देश अब अपना अपना शासन चलाएंगे इसका भी इसमें प्रवधान किया गया |
ग.भारत और पाकिस्थान में यह अधिकार होगा की वी ब्रिरिस राष्ट्र मंडल की राष्ट्र सभा के सदस्य रहे या न रहे|
घ.भारत में मंत्री का पद अब समाप्त हो जाएगा |
ङ.जब तक नए चुनाव नहीं हो जाते है तब तक प्रति प्रधान मंडल काम करते रहेंगे |
च. 15 अगस्त 1947 के ब्रिटिश सरकार की देशी रिसायतो पर से सर्वोच्चता को समाप्त कर दिया जाएगा |
प्रश्न 9. दीन ए इलाही से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – अकबर सभी धर्मों के शाम को समझने के बाद अंत में इस निष्कर्ष पर पहुंचा, कि सभी धर्मों में कुछ न कुछ सच्चाई है, अतः धर्मों के सारे भेदभाव को दूर करने के उद्देश्य से दीन ए इलाही चलाया दीन ए इलाही का शाब्दिक अर्थ ईश्वर का धर्म दीन का अर्थ महजब या धर्म होता है, जबकि इलाही का अर्थ ईश्वर होता है इसके प्रमुख विधि विधान थे जो निम्नलिखित :-
क. दीन ए इलाही का प्रमुख सिद्धांत एक एकेश्वबाद था, इसके अनुसार संसार में एक ईश्वर के अतिरिक्त और कुछ नहीं है, अकबर उसका खलीफा है |
ख. दीन ए इलाही का सदस्य आपस में मिलने पर अल्लाह हू अकबर कह कर एक-दूसरे का अभिवादन करते थे |
ग. प्रत्येक सदस्य को कुछ दान देना पड़ता था |
घ. इसके सदस्य मछुआरों शिकार और कसाइवो के साथ खाना पान नहीं करते थे |
ङ. इसके सदस्य विधवा स्त्रियों और छोटी कुंवारियों से विवाह नहीं करते थे |
ख. दीन ए इलाही का सदस्य आपस में मिलने पर अल्लाह हू अकबर कह कर एक-दूसरे का अभिवादन करते थे |
ग. प्रत्येक सदस्य को कुछ दान देना पड़ता था |
घ. इसके सदस्य मछुआरों शिकार और कसाइवो के साथ खाना पान नहीं करते थे |
ङ. इसके सदस्य विधवा स्त्रियों और छोटी कुंवारियों से विवाह नहीं करते थे |