BSEB Class 10 Biology Notes | जीव जनन नोट्स जीव विज्ञान

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Bihar Board Class 10th Biology Solutions जीव जनन Subjective

प्रश्न 1. लसिका किसे कहते है ?
उत्तर – लसिका एक तरल पदार्थ है जो रंगहीन होता है | इसमें प्रोटीन ग्लूकोस एमोनी अम्ल लीफो साईट तथा फैगोसाइट्स कोशिकाएं पायी जाती है | लसिका में रक्त के अपेक्षा आक्सीजन कार्बन डाई आक्साइड कैल्सियम फास्फोरस जैसे पोषण पदार्थ कम पाए जाते है | यह एक संयोजी उत्तक है | लसिका शरीर के संक्रामण रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है |

प्रश्न 2. लसिका के क्या कार्य होते है ?
उत्तर – लसिका के निम्नलिखित कार्य होते है जो इस प्रकार से है –
क. लसिका हानिकारक जीवाणु को नष्ट करके शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है |
ख. लसिका उत्सर्जित पदार्थो को एकत्रित करता है |
ग. लसिका शरीर के अंगो एवं उत्तको की नालिकाओ को बनाने में सहायता करता है |

प्रश्न 3. पोषक सभी जीवो के लिए आवश्यक है कैसे ?
उत्तर – हम जानते है की सभी जीवो को कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है | और यह ऊर्जा भोजन करने से प्राप्त होती है | शरीर के टूटे – फूटे भागो के मरम्मत करने के लिए प्रोटीन आवश्यक है जो पोषण से प्राप्त होता है |

प्रश्न 4. किण्वन किसे कहते है ?
उत्तर – अनाक्सी श्वसन की वह प्रक्रिया जो जाइलम एंजाइम के प्रभाव से होता है | तथा जिसमे ग्लूकोस के सरलीकरण के फलस्वरूप इथाइल एल्कोहल एवं ऊर्जा उत्पन्न होते है | उसे हम किण्वन कहते है |

प्रश्न 5. रुधिर में रक्त कोशिकाओं की संख्या कितनी होती है ?
उत्तर – आयतन के हिसाब से रुधिर में रक्त कोशिकाओं की संख्या 45 % होती है |

प्रश्न 6. मानव के शरीर में वाहन तंत्र के कौन – कौन घटक है ? इन घटकों के क्या कार्य है ?
उत्तर – मानव के शरीर में वाहन तंत्र के निम्नलिखित घटक है जो इस प्रकार से है –

क. हृदय :- यह रुधिर को पम्प की तरह शरीर के विभिन्न भागो में भेजता है | यह अशुद्ध रक्त को शुद्ध होने के लिए फेफड़ा तथा गुर्दा में भेजता है |

ख. धमनियाँ :- यह शुद्ध रक्त को हृदय से दूर शरीर के विभिन्न भागो में भेजता है |

ग. शिराएँ :- यह अशुद्ध रक्त को हृदय तक लाने का कार्य करता है |

घ. प्लेटलेट्स या रक्त पट्टिकाणु :- यह चोट लगने टूट – फुट जाने या कट जाने पर रक्त को थका बनाने में मदद करता है |

ड. कोशिकाएँ :- यह रक्त को संकिन भगो में भेजने का कार्य करता है |

प्रश्न 7. हार्मोन किसे कहते है ?
उत्तर – हार्मोन वह रासायनिक यौगिक है जो रासायनिक दूत का काम करता है | ये जीवो के शरीर में रक्त संश्लेषित होता है |

प्रश्न 8. पादप हार्मोन किसे कहते है और इनके क्या कार्य है ?
उत्तर – पादप हार्मोन :- पौधे के जैविक क्रियाओं के बिच समन्वय स्थापित करने वाले रासायनिक पदार्थ को पादप हार्मोन कहते है |
इसके निम्नलिखित कार्य है जो इस प्रकार से है –
क. ये तना एवं पत्तियों की वृद्धि को नियंत्रित करता है |
ख. यह फूलो को पकने तथा फ्लो को पकाने का कार्य करता है |
ग. यह वाट रंधो की गतियो को नियंत्रित करता है |

प्रश्न 9. विलाई क्या है ?
उत्तर – छोटी आत के इलियम के भीती दीवार पर अंगुली के प्रवर्धन की तरह पाई जाने वाली रचनाएं जिसके द्वारा पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है | उसे विलाई या रासंकुर कहते है |

प्रश्न 10. मनुष्य का अमाशय कितने भागो में बाटा हुआ है ?
उत्तर – मनुष्य का अमाशय तीन भगो में बांटा होता है जो इस प्रकार से है –
क. अग्रभाग
ख. पिछला भाग
ग. तथा दोनों के बिच कुण्डिक भाग होता है |

प्रश्न 11. शाकाहारी जन्तुओ की छोटी अंत की लम्बाई मांसहारी जन्तुओ से अधिक होती है क्यों ?
उत्तर – शाकाहारी जन्तुओ में स्ल्युलोज का पाचन ठीक से नहीं हो पाता है | इसलिए छोटी अंत की लम्बाई अधिक होती है | जबकि मांसाहारी जन्तुओ के भोजन का पाचन अप्रेक्षा कृत सरल होता है | इसलिए इसमें छोटी आंत की लम्बाई कम होती है |

प्रश्न 12. आहारनाल तथा पाचन तंत्र से क्या समझते है ?
उत्तर – मानव तथा सभी उंच कश्रेणी के जन्तुओ में भोजन के पाचन हेतु विशेष अंग होते है | जिसको आहारनाल कहते है | जबकि आहारनाल और इससे सम्बन्ध पाचन ग्रंथियों एवं पाचन क्रिया मिलकर पाचन तन्त्र का निर्माण करती है |

प्रश्न 13. मनुष्य के हृदय में कितने वेश्म है ? तथा उनके नाम बतावे |
उत्तर – मनुष्य के हृदय में चार वेश्म पाए जाते है जो इस प्रकार से है –
क. दायाँ निलय
ख. बायाँ निलय
ग. दायाँ अलिंद
घ. बायाँ अलिंद

प्रश्न 14. पादप हार्मोन कितने प्रकार के होते है ? इसके कार्य बतावे |
उत्तर – पादप हार्मोन मुख्यतः पांच प्रकार के होते है जो इस प्रकार से है –

क. आंक्जिन :- आंक्जिन के कार्य निम्नलिखित है जो इस प्रकार से है –
i. यह जाइलम उत्तको के विकास में सहायक होता है |
ii. यह बीजो के अंकुरण को बढाता है |
iii. यह बिज hin फ्लो के उत्पादन में सहायक है |
iv. यह तनो के शीर्ष भाग कोशिका विभाजन में तेजी से वृद्धि करता है | जिसके कारण लम्बाई में वृद्धि होती है |

ख. जिब्रेलिन्स :- इस कार्य निम्नलिखित है जो इस प्रकार से है –
i. यह पत्तियों एवं फूलो की वृद्धि में सहायक होता है |
ii. यह पुरे पौधो में कोशिका दीर्धन में सहायक होता है |
iii. यह कैम्बिया की सक्रियता को बढ़ता है |
iv. यह बिजहिन् फ्लो के विकास में सहायक होता है |

ग. साइटोंकाईनिन :- इसके कार्य निम्नलिखित है जो इस प्रकार से है –
i. यह हार्मोन वृद्धि को प्रेरित करती है |
ii. यह बीजो के अंकुरण करने में सहायता करती है |
iii. यह कोशिका दृव्य के विभाजन में मुख्यतः भूमिका आदा करती है |
iv. यह जिब्रेलिंस के समान कोशिका दीर्धन में सहायता करती है |

घ. एब्सेसिक एसिड :- इसके कार्य निम्नलिखित है जो इस प्रकार से है –
i. यह वृद्धि को मंद करता है तथा फूलो एवं पत्तियों को पौधो से अलग करता है |
ii. यह प्रोटीन पर्णहरित तथा R.N.A के हानि को उत्प्रेरित करता है |

ड. एथिलीन :- इसके कार्य निम्नलिखित है जो इस प्रकार से है –
i. यह कृत्रिम यूप से फ्लो को पकाने का कार्य करता है | इसलिए इसे पकाने वाला हार्मोन भी कहा जाता है |
ii. यह गैस के रूप में पाया जाने वाला हार्मोन है |
iii. यह पौधो के तने के अग्र भाग में बनता है |

प्रश्न 15. पल्श क्या है ?
उत्तर – हृदय से रक्त को बाहर भेजने वाला बल जिसका अनुभव कलाई के धमनी द्वारा होता है पल्श कहलाता है |

प्रश्न 16. मूत्राशय का ट्राईगोन क्या है ?
उत्तर – मूत्र वाहिनियो के मुख से मूत्र के मार्ग के तिकोने क्षेत्र को मूत्राशय का ट्राईगोन कहते है |

प्रश्न 17. बबुल के पेड़ एवं चिड़ के उत्सर्जी पदार्थो के नाम बतावे ?
उत्तर – बबूल के उत्सर्जी पदार्थो को गोंद एवं चिड़ के उत्सर्जी पदार्थो के रेजिन कहा जाता है |

प्रश्न 18. हम एक अगरबत्ती के गंध का पत्ता कैसे लगाते है ?
उत्तर – हमारे अग्र मस्तिष्क में एस्मेल सेंटर होता है | जो गंध से सम्बन्धित सूचनाओं को प्राप्त करता है | इसके बाद उस केंद्र के दुसरे भाग में उन सूचनाओं का विश्लेषण होता है | पहले से गंध के सम्बन्ध में एकत्रित सूचनाओं से प्राप्त होने वाली गंध का मिलान किया जाता है | यदि गंध के सम्बन्ध में प्राप्त सुचना पहले से एकत्रित सूचनाओं से मेल खाता है | तो मस्तिष्क यह निष्कर्ष निकालता है की यह गंध अगरबत्ती का है |

प्रश्न 19. मूत्र पिला क्यों होता है ?
उत्तर – मूत्र का पिला रंग इसमें उपस्थित युरिक्रोम वर्णक के कारण होता है |

प्रश्न 20. जनन की किन्ही दो विधियों के नाम लिखे ?
उत्तर – जनन की दो विधियाँ इस प्रकार से है –
क. लौंगिक जनन
ख. अलैंगिक जनन

प्रश्न 21. लैंगिक जनन किसे कहते है ?
उत्तर – जनन की वह विधि जिसमे दो भिन्न लिंग अर्थात नर एवं मादा भाग लेते है | उसे लौंगिक जनन कहते है |

प्रश्न 22. अलैंगिक जनन किसे कहते है ?
उत्तर – जनन की वह विधि जिसमे जीवो का सिर्फ एक व्यष्टि भाग लेता है | और जनन के बाद उत्पन्न संताने अनुवांशिक गुणों से ठीक अपने जनको से समान होती है | उसे अलैंगिक जनन कहते है |

प्रश्न 23. अलैंगिक जनन कितने प्रकार के होते है |
उत्तर – अलैंगिक जनन दो प्रकार के होते है जो इस प्रकार से है –
क. विखंडन
ख. मुकलन
ग. अपखंडन या पुन्जर्नन
घ. बीजाणु जनन

प्रश्न 24. विखंडन किसे कहते है ?
उत्तर – अलैंगिक जनन की वह विधि जिसके द्वारा एक व्यष्टि से खंडित होकर दो या दो से अधिक व्यष्टियो की उत्पति होती है | उसे विखंडन कहते है |

प्रश्न 25. मुकलन किसे कहते है ?
उत्तर – मुकलन एक प्रकार का अलैंगिक जनन है जो जनन के शरीर के धरातल से कलिका फूटने या प्रवर्ध निकलने के फलस्वरूप सम्पन्न होता है | जनक शरीर के धरातल से कलिका फूटने के फलस्वरूप सम्पन्न होने वाले अलैंगिक जनन को मुकलन कहते है |

प्रश्न 26. विखंडन कितने प्रकार के होते है ?
उत्तर – विखंडन दो प्रकार के होते है जो इस प्रकार से है –

क. दृखंडन या दृविभाजन :- वैसा विभाजन जिसके द्वारा एक व्यष्टि से ख्न्द्ती होकर दो का निर्माण होता है | उसे दृखंडन कहते है |

ख. बहुखंडन :- वैसा विभाजन जिसके द्वारा एक व्यष्टि से खंडित होकर अनेक व्यष्टियो का निर्माण होता है | उसे बहुखंडन या बहुविभाजन कहते है |

प्रश्न 27. अपखंडन या पुनर्जनन क्या है ?
उत्तर – पुनर्जनन का शब्दिक अर्थ होता है | फिर से उत्पन्न होना | शरीर किसी खोए हुए अंग या उत्को की उत्पति पुनर्जनन कहलाता है |
जैसे : स्पाईरोगाइरा , हाइड्रा , नामक जीवो में पुनर्जनन पाया जाता है |

प्रश्न 28. पुनर्जनन का खोज किसने किया था ?
उत्तर – पुनर्जनन का खोज सर्वप्रथम 1740 में ट्रेम्बल हाईड्रा नए किया था |

प्रश्न 29. आर्वत चक्र ऋतू स्त्राव लौंगिक चक्र या मानसिक धर्म से क्या समझते है ?
उत्तर – पूर्व रजो स्त्राव से दुसरे रजो स्त्राव के बिच 25 से 28 दिनों के बिच चक्रीय क्रियाओं को मासिक चक्र कहते है |

प्रश्न 30. स्त्रियों में यौन आरम्भ किस आयु में शुरू होती है ?
उत्तर – स्त्रियों में यौन आरम्भ की शुरुआत 10 से 12 वर्ष की आयु में होती है |

प्रश्न 31. स्त्रियों में यौन आरम्भ के कौन – कौन से लक्षण है ?
उत्तर – स्त्रियों में यौन आरम्भ के निम्नलिखित लक्षण है |
क. स्तनों में वृद्धि
ख. ध्वनी का बदल जाना
ग. निः तम्बो में वृद्धि
घ. लडकियों में रजो धर्म का आरम्भ होना
ड. किल – मुहाश्य का निकलना

प्रश्न 32. पुरुषो में यौन आरम्भ के कौन से लक्षण है ?
उत्तर – पुरुषो में यौन आरम्भ के निम्नलिखित लक्षण है जो इस प्रकार से है –
क. दाढ़ी तथा मुछ का निकलना
ख. कंठ का फूटना
ग. मांसपेशियों में उभार आना
घ. चेहरे पर किल – मुहाशय का निकलना
ड. हाथ पैर एवं चहरे पर रोमो का आना
च. विपरीत लिंग के प्र्ति अधिक सजग

प्रश्न 33. द्रिखंडन और बहुखंडन में अंतर स्पष्ट करे ?
उत्तर – द्रिखंडन और बहुखंडन में निम्नलिखित अंतर है जो इस प्रकार से है –

क. द्रिखंडन :- 1. इस विधि में एक कोशिका दो कोशिकाओ में समान रूप से विभाजित हो जाता है | 2. यह समान परिस्थितियो में होती है | 3. यह एक तल में होती है |

ख. बहुखंडन :- 1. जबकि बहुखंडन में एक कोशिका बहुत सी कोशिकाओं में समान रूप से विभाजित हो जाता है | 2. जबकि यह विषम परिस्थितियों में होती है | 3. जबकि यह बहुतलीय होती है |

प्रश्न 34. जनन स्वास्थ्य क्या है ?
उत्तर – वे शारीरिक और मानसिक दशा जो सम्मिलित रूप से किसी नर आथवा मादा की जनन क्षमता को प्रभावित करती है | उसे हम जनन स्वास्थ्य कहते है |

प्रश्न 35. प्रतिवर्ती क्रिया क्या है ?
उत्तर – मनुष्य की अनैच्छिक क्रियाएं जिसका संचालन एवं समन्वय मेरुरजू के तंत्रिकाओ में होता है | इन क्रियाओं पर मनुष्य के इच्छा स्जक्ति का प्रभाव नहीं होता है | इसी क्रिया को हम प्रतिवर्ती क्रिया कहते है |
जैसे :- डर से कांपना , छिकना , भोजन देखकर मुहं में लार आना , पलके छिपकाना |

प्रश्न 36. जंतु हार्मोन किसे कहते है ?
उत्तर – वे रासायनिक दूत जो अंतस्रावी ग्रंथियों में उत्पन्न होकर सीधे रक्त में स्रावित होते है | और कम मात्रा में होने के बाद दूर स्थित शरीर के विशेष अंग पर अपना प्रभाव दिखाते है | उसे हम जंतु हार्मोन कहते है |
जैसे :- हार्मोन क्सेरुकी तथा हार्मोन अक्सेरुकी

प्रश्न 37. पौधो में लैंगिक जनन किस प्रकार होता है ?
उत्तर – पौधो में जनन अंग पुष्प में पाए जाते है | इसमें नर जनन अंग को पुंकेसर कहते है | तथा मादा जनन अंग को स्त्रीकेसर कहते है | पुंकेसर परागकण बनाते है | जो पीले रंग के होते है | स्त्रीकेसर फुल के केन्द्रक में रहता है | इसके तीन भाग होते है |
क. अंडाशय
ख. वर्तिका
ग. वर्तिकाग्र
स्त्रीकेसर के आधार पर फुले हुए भाग को अंडाशय कहते है | बिच का भाग जो लम्बा तथा पतला होता है | वर्तिका कहलाता है | तथा वर्तिका के शिखर पर फूली हुई छोटी चिपटी एवं चिपचिपा रचना होती है | जिसको वर्तिकाग्र कहते है |

प्रश्न 38. जन्तुओ में परिवहन कैसे होते है ?
उत्तर – बहुकोशिकाए जीवो में एक ख़ास प्रकार का परिवहन तंत्र होता है | जो आन्सिजन कार्बनडाई आक्साइड पोषक तत्व हार्मोन उत्सर्जी पदार्थ या अन्य उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न पदार्थो को शरीर के एक भाग से दुसरे भागो में ले जाता है | परिवहन तंत्र मुख्यत: तीन घटक है |
क. रुधिर
ख. हृदय
ग. रक्त वाहिनियाँ