Class 12th Hindi बातचीत Solutions Bihar Board,
पाठ – 1
शीर्षक – बातचीत
लेखक – बालकृष्ण भट्ट
जन्म – 23 जून 1844
मुत्यु – 20 जुलाई 1914
निवास स्थान – उत्तर प्रदेश इलाहबाद
प्रश्न 1. बातचीत की कला आर्ट ऑफ कनवरसेशन क्या है
उत्तर – आर्ट ऑफ कनवरसेशन बातचीत करने की एक कला है | जो यूरोप के लोगो में ज्यादा प्रचलित है | इसमें ऐसी चतुराई के साथ प्रसंग छोड़े जाते है | की जिन्हें सुनकर ही अत्यंत सुख मिलता है | साथ ही इसका अन्य नाम सुधगोष्ठी है |
प्रश्न 2. अगर हममे वाक्र्शक्ति न होती तो क्या होता ?
उत्तर – ईश्वर द्वारा प्रदान शक्तियों में वक्र्शक्ति मनुष्य के लिए वरदान है | वाक्र शक्ति के अनेक फायदों में स्पीच और बातचीत करने वाले का समावेश होता है | बातचीत के द्वारा एक दुसरे के संवादों को स्थानंतरण किया जाता है | अगर बातचीत न होती तो साड़ी दुनिया गूंगा हो जाती | कोई भी व्यक्ति अपने हृदय की बातो को दुसरे तक नहीं पंहुचा पाता | इसलिए संसार को सरस और सुंदर बनाने के लिए बातचीत आवश्यक है |
प्रश्न 3. रामरमौला का क्या अर्थ है ?
उत्तर – दो से अधिक लोगो के बिच बातचीत रामरमौला कहलाता है |
प्रश्न 4. बातचीत के संबंध में बेन जॉनसन और एडिशन के क्या विचार है
उत्तर – बातचीत मनुष्य के गुण और दोष को प्रकट करता है | जबतक किसी व्यक्ति से बातचीत नहीं होती है | तब तक उसके गुण और दोष के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता | इसी पर बेन जॉनसन साहब नए बताया है | की बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है जो सर्वदा उचित है |बातचीत के सम्बन्ध में एडिसन साहब बताए है | की असल बातचीत दो सिर्फ दो व्यक्तियों में ही हो सकती है | तीसरे के उपस्थिति में वह दोनों व्यक्ति दिल खोलकर बात नहीं करते है | उनकी बात की धरा ही बदल जाती है | जब चार या चार से अधिक व्यक्ति उपस्थित होते है तब वेतुकी की बाते होने लगती है | अर्थात मुख्य धारा से हटकर बातचीत शुरू हो जाती है |
प्रश्न 5. बातचीत निबंध के विशेषता बताइए
उत्तर – महान निबंधकार बालकृष्ण भट्ट नए इस निबंध के माध्य से बाते है | की जिससे उत्तम प्रकार का बातचीत अपने में वह शक्ति पैदा करना है | जिससे व्यक्ति एक बढ़िया वक्ता बन सके बोलने से ही मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है | जब तक कोई व्यक्ति नहीं बोलता है | तब तक उसके गुण और दोष के बारे में पता नहीं किया जा सकता है | बातचीत के माध्यम से ही एक मनुष्य दुसरे मनुष्य के सामने अपने दिल के बताओ को खुलकर बोलता है | बातचीत के माध्यम से ही कोई वक्ता मीटिंग से लेकर सभा तक लोगो को आकर्षित करता है | एक तरफ से देखा जाए तो बातचीत वह केंद्र बिंदु है | जिसके माध्यम से मनुष्य के अंदर छिपे हुए गुण दोष को सहज ही समझा जा सकता है | अतः स्पष्ट है की मौन रहने से व्यक्ति का पता लगाना आसान नहीं है |
Bihar Board Class 12 Hindi Solutions उसने कहा था,
पाठ - 2
शीर्षक : उसने कहा था
लेखक : चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
जन्म : 7 जुलाई 1883
मुत्यु : 12 दिसम्बर 1922
प्रश्न 1.बोधा सिंह कौन थे ?
उत्तर – बोधा सिंह हजारा सिंह का पुत्र था | जो अपने पिता के साथ अर्थात हजारा सिंह के साथ युद्ध स्थल पर विरजमान था | उसकी माता सूबेदारनी थी |
प्रश्न 2.कहानी उसने कहा था के पात्रों की सूची बनाइए ?
उत्तर – कहानी का मुख्य पात्र लहाना सिंह है | जिसकी इर्ध-गिर्द कहानी के घटनाक्रम घूम रहे हैं | इसके अतिरिक्त अन्य पात्र निम्नलिखित है | जो इस प्रकार से है:-
i.एक बालिका :- जिसकी भेट कभी बचपन अवस्था में लहना सिंह से हुई थी तथा बाद में उसका विवाह सूबेदार हजारा सिंह के साथ हुआii. लहना सिंह :- कहानी के मुख्य पात्र
iii.हजारा सिंह :- सूबेदार
iv.बोधा सिंह :- हजारा सिंह का पुत्र
v. लपटन साहब :- सेना का एक उच्च अधिकारी
vi.वजीरा सिंह :- एक सैनिक
i.एक बालिका :- जिसकी भेट कभी बचपन अवस्था में लहना सिंह से हुई थी तथा बाद में उसका विवाह सूबेदार हजारा सिंह के साथ हुआ
ii. लहना सिंह :- कहानी के मुख्य पात्र
iii.हजारा सिंह :- सूबेदार
iv.बोधा सिंह :- हजारा सिंह का पुत्र
v. लपटन साहब :- सेना का एक उच्च अधिकारी
vi.वजीरा सिंह :- एक सैनिक
iii.हजारा सिंह :- सूबेदार
iv.बोधा सिंह :- हजारा सिंह का पुत्र
v. लपटन साहब :- सेना का एक उच्च अधिकारी
vi.वजीरा सिंह :- एक सैनिक
प्रश्न 3.उसने कहा था कहानी पहली बार कब प्रकाशित हुई थी ?
उत्तर – उसने कहा था कहानी पहली बार 1915 में प्रकाशित हुई थी |
प्रश्न 4.लहना सिंह कौन था अथवा लहना सिंह के बारे में संक्षेप में बताइए ?
उत्तर – लहना सिंह उसने कहा था | शीर्षक कहानी का एक नायक है | वह एक वीर सैनिक है | उसे अपने प्राणों की चिंता नहीं है | वह दिए गए वचन को निभाना चाहता था | वह प्रेम से लबालब भरा हुआ है| लहाना सिंह अपने वचन को निभाते हुए गोली का शिकार बनता है | और अपने प्राण को गंवा बैठता है | आज संसार में प्रेम के प्रति ऐसा पवित्र समर्पण प्रेमी इस संसार में कम ही देखने को मिलता है |
प्रश्न 5.लहना सिंह के साथी का क्या नाम है ?
उत्तर – लहना सिंह के साथी का नाम वजीर सिंह है मरते समय लहना सिंह का सिर वजीर सिंह की गोद में था| मांगने पर वह उसे पानी पिलाता है | और लहना की मौत पर वजीर सिंह फूट-फूट कर रोता है |
प्रश्न 6.लहना सिंह नए बोधा के प्रति किस त्याग का परिचय दिया ?
उत्तर – खंदक में बोधा सिंह बीमार था उस पर लहना सिंह पूरा ध्यान देता था | भले ही लहना सिंह अपने दर्द को बर्दाश करता है | और अपने कम्बल और जर्सी बोधा सिंह को दे देता है | वह झूठ बोलता है की बिलायत से मेमो नए गर्म जर्सिया बुनकर भेजी है | उसे भी एक गर्म जर्सी मिली है , इस तरह लहना सिंह नए बोधा के प्रति त्याग का परिचय दिया था |
प्रश्न 7.चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का साहित्यिक परिचय दीजिए ?
उत्तर – चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी का जन्म सन 1883 ई. में जयपुर में हुआ था | इनके पूर्वज कांगड़ा के गुलेरी नामक स्थान से आकर वहां बसे थे | संस्कृत और अंग्रेजी के प्रखंड विद्वान थे | वे अजमेर के मेयो कॉलेज में बहुत दिन तक अध्यापन का कार्य किया | उसके पश्चात अंत में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कार्यवाहक प्रधान के पद पर नियुक्त किए गए|
प्रश्न 8.लहना सिंह के प्रेम के बारे में लिखिए अथवा उसने कहा था का केन्द्रीय भाव निरुपित करे ? आथवा उसने कहा था का मार्मिकता ओर प्रकाश डाले ?
उत्तर – उसने कहा था कहानी प्रेम पर आधारित है, लहना सिंह और सूबेदारनी का प्रेम बचपन से ही अंकुरित हो चूका था | दोनों बचपन में अमृतसर में मामा के यहाँ गए थे | दोनों का भेंट एक दुकान पर हुई और उसी समय से ही दोनों के बिच प्रेम का अंकुरित जन्म लिया | संयोगवश वो लड़की की शादी एक सूबेदार से हो गई | सूबेदार फौज में सूबेदार के पड़ कार्य कर रहा था | लेखक खाने का दूसरा दृश्य 25 साल बाद में शुरू करते है, जब एक सूबेदार हजारा सिंह उसका पुत्र बोधा सिंह लहना सिंह के साथ – साथ काम करते है | एक केस के पैरवी करने के लिए लहना सिंह गाँव आता है | रास्ते में सूबेदार के भाग से सूबेदार का घर पड़ता है | लहना सिंह उसी रास्ते घर जाता है | लौटते समय वह सूबेदार के घर आता है | सूबेदारनी लहना सिंह को अपने घर के अंदर ले जाती है | सूबेदारनी लहना सिंग को देखते ही पहचान जाती है | परन्तु लहना सिंह नहीं पहचान पते है तब सूबेदारनी 25 साल पहले वाली बात को दुहराती है | क्या तेरी कुडमाई हो गई इस वाक्य को सुनकर 25 साल पहले वाली घटना याद आ जाती है| उसके बाद सूबेदारनी उस समय की एक घटना को या दिलाती है | जब वह टाँगे के निचे चली गई थी | तब लहना सिंह नए अपनी प्राण की बाजी लगाकर उसे बचाया था | सूबेदारनी उसी प्रकार से अपनी बेटा और पति को युद्ध से बचाने के लिए अपनी आंचल फैलाकर प्राण की रक्षा के लिए भीख मांगती है| युद्ध में सूबेदारनी के वचन को पूरा करने के लिए लहना अपने प्राण की बाजी लगा देता है | और बोधा सिंह तथा हजारा सिंह की रक्षा करता है |
Class 12th Hindi Solutions सम्पूर्ण क्रांति Subjective,
पाठ-3
लेखक : जयप्रकाश नारायण
शीर्षक : सम्पूर्ण क्रांति
जन्म : 11 अक्टूबर 1902
मुत्यु : 8 अक्टूबर 1979
जन्म स्थान : सिताब दियारा गाँव
माता : फुलरानी
पिता : हरसूदयाल
प्रश्न 1.आंदोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण का क्या विचार था अथवा जयप्रकाश नारायण किस प्रकार का नेतृत्व देना चाहते थे ?
उत्तर – जयप्रकाश नारायण ने अपने दो मित्रों दिनकर जी और बेनीपुरी जी की यादगार और अपनी जिम्मेवारी का पूरा अहसास था | छात्रों का आग्रह हुआ कि आंदोलन का वह नेतृत्व करें पर क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने बिना स्वार्थ के काम करेंगे | लेकिन सभी के बातों को सुनेंगे और सभी को संघर्ष करना पड़ेगा | तथा मेरे फैसलों को मानना पड़ेगा तब जाकर या क्रांति सफल हो सकती है |
प्रश्न 2.किसके अहवाह्न पर जयप्रकाश नारायण ने कॉलेज छोड़ा था ?
उत्तर – जयप्रकाश ने गांधी जी के अहवाहन पर कॉलेज छोड़ा था |
प्रश्न 3.दिनकर जी का निधन कहां और किन परिस्थितियों में हुआ था ?
उत्तर – दिनकर जी का निधन रामनाथ गोयनका जी के घर हुआ था | निधन के दिन दिनकर जी जेपी से मिलने गए थे, उसी रात्रि में वह जेपी के मित्र रामनाथ गोयनका के घर पर मेहमान थे , रात को दिल का दौरा पड़ा 3 मिनट में उनको अस्पताल पहुंचाया गया, वहां पर सारी व्यवस्था थी सभी डॉक्टर सब तरह से तैयार थे, लेकिन दिनकर जी फिर भी जिंदा नहीं हो पाए उसी रात उनका निधन हो गया |
प्रश्न 4.जयप्रकाश नारायण के अनुसार डेमोक्रेसी का शत्रु कौन थे ?
उत्तर – जयप्रकाश नारायण के अनुसार डेमोक्रेसी के शत्रु हुए हैं, जो जनता के विचारों का विरोध करते हैं, उस पर लाठियां चलाते हैं, तथा गोलियां बरसाते हैं उनके शांति में बाधा डालते हैं, उनके आवाज को दबाने का प्रयास करते हैं, वैसे लोग डेमोक्रेसी का शत्रु है |
प्रश्न 5.हिंदी कहानी की के विकास की तीन चरण कौन कौन से है ?
उत्तर – हिंदी कहानी के विकास की तीन चरण निम्नलिखित है जो इस प्रकार से है |
i. प्रेमचंद्र के पूर्व युग की कहानी (1901-1914)
ii. प्रेमचंद्र युग की कहानी (1914-1936)
iii. प्रेमचंद्र युग की बात की कहानी (1936 - आजतक)
i. प्रेमचंद्र के पूर्व युग की कहानी (1901-1914)
ii. प्रेमचंद्र युग की कहानी (1914-1936)
iii. प्रेमचंद्र युग की बात की कहानी (1936 - आजतक)
प्रश्न 6.लहना सिंह लपटन साहब से शिकार वाले प्रसंग की चर्चा क्यों करता है ?
उत्तर – लहना सिंह को लपटन साहब पर जर्मन जासूस होने का संदेह हो गया था |
प्रश्न 7.लहना सिंह का सपना क्या था ?
उत्तर – लहना सिंह का सपना था कि उसका अपने गांव में बाग़ हो जिसमें खखुज आम फल फूल जैसे पौधे लगे हो |
प्रश्न 8.सूबेदार और उसका बेटा लड़ाई में क्यों गया ?
उत्तर – सूबेदार की अंग्रेज सरकार से बहादुरी का किताब और जमीन जायदाद मिली थी, उन्हें इसके बदले में अपनी वफादारी निभानी थी |
प्रश्न 9.भ्रष्टाचार की जड़ क्या है ?
उत्तर – भ्रष्टाचार की जड़ सरकार की गलत नीतियां है, यह गलत नीतियों के कारण भुखमरी महंगाई और भ्रष्टाचार है, बिना रिश्वत दिए किसी प्रकार के काम नहीं हो रही है, हमारे नौजवानों का भविष्य अंधकार में पड़ रहा है, चारों तरफ भ्रष्टाचार फैला हुआ है, इसे दूर करने के लिए समाजवादी तरीकों से सरकार ऐसी नीतियां बनाई जो लोक कल्याणकारी हो |
प्रश्न 10.बातचीत निबंध का सारांश लिखिए ?
उत्तर – बातचीत निबंध बालकृष्ण भट्ट द्वारा लिखी गई है, बालकृष्ण भट्ट बातचीत के माध्यम से मनुष्य को ईश्वर द्वारा दी गई, अनमोल वस्तु का वावाक्र्शक्ति का सही इस्तेमाल करने को बताते हैं, वह बताते हैं , कि यदि वाक्र्शक्ति मनुष्य में ना होती तो हम नहीं जानते, कि इस गूंगी सृष्टि का क्या हाल होता सभी लोग, सऊदी लोग मानव लुंज पुंज अवस्था में कोने में बैठे होते, बातचीत के विभिन्न तरीके होते हैं, घरेलू बातचीत मन बहलाने का ढंग है, वे बताते हैं कि जहां आदमी की अपनी जिंदगी मजेदार बनाने के लिए खाने-पीने चलने फिरने आदि की जरूरत है, ठीक उसी प्रकार बातचीत भी मनुष्य के जीवन के लिए अति आवश्यक है | जब तक मनुष्य बातचीत नहीं करता, तब तक उसके गुण दोष के बारे में पता नहीं लगाया जा सकता, अगर मनुष्य के अंदर कुछ गलतफहमियां या धुआ जमा हो जाता है, तब वह बातचीत के जरिए उसे दूर किया जा सकता है, उसके बाद उसका मन स्वक्ष और आनंदमय हो जाता है, जब दो व्यक्ति आपस में बात करते हैं, तो वह दिल की बात खुलकर करते हैं, परंतु जब दो या दो से अधिक व्यक्ति हो जाते हैं, तो केवल राम रमौल की बात होती है, बालकृष्ण भट्ट बातचीत का उत्तम तरीका यह मानते है, की हम वह शक्ति पैदा करे की अपने आप बात कर सके |
Bseb Class 12 Hindi Book Solutions अर्धनारीश्वर,
पाठ - 4
शीर्षक : अर्धनारीश्वर
लेखक : रामधारी सिंह दिनकर
जन्म : 23 सितम्बर 1904
मुत्यु : 24 अप्रैल 1974
निवास स्थान : सिमरिया बेगुसराय
प्रश्न 1. बुद्ध ने आनंद से क्या कहा
उत्तर –बुद्ध ने आनंद से कहा मैंने जो धर्म चलाया था वह 5000 वर्ष तक चलने वाला था, | किंतु अब वह 500 वर्ष चलेगा क्योंकि नारियों को बोध भिक्षुणी होने का अधिकार दे दिया गया |
प्रश्न 2. नारी की पराधीनता कब से प्रारंभ हुई
उत्तर –जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया, | तो नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा यहां से जिंदगी दो टुकड़ों में बट गई, | घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवनी निसीमित हो गया एवं छोटी जिंदगी बड़ी जिंदगी के अधीन होती चली गई, | कृषि के विकास के साथ ही नारी की पराधीनता आरंभ हो गई |
प्रश्न 3. स्त्रीयोचित गुण क्या है
उत्तर –दया माया सहनशीलता एवं ममता यह सब स्त्रीयोचित गुण कहे जाते हैं |
प्रश्न 4. पुरुष जब नारी का गुण लेता है तो वह क्या बन जाता है
उत्तर –पुरुष जब नारी का गुण अपना लेता है, | तो उसकी मर्यादा हिन् नहीं होती बल्कि उसके पूर्णता की विधि ही होती है ,| पुरुष और नारी की कोमलता दाया सरलता जैसे गुण अपने में ले लेता है, | तो उसके जीवन में पूर्णता का बोध होता है |
प्रश्न 5. अर्धनारीश्वर की कल्पना क्यों की गई है
उत्तर –अर्धनारीश्वर शंकर और पार्वती की कल्पित रूप है, | आधा अंग स्त्री तथा आधा अंग पुरुष का है,| एक ही मूर्ति में दो आंखें है, | एक मई दूसरी विकराल एक ही मूर्ति के दो भुजाएं है, | एक त्रिधुल उठाए और दूसरी की हाथो में चुदिया एवं एक ही मूर्ति के दो पांव है, | एक जड़ीदार साडी से ढका हुआ, | और दूसरा बागाम्बर से ढका हुआ, | यह कल्पना निश्चित ही शिव एवं शक्ति के बिच समन्यव दिखने के लिए की गई होगी |
प्रश्न 6. यदि संधि कीबात कुन्ति और गांधारी के बीच हुई होती तो शायद बहुत संभव था कि महाभारत न मचता लेखक के इस कथन की से आप क्या समझते हैं
उत्तर –लेखक नारी के गुण की चर्चा करते हुए कहते हैं, | कि स्त्री दयामया और करुना का प्रतीक है, | इस गुण के कारण नारी विनम्र और दयावान होती है ,| नारी किसी भी हालत में किसी की हत्या के बारे में नहीं सोचती है, | और ना ही उसमें क्रोध की भावना जगती है इसी गुण के कारण कहा गया है, | कि संधि अगर दुर्योधन और कृष्ण के बीच ना होकर गांधारी और कुंती के बीच होता तो, यह महाभारत ना होता, | पुरुष में क्रोध का गुण होता है, जिसमें संपूर्ण के बदले की भावना होती है, | और स्त्री में संपूर्ण की भावना होती है, दुर्योधन के अधर्म के कारण ही महाभारत हुआ |
प्रश्न 7. प्रवृति मार्ग और निमृति मार्ग क्या है
उत्तर –पुरुषों की मान्यता है, कि नारी आनंद का खान है | जो पुरुष जीवन से आनंद चाहते थे, | उन्होंने नारी को गले लगाया वे प्रवृत्ति मार्ग है, | अर्थात जिस मार्ग के द्वारा नारी की पद मर्यादा उठती है,| उसे प्रवृत्ति मार्ग कहते हैं, | निमृति मार्ग वे हैं, | जिन्होंने अपने जीवन के साथ नारी को भी धकेल दिया है, और सन्यास ग्रहण किया वैसे मार्ग को निमृति मार्ग कहते हैं |
प्रश्न 8. स्त्री को अहेरिन नागिन और जादूगरनी कहने के पीछे क्या मानसा होती है
उत्तर –स्त्री को अहेरिन नागिन और जादूगरनी कहने के पीछे उनकी मानसा अवहेलना करना है, | इसकी इलाज इसलिए पुरुष करता है, | क्योंकि उनसे अपनी दुर्बलता नहीं देखें जाते, और जादूगर के गुण नारी में कम और पुरुष में ज्यादा होते हैं, | शिकार करना तो मुख्य रूप से पुरुष का ही स्वभाव है, | और कोई स्त्री को इस तरह से नीचे उपाधियों से विभूषित करना उचित नहीं है, |
प्रश्न 9. रामधारी सिंह दिनकर लेखक का संक्षिप्त परिचय दें
उत्तर –राष्ट्रकवि दिनकर जी का जन्म 23 सितंबर 1908 को सिमरिया जिला बेगूसराय में हुआ था, | उन्होंने B.A तक पटना विश्वविद्यालय से पढ़ाई सीतामढ़ी में सब रजिस्टर्ड के पद पर कार्य किए,| 1952 से 1964 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे, | 1964 से 1965 भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नियुक्त हुए, | 1965 से 1971 तक भारत सरकार के हिंदी सलाहकार रहे, इनकी 50 कृतियां प्रकाशित हुई, | उनमे प्रमुख रूप से रशिम रथी उर्वशी अर्धनारीश्वर इत्यादि है, |संस्कृत के चार अध्याय पर साहित्य अकादमी एवं उर्वशी पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए गए इन्हें राष्ट्र कवि से भी नवाजा गया, |
प्रश्न 10. अर्धनारीश्वर शीर्षक का सारांश अपने शब्दों में लिखें
उत्तर –रामधारी सिंह दिनकर जी अर्धनारीश्वर निबंध के माध्यम से यह मत लाना चाहते हैं, | कि नर नारी पूर्ण रूप से समान है, | एवं उनमें एक के गुण दूसरे के दोष नहीं हो सकते, | अर्थात नरो में नारियों के गुण आ जाए, | तो इससे उनकी मर्यादा हीन नहीं होती है, दिनकर का यह रूप कहीं देखने को नहीं मिलता, | इसलिए भी दुखी है, | उनका मानना है | कि संसार में सभी जगह पुरुष और स्त्री है, | वह कहते हैं, | कि नारी समझती है कि पुरुष के गुण सीखने से उसके नारीत्व में बाटा लगेगा, इसी प्रकार पुरुष समझते हैं, | कि स्त्री के गुण अपना कर वह स्त्री जैसा हो जाएंगे, | इस विभाजन से दिनकर दुखी है,| यही नहीं भारतीय समाज को जानने वाले 3 बड़े चिंतकों रविंद्र नाथ टैगोर प्रेमचंद्र प्रसाद के चिंतन से भी दुखी है, | दिनकर मानते हैं कि यदि ईश्वर ने आपस में धूप और चांदनी का बंटवारा नहीं किया है, | तो हम कौन होते हैं,| आपसी गुण को बांटने वाले नारी की पराधीनता के बारे में दिनकर जी बताते हैं, | की पुरुष ने अपना वर्चस्व जमाने के लिए नारी को गुलाम कर लिया, | जब से खेती शुरू हुई, तब से पुरुष बाहर तथा नारी को अंदर रखने लगी पुरुष ने नारी को आगे विलास और आनंद की वस्तु समझकर उपयोग करने लगा, | कवि शीर्षक से बताते हैं, कि नर और नारी एक समान वे दोनों एक सिक्के का पहलू है, | जब तक वे दोनों अलग रहेंगे, | तब तक वे दोनों अधूरे हैं ,| इसलिए यह दोनों को एक साथ रह कर काम करना चाहिए ,|
Bihar Board 12th Class Hindi Chapter 5 रोज,
पाठ – 5
शीर्षक : सच्चितानंद हीरानंद वात्सयय अज्ञेय
जन्म : 7 मार्च 1911
मुत्यु : 4 अप्रैल 1987
निवास स्थान : कर्तारपुर पंजाब
प्रश्न 1.मालती की पति महेश्वर की छवि को बतावे ?
उत्तर – महेश्वर किसी पहाड़ी कसबे में एक सरकारी डिस्पेंसरी में डॉकटर है रोज डिस्पेंसरी जाना मरोजो को देखना , गैग्रिन का अपरेशन करना थका – मदा घर लौटना यही महेश्वर की दिनचर्या है महेश्वर हर तीसरे – चौथे दिन एक गैग्रिन का अपरेशन करता है किन्तु वे अपने घर में ही वाही गैग्रिन वह एक रास्ता मुंह फैलाए उपस्थित है जिसका हम कुछ नहीं बिगाड़ पाते महेश्वर के घर में गैग्रिन से बड़ी भी उदासी है परन्तु उसका इलाज वह नहीं कर पाता है |
प्रश्न 2. गैग्रिन क्या है ?
उत्तर – पहाडियों पर रहने वाले व्यक्तियों को कांटा चुबना आम बात है , परन्तु काँटा चुभन के बाद बहुत दिनों तक छोड़ देने के बाद व्यक्ति का पाँव का जख्म का दर्द बहुत बढ़ जाता है, जिसका इलाज मात्र पाँव काटना ही है काँटा चुभने पर जख्म ही गैग्रिन है |
प्रश्न 3.मालती और लेखक के संबंध का परिचय पाठ के आधर पर दे ?
उत्तर – लेखक मालती के दूर के रिश्ते का भाई है, किन्तु लेखक का संबंध भाई – बहन का ही रहा है, लेखक और मालती बचपन में एक साथ इकठ्टे खेले थे, लादे भी थे साथ में पिटा-पिटी भी किए थे, लेखक की पढाई भी मालती के साथ ही हुई थी, दोनों का प्रेम कभी भाई तथा कभी साथी का रहा है |
प्रश्न 4.रोज कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखे अथवा रोज का कथानक प्रस्तुत करे ?
उत्तर – कहानी के पहले भाग में मालती द्वारा अपने भाई के अप्चारिक स्वागत का उल्लेख है, जिससे कोई उत्साह नहीं है, घर पर अतिथि के आने पर कुशल समाचार तक नहीं पूछती है, प्रश्नों को संक्षिप्त में उत्तर देती है, बचपन में बातूनी करने वाली लड़की शादी के दो वर्षो बाद इतनी चुप रहती है, की लगता है उसके ऊपर काली साया मंडरा रही है, मालती अन्दर से काफी दुखी रहती है, जिससे स्पष्ट होता है, उसका जीवन काफी निरश हो रहा है, मालती का बच्चा तिरी बराबर रोता है, परन्तु मालती उसे सही तरह से पालन नहीं कर पाती है, बच्चा चिडचिडा हो जाता है, मालती दिनभर काम करती है, पति खाने के बाद दोपहर 3 बजे और रात में 10 बजे के बाद ही भोजन करती है, बच्चे का रोज रोना मालती को देर से भोजन करना पति को सुबेरे डिस्पेंसरी जाकर दोपहर को लौटना और शाम को फिर डिस्पेंसरी में रोगियों को देखना यह सब कुछ मालती के जीवन में रोज एक ही जैसा है, इस लिए कवि इस कहानी का शीर्षक रोज रखा है, मालती के जीवन निराशापूर्ण बीत रहा है| घर में अकेलेपन महसूस हो रहा है, लेखक इनकी दुर्दशा को देखकर यह कहता है, की बचपन में चहक – पहक वाली लड़की आज कैसे शांत और उषाउपन जीवन जी रही है, मालती के जीवन में निराशा ही निराशा है
प्रश्न 5.मालती के घर का वातावरण कैसा था अर्थात मालती के चरित्र का मनोवैज्ञानिक उदघटना प्रस्तुत करे| अथवा रोज कहानी में मालती को देखकर लेखक नए क्या कहाँ ?
उत्तर – कहानी के प्रथम भाग में ही मालती के उदासिपन जीवन की झलक मिल रही है, जब वह अतिथि का स्वागत केवल अप्चारिक ढंग से करती है, जबकि अतिथि उसके रिश्ते का भाई है, ज्सिके साथ वह बचपन नए खूब खेलती थी, पर वर्षो के बाद आए भाई का स्वागत उत्साह पूर्वक नहीं कर पाती, बल्कि जीवन की अन्य अपचारिक्ताओ की तरह एक और अपचारिकता निभा देती है , ;लेखक देखते है की मालती अतिथि से कुछ नहीं पूछती, बल्कि उसके प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर ही देती है, मालती के घर में काफी उदासी है, उसे अकेलापन हमेशा महसूस होता है, मालती के पति के घर से चले जाने के बाद सुबह रात से 11 बजे तक घर के कार्यो में व्यस्त रहती है, उसका जीवन उबाऊ और उदासी के बिच हमेशा चलता है, किसी तरह के ख़ुशी और उल्लास उसके जीवन में नहीं है |
Class 12th Hindi Solutions Chapter 6 एक लेख और एक पत्र,
पाठ – 6
शीर्षक : एक लेख और एक पत्र
लेखक : भगत सिंह
जन्म : 28 दिसम्बर 1907
मुत्यु : 23 मार्च 1931
निवास स्थान : बंगा चक्क न. 105 गुगैरा लायलपुर
प्रश्न 1.भगत सिंह कैसे देश सेवको की जरूरत महसूस करते है ?
उत्तर –जो तन मन धन देश पर अर्पित करें, और पागलों की तरह सारी उम्र देश में लगा दे, ऐसे लोगों की जरूरत भगत सिंह महसूस करते हैं |
प्रश्न 2.कैसी मृत्यु को भगत सिंह आदर्श मुत्यु मानते हैं ?
उत्तर –संघर्ष में मरना एक आदर्श मृत्यु है |
प्रश्न 3.विद्यार्थियों को राजनीति में भाग क्यों लेना चाहिए ?
उत्तर –विद्यार्थी देश के कर्णधार होते हैं, आने वाले समय में उन्हें देश की बागडोर अपने हाथों में लेनी है, उन्हें देश की समस्याओं और सुधार में हिस्सा लेना है,
और देश के विकास के लिए विद्यार्थियों को राजनीति में भाग लेना चाहिए, क्योंकि सत्ता राजनीतिको के हाथ में होती है, छात्र जीवन में विद्यार्थी को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य सामाजिक कार्य को भी देखना चाहिए, विद्यार्थियों में नई नई ऊर्जा होती है, इसलिए वह कोई भी काम को कर सकते हैं |
प्रश्न 4.भगत सिंह की विद्यार्थियों से क्या अपेक्षाएं हैं ?
उत्तर –भगत सिंह कहते हैं कि हिंदुस्तान को वैसे देश सेवकों की जरूरत है, जो तन मन धन को अर्पित कर दे सारी उम्र देश की आजादी के लिए या देश के विकास पर निछावर कर दे, यह कार्य सिर्फ विद्यार्थी ही कर सकते हैं, विद्यार्थियों को जरूरत पड़े, तो देश के लिए अपने प्राण को भी निछावर कर देना चाहिए, यही अपेक्षा विद्यार्थियों से भगत सिंह को है |
प्रश्न 5.एक लेख और एक पत्र कहानी का सारांश लिखें ?
उत्तर –भगत सिंह विद्यार्थी और राजनीति के माध्यम से बताते हैं, कि विद्यार्थी को पढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक में भी भाग लेना चाहिए, यदि कोई इसे माना कर रहा है तो समझना चाहिए, यह राजनीति के पीछे घोर षड्यंत्र है, क्योंकि विद्यार्थी युवा होते हैं, उन्हीं के हाथ में देश की बागडोर है, भगत सिंह व्यवहारिक राजनीति का उदाहरण देते हुए, नौजवानों को यह समझाते हैं, कि महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस का स्वागत करना, और भाषण सुनना या व्यवहारिक राजनीतिक नहीं है, तो और क्या है भगत सिंह मानते हैं, कि हिंदुस्तान को इस समय से देश सेवकों की जरूरत है, जो तन मन धन को देश के प्रति अर्पित कर दे, और पागलों की तरह सारी उम्र देश की आजादी या उसके विकास में निछावर कर दे, क्योंकि विद्यार्थी देश दुनिया के हर समस्याओं से परिचित होते हैं, उनके पास अपना विवेक होता है, वह इन समस्याओं के समाधान में योगदान दे सकते हैं, अतः विद्यार्थी को राजनीतिक में भाग लेना चाहिए |
प्रश्न 6.भगत सिंह के इस पत्र से उनकी गहन वैचारिक अर्थात वादी दृष्टि का मिलता है पत्र के आधार पर इसकी पुष्टि कीजिए ?
उत्तर –भगत सिंह ने इस पत्र में तीन-चार सवालों पर विचार किया है, जिनमें आत्महत्या जेल जाना कष्ट सहना मुत्युदंड और रूसी साहित्य है,भगत सिंह के आत्महत्या के संबंध में विचार है, की केवल कुछ दुखो से बचने के लिए अपने जीवन को समाप्त कर लेना कहाँ तक सही है, एक क्षण में समस्त पुराने अर्जित मूल को खो देना मुर्खता है, अतः व्यक्ति को संघर्ष करना चाहिए भगत सिंह कहते हैं, कि हमें कष्ट सहने से नहीं डरना चाहिए, क्योंकि बिपतिया ही व्यक्ति को पूर्ण बनाता है, भगत सिंह का विचार है, कि केवल बिपतिया सहन करने से साहित्य उल्लेख ने ही स्धाद्यता गहरी तिस और उनके चरित्र और साहित्य में उचिया उत्पन्न की है, इसप्रकार हम पाते है, की भगत सिंह की व्याचारिकता घरातल पर टिकी हुई आजीवन संघर्ष का सन्देश देती है |
प्रश्न 7.भगत सिंह का संक्षिप्त परिचय दें ?
उत्तर –भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को बंगा चौक पाकिस्तान में हुआ था, माता विद्यावती और पिता सरदार किरान सिंह थे, इनका संपूर्ण परिवार ही स्वाधीनता सेनानी था, भगत सिंह का प्राथमिक शिक्षा अपने गांव बंगा में ही हुई, बाद में नेशनल कॉलेज लाहौर से आगे की पढ़ाई की,12 वर्ष की उम्र में जालियांवाला बाग के मिस्त्री को लेकर क्रांति गतिविधि की शुरुआत की बाद में वे गदर पार्टी के सदस्य बने, 1926 में अपने नेतृत्व में पंजाब में नौजवान भारत सभा का गठन किया, जिसकी शाखाएं विभिन्न शहरों में स्थापित की गई, 23 मार्च 1931 लाहौर षड्यंत्र केस में फांसी दे दी गई |
Bihar Board Class 12th Hindi Chapter 7 ओ सदानीरा,
पाठ – 7
शीर्षक : ओ सदानीरा
लेखक : जगदीसचन्द्र माथुर
जन्म : 16 जुलाई 1917
मुत्यु : 14 मई 1978
निवास स्थान : शाहजाहाँ उत्तर प्रदेश
प्रश्न 1. पुंडलिक जी कौन थे ?
उत्तर –पुंडलिक जी भीतहरवा आश्रम विद्यालय के एक शिक्षक थे, पुंडलिक जी ने गांधी जी से निर्भीकता भी सीखी थी, उन्होंने गांव वालों को उसी निर्भीकता का पाठ पढ़ाए थे, औरपुंडलिक जी एक निर्भीक व्यक्ति एक आदर्श शिक्षक और एक समाज सुधारक व्यक्ति थे |
प्रश्न 2. गंगा पर पुल बनाने में अंग्रेजों ने क्यों दिलचस्पी नहीं ली ?
उत्तर –दक्षिण बिहार के बागी विचारों का असर चंपारण में देर से पहुंचे, इसलिए गंगा पर पुल बनाने में अंग्रेजों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई थी |
प्रश्न 3. धागड़ शब्द का क्या आशय है ?
उत्तर –धागड शब्द का अर्थ ओरावा भाषा में है जिसका अर्थ होता है, भाड़े का मजदूर धागड़ एक आदिवासी जाती है, जिसे 18वीं शताब्दी के अंत में नील की खेती के सिलसिले में दक्षिण बिहार के छोटा नागपुर पठार से चंपारण के इलाके में लाया गया था,
धागड़ जाति आदिवासी जातियों ओराव मुंडा लोहार इत्यादि के वंशज है, लेकिन ये अपने आप को आदिवासी नहीं मानते है, ये बहुत ही मेहनती और बलसाली होते है, ये भोजपुरिया म्देसी भाषा में बात करते है, इनका जीवन बेहद ख़ुशी पूर्वक बीतता है, स्त्री तथा पुरुष ढलती शाम के मंद प्रकास में सामूहिक नृत्य करते है, अतः नृत्य इनलोगों का अत्यंत मनमोहक होता है ।
प्रश्न 4.चंपारण क्षेत्र में बाढ़ के क्या कारण है ?
उत्तर –चम्पारण में बाढ़ का प्रमुख कारण जंगल की कटाई है, यहां बहने वाली मसान सिकराहना गंडक नदियों के तट पर विशाल वन क्षेत्र भरे पड़े थे, यह वनों को मनुष्यों ने अपनी भोग विलास वसुंधरा के लिए काटना शुरू किया, जिसके कारण बाढ़ का प्रकोप बढ़ता चला गया |
प्रश्न 5.थारुओ की कला के प्ररिचय पाठ के आधार पर दे ?
उत्तर – थारुओ की कला एक अनुपम है, कला उनकी जिन्दगी का अंग है धान पात्र सिख का बनाया जाता है, तथा आकर्षण रंगों और डिजाइनों में से रंगा जाता, सिख और मुज से घरेलू उपयोगिता के बनाने में उनको कोई परेशानी नहीं है, उनके घर समानो में उनकी कला की झलक मिलती है |
प्रश्न 6.ओ सदानीरा पाठ का सरांश लिखिए ?
उत्तर – जगदीश चन्द्र माथुर द्वारा लिखित ओ सदानीरा निबंध के माध्यम से गंडक नदी को निर्मित बनाकर उसकी किनारों की संस्कृति और जीवन प्रवाह की झाकी पेश करते है, कवि गंडक नदी की प्रवाह की चर्चा करते है, सर्वप्रथम चम्पारण क्षेत्र की प्रकृतिक वातावरण का वर्णन करते हुए, उसकी एक एक अंग का मनोहारी अंकन करते है, कवि बता रहे है, की बिहार के चंपारण जिले में गंडक नदी पहाड़ो से निचे उतरती हुई, चंपारण क्षेत्र में प्रवेश करती है, उसके किनारे चंपारण की जंगले है जंगलो से होती हुई, सदानीरा नदी बहती हुई, आगे बढती है, नदियों के किनारे विभिन्न प्रकार के मंदिर तथा त्रिशियो का आश्रम है, इस नदी के किनारे विभिन्न प्रकार की संस्कृतियाँ वासी है, जब भादो के महीना में बाढ़ आता है, तो लगता है की नदिया तांडव मचा रही है, यह नदी पुनिय योग्य है इस नदी के किनारे विभिन्न प्रकार की फसले उपजाई जाती है, इस नदी के किनारे के जंगलो को कटाई करने के कारण ही बढ़ आती है, इस नदी में मानव पूजा पाठ के समाग्री को डालकर प्रदूषित कर रहा है, इस चम्पारण की धरती पर गांधीजी नए सत्याग्रह की विगुल फुकी थी, धरती का इतिहास बहुत पुरान है कहाँ जाता है, की इस नदी के किनारे देवी देवता और नारायण विचलन करते थे, अंत में गंडक की महिमा की बजना करते हुए कवि कहते है, की ओ सदानीरा ओ चक्रा ओ नरायनी ओ महा-गंडक तुमे युगों से दीन्हीं जनता विभिन्न नामो से संबोधित करती रही है, आज तेरी पूजन के लिए जिस मंदिर की प्रतिष्ठा हो रही है, उसकी नींव बहुत पुरानी है तू इसे टुकडा नहीं कर पाएगी |
Bihar Board Class 12th Hindi सिपाही की माँ,
पाठ – 8
शीर्षक : सिपाही की माँ
लेखक : मोहन राकेश
जन्म : 8 जनवरी 1925
मुत्यु : 3 दिसम्बर 1972
निवास स्थान : जंडी वाली गली अमृतसर पंजाब
प्रश्न 1.मानक और सिपाही एक दूसरे को क्यों मारना चाहते थे ?
उत्तर –मानक बर्मा की लड़ाई में भारत की ओर से अंग्रेजों के साथ लड़ने गया था, दूसरी ओर की पक्ष जपानी थी, अतः सेना एक दूसरे की दुश्मन थी, इसलिए मानक और सिपाही एक दूसरे को मारना चाहते थे |
प्रश्न 2.बिशनी मानक को लड़ाई में क्यों भेजती है ?
उत्तर –बिशनी एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार की महिला है, उसे अपनी मुन्नी की शादी के लिए पैसे की जरूरत है, इसलिए मानव को पैसे कमाने के उद्देश्य से लड़ाई में भेजती है |
प्रश्न 3.बिशनी और मुन्नी को किसकी प्रतीक्षा है वे डाकियो की रह क्यों देखती है ?
उत्तर – बिशनी को अपने सिपाही पुत्र की प्रतीक्षा है, वे डाकियो की राग चिठ्ठी आने को देखती है, क्योकि उसने पिछले चिठ्ठी में लिखा था, की वे वर्मा के लड़ाई पर जा रहा है, माँ और बेटी किसी अनिष्ट की संका के कारण चिठ्ठी का इंतजार करती है |
प्रश्न 4.रात में बिशनी सपना क्या देखती है ?
उत्तर – रात में बिशनी भयानक सपना देखती है, कुछ दुरी पर गोली चलाने की आवाज सुनाई पड़ती है, और कई व्यक्तियों के ख्राने की आवाज आती है, थोड़े ही देर के बाद घायल व्यक्ति की आवाज सुनाई पड़ती है, बिशनी फौजी लिवास पहने एक घायल युवक को देखती है, और वह कोइन नहीं बल्कि उसका बेटा मानक है, बिशनी मानक का सर गोदी में लेकर उस पर झुक जाती है, मानक कठिनता से सर उठाता है |
प्रश्न 5.बिशनी मानक की माँ है पर उसमे किसी भी सिपाही की माँ को ढूंढा जा सकता है ?
उत्तर – एकाकी के दुसरे भाग में बिशनी के स्वप्न में जो घटना घटती है, उसमे जो संवाद होता है, उस संवाद से उसमे किसी भी सिपाही की माँ को ढूंढा जा सकता है, जब सिपाही मानक को खदेड़ते हुए बिशनी के पास ले आता है, तो मानक बिशनी के गले से लिपट जाता है, और सिपाही के पूछने पर की इसकी टू क्या लगती है, बिशनी जबाब आता है मै इसकी माँ हूँ तुझे मारने नहीं दूंगी, तब सिपाही का जबाब आता है, यह हजारो का दुश्मन है, वे उसको खोज रहे है, तब बिशनी कहती है, टू भी तो आदमी है, तेरा भी घर बार होगा तेरी भी माँ होगी टू माँ के दिल को नहीं समझता है, अपने बच्चो को अच्छी तरह से जानती है, साथ ही जब मानक का पलटवार सिपाही पर होता है, तब बिशनी मानक को यह कहती है, की बेटा टू इसे नहीं मारेगा, तुझे तेरी माँ की सौगंध है, इन बातो से पता चलता है, की बिशनी मानक को जितना बाचना चाहती है, उतना सिपाही को भी बचना चाहती है, उसका दिल दोनों के लिए एक है, अतः उसमे किसी भी सिपाही की माँ को ढूंढा जा सकता है|
प्रश्न 6.मुन्नी के विवाह की चिंता ण होता तो मानक लड़ाई पर न जाता और उसकी यह दसा ना होती यह चिंता किसी लड़ाई से कम नहीं है क्या आप इस कथन से सहमत है पाने पक्ष उत्तर दे ?
उत्तर – निम्न मध्य वर्गीय व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी उसकी समस्या आर्थिक समस्या होती है, वह मुन्नी के विवाह की चिन्ता के कारण है, युद्ध पर जाता है, मुन्नी की शादी की चिंता सता रही है, जिस समाज में बिना दहेज के शादी न हो, वह समाज कलंकित समाज है, हमे उस समाज से लड़ाई लडनी चाहिए इस सड़े हुए, समाज को बदलने के लिए युद्ध के समान ही लड़ाई लड़ना चाहिए, तब जाकर इसका निदान होगा, इसलिए विवाह की चिंता लड़ाई से कम नहीं है |
प्रश्न 7.भैया मेरे लिए जो कड़े लाएंगे वह बेती और तारो के कड़ो से भी अच्छे होंगे मुन्नी के इस कथन को ध्यान में रखते हुए उसका परिचय अपने शब्द में लिखिए ?
उत्तर – मुन्नी सिपाही मानक की बहन और बिशनी की पुत्री है, उसकी उम्र इस लायक हो चुकी है, की शादी की जा सके, वह एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखती है, उसके सारे सपने उसके भाई सिपाही मानक के साथ जुड़े हुए है, वे गाँव के लडकियों को कड़े पहने देखकर अपनी माँ से कहती है, की भैया मेरे लिए जो कड़े लायेंगे वह तारो और बेतों के कड़े से अच्छे होंगे, मुन्नी अपने भाई से बहुत प्रेम करती है, अपने भाई ले लड़ाई मेजाने के बाद मानक का चिठ्ठी का इंतजार बड़ी बेसबरी से करती है, और मन से तरह तरह के प्रश्न करती है, क्योकि उसके सरे अपने और अरमान सीके भाई मानक के साथ जुड़े है |
प्रश्न 8.मोहन राकेश एकांकी सिपाही की माँ की सरांश अपने शब्दों में लिखिए ?
उत्तर – मोहन राकेश की प्रस्तुत एकांकी मार्मिक रचना में निम्न मध्यवर्गीय एक ऐसी माँ बेटी की कथा प्रस्तुत है, जिनका घर का एक लौता लड़का सिपाही के रूप में द्रितीय विश्व युद्ध के मोर्चे पर वर्मा में लड़ने गया है, वह अपनी माँ का एक लौता बेटा और विवाह के लिए अपनी बहन का एकलौता भाई है, उसी पर पुरे घर की आशा टिकी हुई है, लड़ाई के मोर्चे से कमाकर लौटे तो बहन के हाथ पीले हो संकेंगे, माँ एक देहाती स्त्री है, वह ये भी नहीं जानती की वर्मा उसके गाँव से कितनी दूर है, और लड़ाई कैसी किनसे और किसके लिए हो रही है, उसका अंजाम कैसा हो सकता है, बिशनी मोहन राकेश द्वारा लिखित सिपाही की माँ शीर्षक एकांकी के शीर्षक से ही यह स्पष्ट होता है, की बिशनी केवल मानक की मन ही नहीं बलकी वह किसी भी सिपाही की माँ है, सिपाही की माँ का गुण तब दिकाही पड़ता है, जब वह स्वपन में सिपाही बेटे मानक और दुश्मन सिपाही में लड़ते हुए, देखकर विचलित नहीं होती है, बल्कि वह हर हाल में अपने बेटे मानक को दुश्मन सिपाही से बचाती है, जब उसी का सिपाही बेटा दुश्मन सिपाही को मारना चाहता है, तो यह कार्य भी उसे कतही पसंद नहीं है, वह दृढ़ता पूर्वक अपने बेटे मानक को दुश्मन सिपाही को मारने से रोकती है, वह मानक से कहती है, की वह भी हहमारी तरह गरीब आदमी है, इसकी माँ इसके पीछे रो-रो कर पागल हो गई है, इसके घर में बच्चा होने वाला है, वह मर गया तो, उसकी बीबी फांसी लगाकर मर जाएगी यहाँ बिशनी का चरित्र सबकी माँ के रूप में पाठक के सामने आया है, वह केवल मानक की माँ नहीं वह सबकी माँ है, वह कसी के बेटे को मरना देखना नहीं चाहती है, वह सही अर्थ में एक माँ इसलिए यह कथन उचित है, की बिशनी के मातृत्व में किस भी सिपाही की मा को ढूंढा जा सकता है |
Bihar Board Class 12 Hindi Solutions Chapter 9 प्रगति और समाज,
पाठ – 9
शीर्षक : प्रगति और समाज
जन्म : नामवर सिंह
निवास स्थान : उत्तरप्रदेश
माता-पिता : वागेश्वरी देवी , नागर सिंह
प्रश्न 1.प्रगति को आप किस प्रकार परिभाषित करेंगे इसके बारे में क्या धारणा प्रचलित रही है ?
उत्तर –प्रगति या लोरिक कवी की एक ऐसी विद्या है जिसमें कभी की व्यक्तित्व और आत्मा दोनों की प्रबल भावना रहती है ऐसी कविताएं संक्षिप्त होती है जीवन के विभिन्न पक्षों का उद्घाटन जहां प्रबंध काव्य में किया जाता है वहां प्रगति में छन विशेष की आत्मा प्रकट की भावना अभिव्यक्ति संभव होती है प्रगति धार्मिक कविताएं छोटी होती है इसमें जीवन की अनेक प्रवृतियां का चित्रण संभव नहीं है इसके बारे में ऐसी धारणा प्रचलित रही है कि इसकी अर्थ भूमि अत्यंत ही सिमित है है एवं एकांकी जिसमें जीवन के प्रत्येक घटनाओं अनुभूतियों की अभिव्यक्ति संभव नहीं है |
प्रश्न 2.आचार्य रामचंद्र शुक्ल के काव्य आदर्श क्या थे पाठ के आधार पर स्पष्ट करें ?
उत्तर –आचार्य रामचंद्र शुक्ल के काव्य सिद्धांत के आदेश प्रबंध काव्य थे प्रबंध काव्य में मानव जीवन का पूर्ण दृश्य होता है उसमें घटनाओं की संबंध श्रृंखला स्वाभाविक कर्म से ठीक-ठीक निरहुआ के दृश्य को स्पर्श करने वाले उसे भाव का अनुभव कराने वाले प्रसंग होते हैं यही नहीं प्रबंध काव्य में राष्ट्रीय प्रेम जातियां भावना धर्म प्रेम आदर्श जीवन की प्रेरणा देना ही उसका उद्देश्य होता है |
प्रश्न 3.हिंदी कविता के इतिहास में प्रगीतो का क्या स्थान है उदाहरण स्पष्ट करें अथवा नामवर सिंह किन कविताओं को श्रेष्ठ मानते हैं ?
उत्तर –प्रगति वे कविताएं हैं जिन्हें अक्सर माना जाता है कि यह कविताएं सीधे सामाजिक ना होकर अपनी व्यतिकता और आत्म प्रगति काव्य की कोटि में आ जाती है प्रगति धार्मिक कविताए न तो समाजिक , अभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त समझी जाती है उसने उसकी अपेक्षा की जाती है क्योकि समान्य समझकर नितांत अनुभूतियो की अभिव्यक्ति मात्र है त्रिलोचन नए वर्णान्त्म्क कविताओ के बवजूद ज्रात्र गीत ही लिखे है कहने के लिए तो यह एक प्रगति है लेकिन जीवन जगत और प्रकृति के जितने रंग बिरंगे चित्र त्रिलोचन के काव्य संसार में मिलते है वह अन्यर्थ दुर्लभ है प्रगीतो के नित कथन आधिक शक्तिशाली होती है अतः प्रगति का इतिहास समकालीन कवियों का इतिहास कह सकते है |
प्रश्न 4.प्रगति और समाज शीर्षक निबंध का सरांश अपने शब्दों में लिखे ?
उत्तर – प्रस्तुत निबंध नामवर सिंह द्वारा लिखित आलोचनातमक निबंधो की पुस्तक वाद विवाद संवाद से लिया गया है इस निबंध में हजारो वर्षो से फैली हिंदी काव्य परम्परा पर इतिहास अन्तः दृष्टि के साथ विचार करते हुए प्रगति नामक काव्य रूप की निरंत्रनता हिंदी समाज की प्रकृति और भाव प्रवाह के अन के रूप परिभाषित किया है वह इतिहास और परपरा की पहचान करती हुई समाजिक समास्याओ और तथ्यों की इतिहासिक समाजिक तथा घरे से पहचान कराती है वह वर्तमान को अधिक घरे के साथ जाने समझने की अंतर दृष्टि जगाती है यह सब इस निबंध से लिखा जा सकता है आधुनिक हिंदी प्रगति और मुक्त के मिश्रण से नए भाव भूमि पर जो गीत लिखे जाते है पिछले कुछ वर्षो में हिंदी कविता के वातावरण में कुछ परिवर्तन के लक्षण दिखाई पड़ रहे है एक नए स्तर पर कवि व्यक्ति अपने और समाज के बिच के रिश्तो को साधने की कोशिश कर रहा है इस प्रक्रिया में जो व्यक्तित्व बनता दिखाई दे रहा है वह निश्चय ही एक नए दंग की प्रगति के उभार संकेत है |
Class 12th Hindi Solutions Chapter 10 जूठन,
पाठ – 10
शीर्षक : जूठन
लेखक : ओमप्रकाश बाल्मीकि
जन्म : 30 जून 1950
मुत्यु : 17 नवम्बर 2013
जन्म स्थान : मुजफ्फरनगर उत्तरप्रदेश
माता-पिता : छोटनलाल,मकुन्दी देवी
प्रश्न 1.जूठन कथा का सरांश अपने शब्दों में लिखे ?
उत्तर – ओमप्रकाश बाल्मीकि जब बालक थे, उनके स्कुल में हेडमास्टर कलीराम उनसे पढने के बदले झाड़ू लगवाते थे, उनका नाम इस तरह से हेडमास्टर पूछते थे, जैसे की कोई बाधा गरज रहा हो सारा दिन उनसे झाड़ू लगवाते थे, दो दिन तक झाड़ू ल्ग्नावे के बाद तीसरा दिन उसके पिता झाड़ू लगाते देख लेते है, लड़का फफक फफक कर रो उठता है, और पिता से सारी बात बताता है पिताजी मास्टर साहब पर गुस्साते है, ओमप्रकाश बताते है, की उनकी माँ मेहनत मजदूरी के साथ आठ दस लोगो के घर में साफ़ सफाई करती थी, और माँ के इस काम में बड़ी बहन भाई तथा जसवीर और जनेसर दोनों भाई माँ का हाथ बटाते थे, बड़ा भाई सुखवीर लोगो के यहाँ वार्षिक नौकरी की तरह काम करता था, इन सब के बदले मिलता था, दो जानवर पीछे फसले पांच सेर आनाज और दोपहर के समय एक रोटी जो रोटी तौर पर चुह्ड़ो को देने के लिए आते भूसी मिलाकर बनाई जाती थी, कभी कभी जूठन भी मंगन की टोकरी में डाल डी जाती थी, दिन रात मरने के बाद भी हमारी पसीने की कीमत मात्र जूठन होती थी, फिर भी किसी को कोई शिकायत नहीं या कोई पछतावा नहीं, यह कैसा कुरूप समय था जिसमे श्रम का मोल नहीं बल्कि निर्धनता को बरकरार रखने के लिए एक षडेयंत्र था,
ओमप्रकाश की घर की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी, की एक पैसा के लिए प्रत्येक परिवार को दुसरे के यहाँ काम करना पड़ता था, तथा स्वयं लेखक को नही पशुओ का खाल उतारना पड़ता था, यह समाज की पूर्ण व्यवस्था एवं मनुष्य के द्वारा मनुष्य का किया गया, शोषण का ही परिणाम है, की एक और कुछ व्यक्ति के पास घन का कोई कमी नहीं है, तो दूसरी ओर हजारो हजार को दो जून की रोटी के लिए कार्य करने पड़ते है, भोजन की कमी और मन की लालसा को पूरी करने के लिए जूठन भी चाटनी पडती है, लेखक को एक बात का बहुत घर असर होता है, की उसकी भाभी द्वारा कहा गया कथन है, की इनसे ये काम न कराओ भूखे रह लेंगे, लेकिन इन्हें इस गंदगी में न घसीटो यह सब लेखक को उस गंदगी से बाहर निकल लाते है |
ओमप्रकाश की घर की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी, की एक पैसा के लिए प्रत्येक परिवार को दुसरे के यहाँ काम करना पड़ता था, तथा स्वयं लेखक को नही पशुओ का खाल उतारना पड़ता था, यह समाज की पूर्ण व्यवस्था एवं मनुष्य के द्वारा मनुष्य का किया गया, शोषण का ही परिणाम है, की एक और कुछ व्यक्ति के पास घन का कोई कमी नहीं है, तो दूसरी ओर हजारो हजार को दो जून की रोटी के लिए कार्य करने पड़ते है, भोजन की कमी और मन की लालसा को पूरी करने के लिए जूठन भी चाटनी पडती है, लेखक को एक बात का बहुत घर असर होता है, की उसकी भाभी द्वारा कहा गया कथन है, की इनसे ये काम न कराओ भूखे रह लेंगे, लेकिन इन्हें इस गंदगी में न घसीटो यह सब लेखक को उस गंदगी से बाहर निकल लाते है |
प्रश्न 2.विधालय में लेखक के साथ कैसी घटनाए घटती है ?
उत्तर – विधालय में लेखक के साथ बड़ी ही दुखद घटना घटती है, बाल सुलभ मन पर बिताने वाली दृश्य को हिलाने वाली घटनाए लेखक के मन पटल पर आज भी अंकित है, विधालय में प्रवेश के प्रथम ही दिन हेड मास्टर बड़े ही बेढब आवाज में लेखक से उनका नाम पूछता है, फिर उसकी जाति का नाम लेकर तिरस्कृत करता है, हेड मास्टर लेकह्क को एक बालक नहीं समझकर, उसे नीची जाति का नौकर समझता है, और उससे शीशम के पेड़ की टहनियों का झाड़ू बनाकर पुरे विधालय को साफ़ करवाता है, बालक की छोटी उम्र के बावजूद उससे बड़ा मैदान भी साफ़ करवाता है, जो काम लेखक चूहड़े जाति का होकर भी अभी तक उसने नहीं किया था, दुसरे दिन हेड मास्टर उससे वहाँ काम करवाता था, तीसरे दिन जब लेखक कक्षा के कोने में जब बैठा होता है, तब हेड मास्टर उस बालक अर्थात लेखक की गर्दन दबोच लेता है, तथा कक्षा से बाहर लाकर बरान्दे में पटक देता है, उससे पुराने काम को करने के लिए कहा जाता है, लेखक के पिताजी आचानक देख लेते है, उन्हें यह सब काम देखकर लेखक के पिताजी को काफी क्रोध आती है, और वे हेड मास्टर से बक झक कर लेते है |
प्रश्न 3.पिताजी नए स्कुल में क्या देखा उन्होंने आगे क्या किया पूरा विवरण अपने शब्दों में लिखे ?
उत्तर – लेखक को तीसरे दिन भी यातना डी जाती है, और वह रो रो कर झाड़ू लगा रहा होता है , तब आचानक उसके पिताजी वह सब करते देख लेते है, वे बाल लेखक को बड़े प्यार से मंशी जी कहा करते थे, उन्होंने लेखक से पूछा मुंशी जी यह क्या कर रहा है, उनकी प्यार भरी आवाज सुनकर लेखक फफक पड़ता है, वे पुनः लेखक से प्रश्न करते है, मुंशी जी क्यों रो रहे हो ठीक से बोलो क्या हुआ लेखक के हाथ से झाड़ू छिनकर दूर फेक देते है, अपने लाडले के स्थिति देखकर वे आगा बबूला हो जाते है, वे तीखी आवाज में चीखने लगते है, की कौन सा मास्टर है जो मेरे लड़के से झाड़ू लगवाता है, उनकी चीख सुनकर हेड मास्टर सहित सारे मास्टर बाहर आ जाते है, हेड मास्टर लेखक के पिताजी को गाली देखर धमकाता है, लेकिन उसकी धमकी का उन पर कोई असर नहीं होता है, आखिर पुत्र तो राजा का हो या रैंक का पिटा के लिए तो एक समान जिगड का टुकड़ा ही होता है , उसकी बेइज्जती कैसे शाहा जा सकती है, यही बात लेखक के गरीब पिता पर भी लागू होती है, उन्होंने भी अपने पुत्र की दुर्दशा पर साहस और हौसले के साथ हेड मास्टर का सामना किया |
प्रश्न 4.दिन रात भर खटकर भी हमारी पसीने की कीमत मात्र जूठन फिर भी किसी को कोई शिकायत नहीं कोई शर्मिंदगी नहीं कोई पश्चताप नहीं सोचिए और उत्तर दीजिए ?
उत्तर – जब समाज की चेतना मर जाती है, अमीरी और गरीबी का अंतर इतना बढ़ जाता है, की गरीब को जूठन भी नसीब नहीं होता, मनुष्य मात्र का कोई महत्व नहीं रह जाता , सृष्टि की सबसे उत्तम कृति माने जाने वाले मनुष्य में मनुष्यता का लोप हो जाता है, कृतियों के कारण अमीरों नए वैसा समाज बना दिया की गरीब की गरीबि कभी न जाय और अमीर की अमीरी बना रहे, इस प्रकार समाज में काम के बदले जूठन तो नसीब हो जताई परन्तु श्रम का मोल नहीं दिया जाता है, ज्सिके चलते समाज में निर्धनता बढती जा रही है, इसलिए उसे कोई शिकायत नहीं कोई पश्चताप नहीं बल्कि संघर्ष करके आगे बढना है |
Bihar Board Class 12th Hindi chapter 11 हस्ते हुए मेरा अकेलापन,
पाठ – 11
शीर्षक : हस्ते हुए मेरा अकेलापन
लेखक : मलयत
जन्म : 1935 में
निवास स्थान : आजमगढ़ उत्तरप्रदेश
प्रश्न 1.डायरी क्या है अर्थ डायरी विधा का अर्थ स्पष्ट करे ?
उत्तर – डायरी हिंदी साहित्य की वह विधा है, जिसमे व्यक्ति अपने मन के बातो को कागज पर उतारता है, वस्तुतः डायरी मन का कूड़ा है, यह लेखनीय अभ्यास का उत्तम माध्यम है, इसमें टठास्ता का निर्वहन करण पड़ता है, इसके द्वारा लेखक को लेखन समाग्री मिलती है, डायरी लेखन कुछ लेखको का जीवन जीने जैसा है |
प्रश्न 2.डायरी का लिखा जाना क्यों मुश्किल है ?
उत्तर – डायरी मन का कूड़ा है, डायरी में शब्दों और अर्थो के बिच तठरता कम रहती है, डायरी में व्यक्ति अपनी मन की बातो को कागज में उतारता है, वह अपनी यर्थात को अपने समझने योग्य शब्दों को लिखता है, डायरी खुद के लिए लिखी जाती है, दुसरे के लिए नहीं डायरी लिखने में अपने भाव के अनुसार शब्द नहीं मिल पाते है, यदि शब्दों का भंडार है, तो उन शब्दों के लायक वे भावहीन नहीं होते है, शब्द भवार्थ के आंशिक मेल के कारण डायरी का लिखा जाना मुश्किल है |
प्रश्न 3.किस तारीख की डायरी आपको सबसे प्रभावित लगी ?
उत्तर – 10 मई 1978 को डायरी सबसे प्रभावित नजर आती है, इस डायरी में लेखक नए पाने यर्थात के बारे में लिखा है, उन्होंने जीवन की सच्चाइयो से अपने को रुबरु बातुबी से करवाया है, उन्होंने इस डायरी के माध्यम से स्पष्ट यह दिखाया है, की मनुष्य यर्थात जीता भी है और इसका रचयिता भी है, इस डायरी की एक मूल बात जो बड़ी घरे को छूती है, वह है रचे हुए यर्थाथो का स्वतंत्र हो जाना |
Class 12 Hindi book Solutions Chapter 12 तिरिछ Subjective Bihar board,
पाठ – 12
शीर्षक : तिरिछ
लेखक : उदय प्रकाश
जन्म : 1952 में
माता , पिता : गंगा देवी , प्रेम कुमार सिंह
जन्म स्थान : सीतापुर अनुपपुर मध्य प्रदेश
प्रश्न 1.लेखक को अब तिरिछ का आपना नहीं आता है क्यों ?
उत्तर – लेखक को अब तिरिछ का सपना नहीं आने का कारण लेखक को सपना सत्य प्रतीत होना था, परन्तु अब लेखक विश्वास करता है, की यह सब सपना है अभी आँखे खोलते ही सब ठीक हो जाएगा इसमें पहले लेखक को अपने की बता प्रचलित विश्वास की सपने सच हुआ करते है, लेखक कल्पना में जीता था, परन्तु अनुभव से यह जान गया की सपना बीएस सपना भर है, लेखक नए जटिल यर्थात को सफलता पूर्वक अभिव्यक्त करने की लिए स्वपन का प्रयोग किया है, परंती जैसे ही लेखक का भ्रम टूटता है, तो उसे डॉ नहीं लगता है और तिरिछ के सपने नहीं आते है |
प्रश्न 2.तिरिछ खाने में वर्णित शहर के चरित्र से आप कितना सहमत है ?
उत्तर – लेखक इस कहानी का संबंध शहर के प्रति अपने जन्म जाट भय से मानता है, यहाँ भी लेखक प्रतीक का साहारा लिया है, ऐसा लगता है, की संभावित शहर तिरिछ का प्रतीक है, कहानी में शहरी तथा ग्रामीण जीवन के बिच उपजी खाई का चित्रण है, शहर की आधुनिक संस्कृति से उपजी विकृति तथा द्वंद्व का ज्व्लंक उदहारण है, लेखक के पिताजी की करुनामय कथा तिरिछ जैसे विषैले जंतु को प्रतीक स्वरूप कहानी में प्रतिस्थापित किया है, कहानी में वर्णित शहर का चित्रण पूर्णतः उचित एवं निर्णयवाद रूप से सत्य है |
प्रश्न 3.तिरिछ को जलाने गए लेखक को पूरा जंगल परिचित लगता है क्यों ?
उत्तर – लेखक को पूरा जंगल परिचित इसलिए लगता है, क्योकि इसी जगह से कई बार सपने में तिरिछ से बचने के लिए लेखक नए भागा था |
प्रश्न 4.तिरिछ कहानी का सरांश अपने शब्दों में लिखे ?
उत्तर – तिरिछ कहानी उदय प्रकाश द्वारा लिखित अपने पिता की जीवनी है, लेखक के पिताजी बहुत गंभीर प्रवृति के व्यक्ति थे, वह पचपन साल के एक दुबले पतले व्यक्ति थे, उनके सीर के सभी बाल लगभग सफेद हो चुके थे, वे सोचते ज्यादा तथा बोलते कम थे, परिवार के लोग उनके इस गंभीर व्यक्तित्व से सहमे रहते थे, तथा उनसे बाते करने का साहस नहीं जुटा पाते थे, उनका कम बोलना तथा गंभीर आचरण परिवार के लोगो के लिए एक पहेली थी, ऐसे अवसर कम ही आते थे, जब शाम को वह परिवार के सदस्यों के साथ लेकर टहलने के लिए घर से निकलते थे, हमेशा वह तम्बाकू खाते थे, लेखक के पिताजी सीधे साधे व्यक्ति थे, गाँव का जीवन उन्हें बेहद पसंद था शहर से उनका अप्चारिक सम्बन्ध था, आवश्यक कार्यवश वे शहर जाते थे, काम हो जाने के बाद शीघ्र वह लौट आते थे, शहर की जीवन शैली उनकी भेष भूसा चाल ढाल भी ग्रामीण जीवन से प्रभावित थी , एक दिन लेखक के पिताजी को तिरिछ काट लेता है, जिसके बारे में लोक प्रचलित है, की तिरिछ्का काटा हुआ आदमी बाख नहीं सकता है, क्योकि तिरिछ ना केवल जहरीली जंतु होता है, बल्कि काटने के बाद वह पेसाब कर लोट जाता है, जिसका मतलब होता है, की काटे आदमी की मुत्यु निश्चित है, पिताजी को शहर से बहुत डर लगता है, भरसक वह जाने से कतराते है, किन्तु घर नीलाम हो जाने से उन्हें शहर जाने के लिए विवश कर देती है, पिताजी शहर जाते है, उसे पगले हो गाँव के पंडित जी द्वारा धतूरा पिलाया जाता है, धतूरा का असर होने पर वे अपनी चेतना खो बैठते है, और लोग उन्हें पागल समझकर अनेक आरोप लगाकर पिट पीटकर मार डालते है, | आधुनिक के दौर में इंसान अमानवीय और संवेदनहीन होते जाने की यह यर्थात वादी प्रस्तुती है, कहानी में यर्थात को जादुई यर्थात के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जादुई यर्थातवाद का अर्थ वास्तविकता को छति पहुचाए बिना हैरत में डाल देना |
Bseb Bihar Board Class 12th Hindi Chapter 13 शिक्षा,
पाठ – 13
शीर्षक : शिक्षा
लेखक : जे. कृष्णमूर्ति
जन्म : 12 मई 1895
मुत्यु : 17 फरवरी 1986
जन्म स्थान : मदनपल्ली आंध्रप्रदेश
माता , पिता : संजीवम्मा देवी , नारायण जिद्दु
प्रश्न 1.जे. कृष्णमूर्ति शिक्षा का उदेश्य क्या मानते है ?
उत्तर – मनुष्य को पूरी तरह भरहीं स्वत्रंत और आत्मनिर्भर बनाना ही शिक्षा का उदेश्य है |
प्रश्न 2.शिक्षा का क्या अर्थ है ?
उत्तर – शिक्षा सम्पूर्ण जीवन की प्रक्रिया को समझाने में हमारी सहायता करता है |
प्रश्न 3.मेघा क्या है ?
उत्तर – मेघा वह शक्ति है जिसमे आत्म भय और सिधांत की अनुपस्थिति में स्वधीनता के साथ सोचते है, ताकि आप अपने लिए सत्य की वास्तविकता की खोज कर सकते है |
प्रश्न 4.शिक्षा निबंध का सारांश लिखे ?
उत्तर – जे. कृष्णमूर्ति मानते है की शिक्षा मनुष्य का अन्यन करती है, वह जीवन के सत्य जीने के तरीके में मदद है, इस संदर्भ को देखते हुए वे बताते है, की शिक्षा हो या विधार्थी उन्हें यह पूछना आवशयक नहीं है, की वे क्यों शिक्षित हो रहे है, क्योकि जीवन विलक्षण है, जीवन स्मुदियो जातियों और देह्सो का पारस्परिक सतत संघर्ष है, जीवन ध्यान जीवन धर्म भी है, जीवन गुण है जीवन मन की वस्तुए है, म्ह्त्वकंक्षा बनाए सफलताएं शिक्षाए इन सब का वर्णन करती है, शिक्षा का कार्य है, की वह सम्पूर्ण जीवन की प्रक्रिया को समझाने में हमारी सहायता करे, ताकि हमे केवल कुछ व्यवसाय या उच्ची नौकरी के योग्य बनाए कृष्णमूर्ति कहते है, की हमें बचपन से ही ऐसे वातावरण में रहना चाहिए, जहाँ भय का वश न हो नहीं तो व्यक्ति जीवन भर कुंठित हो जाता है, उसकी महत्वक्न्क्षा दबकर रह जाती है, मेघा शक्ति वह शक्ति है, जिसे आप भय और सिधांत की अनुपस्थिति में आप स्वतंत्र से सोचते है, ताकि आप सत्य की वास्तविकता को अपने लिए खोज कर सके पूरा विश्व इस भय स सहमा हुआ है, चुकी यह दिनिया वकीलों सिपाहियों और सैनिको की दुनिया है, यहाँ प्रत्येक मनुष्य किसी न किसी के विरोध खाड है, किसी सुरक्षित स्थान पर प्रतिष्ठा सम्मान शक्ति वह आराम के लिए संघर्ष कर रहा है |
प्रश्न 5.जहाँ भय है वहाँ मेघा नहीं हो सकती क्यों ?
उत्तर – मेघा वह शक्ति है, जिससे मनुष्य सिधान्तो की अनुपस्थिति में निर्भिय्ता पूर्वक सोचता है, ताकि वह सत्य और यर्थात को समझ सके, यदि मनुष्य भयभीत रहता है, तो कभी मेधावी नहीं हो सकेगी किसी प्रकार का महत्व कंक्षा चाहे, अध्यात्मिक हो या सांसारिक चिंता और भय का निर्माण करती है, जबकि ठीक से इसके विपरीत निर्भीक वातावरण में मेधा का जन्म होता है, इसलिए जहां भय है वहाँ मेधा नहीं हो सकती है |
प्रश्न 6.शिक्षा का क्या अर्थ है एवं इसके क्या कार्य है ?
उत्तर – मानव जीवन का सर्वागिक विकास प्राप्त करने का अर्थ शिक्षा है, इसमें मनुष्य की साक्षरता बुद्धिमान जीवन कौशल सभी समाज उपयोगी गुण पाए जाते है ,
शिक्षा का कार्य :- शिक्षा का कार्य केवल मात्र कुछ नौकरी और व्यवसाय की योग्य बनाना ही नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण जीवन प्रक्रिया को बाल्यकाल से ही समझने में सहयोग करना है, तथा स्वतंत्रा पूर्वक परिवेश हेतु प्रेरित करना है |
Bihar Board Class 12 Hindi पध Chapter 1 कड़बक,
काव्यखंड
पाठ – 1
शीर्षक : कडबक
लेखक : मलिक मुहम्मद जायसी
जन्म : अनुमानतः 1492
मुत्यु : 1548 अनुमानतः
निवास स्थान : जायस कब्र अमेठी उत्तरप्रदेश
पिता : मलिक शेख ममरेज
रचना : पदमावत, आखरी कलाम, कहरानामा, चंपावत होलनामा, आदि
प्रश्न 1. राम का नाम सुनते ही तुलसीदास की बिगड़ी बात बन जायेगी तुलसीदास के इस भरोषे का कारण स्पष्ट करे ?
उत्तर – तुलसीदास श्रीराम चरित्र मानस की रचना की थी उनका विश्वास था की राम दरवार पहुचते हु उस्न्की सारी बिगड़ी बाते बन जाएगी अर्थात राम ज्योही उनकी बातो को जान जाएंगे उनकी समस्याओं एवं कष्टों से परिचित होंगे वे इसका समाधान कर देंगे उनकी बिगड़ी हुए बाते बन जाएगी |
प्रश्न 2. रक्त के लेई में जायसी का क्या अर्थ है ?
उत्तर – जायसी कहते है की हमने यह प्रेम कथा जोड़ जाड करके सबको सुनाई जिसने सूना वह प्रेम पीर से पीड़ित हुआ मैंने इस कविता को ख़त की लेई लगा लगाकर जोड़ा कलेजे के खून से रचे इस काव्य के प्रति आपना आत्मविश्वास को दर्शाता है |
प्रश्न 3. मोहम्मद कवि यह जोड़ी सुनावा कवि नए जोड़ी शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया है ?
उत्तर – जोड़ी का अर्थ जोड – जोड़कर है कवि नए जोड़ी का प्रयोग कई कथाओ को जोड़ जोड़कर यह कथा सूना रहा हूँ की अर्थ में किया है |
प्रश्न 4. कवि ने किस रूप में स्वयं को याद रखे जाने की इच्छा व्यक्त की है ?
उत्तर – कवि कहते है की एक दिन वह नहीं रहेंगे जिस प्रकार फुल सड़कर नष्ट हो जाती है उर उसकी खुशबु रह जाती है उसी प्रकार कवि यह खाना चाहता है की एक दिन वे भी पीछे रह जायेगे कवि इस रूप में स्वयं को याद रखे जाने की इच्छा व्यक्त की है |
प्रश्न 5. कवि ने अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से क्यों की है ?
उत्तर – दर्पण स्वच्छ और निर्मल होता है ठीक उसी प्रकार कवि की आँखे है व्यक्ति अपनी छवि जिस प्रकार साफ़ और स्पष्ट से दर्पण में देखता है ठीक उसी प्रकार कवि की आँख भी स्वच्छता और प्रदर्शिता का प्रतीक है कवि अपनी निरमल वाणी द्वारा सरे जन मानस को प्र्व्हाबित करते है जायसी छवि वैसा ही प्रतिबिम्ब दर्पण में उभरता है महा कवि जायसी ने अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से इसलिए की है |
प्रश्न 6. प्रथम पद में कलंक और कवच से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – कलंक का तात्पर्य चन्द्रमा के कलंक से है कच्छ का तात्पर्य है घड़ीए में कोयला नहीं डाला जाता तब तक सोने में कंचन की दमक नहीं आती कंचन का तात्पर्य सुमेरु पर्वत के स्वर्णमय होने से है जिसको शिव त्रिशूल नए स्पर्श किया था |
प्रश्न 7. दुसरे कडबक में रचना का उदेश्य निहित है वर्णन करे ?
उत्तर – मलिक मुहम्मद जायसी नए दुसरे कडबक में बताया है की मेरा काव्य जिसने सूना उसे प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ इस प्रेम कथा को कवि नए खत की लेई लगाकर जोड़ा है इसकी गाढ़ी प्रीति को आंसुओ से भिगोया है और मन में यह समझकर ऐसा कविता रचा है की शायद जगत यही निशानी बची रह जाए कवि कह रहे है की ब राजा रत्न सिंहइस पुथ्वी पर नहीं है और न हिरामन तोता रह गया है जिसने राजा को ईएसआई वृद्धि उत्पन्न कराई सुलतान आलाउदीन भी अब नहीं रह गया राघव चेतन का भी अब कोई पता नहीं सुन्दरी पद्मावती भी इस संसार से विदा हो गई उन पात्रो में से कोई भी अब शेष नहीं रहा है उनकी केवल कथा ही शेष रह गया है जो संसार में जश छोड़ जाता है वाही मनुष्य धनी है फुल झड़कर नष्ट हो अजते है पर उसकी खुशबु रह जाता है कवि यह कहना चाहता है की एक दिन वह भी नहीं रहेगा पर उसकी कृति सुंगंध की तरह पीछे रह जाएगी |
प्रश्न 8. कडबक में व्यंजित जायसी के आत्म विश्वास का परिचय दे , एक नयन दर्पण अव्तोहित निर्मल भावु सुनरुप्वंत गहि ज्वोही कई चऊ ?
उत्तर – जायसी आपना परिचय देते हुए कहे है की एक नेत्र के होते हुए भी वह गुनी है उनके लिए एक नेत्रहीन होना दोष नहीं है ज्सिके भी उनका यह काव्य सूना वह मोहित अवतरित किया जिस प्रकार चंद्रमा कलंकित है उसकी प्रकार मुझे भी एक नेत्र से हिन् करके कलंकित कर दिया परन्तु उसने उज्जवल प्रकाश भी दिया जिस प्रकार चंद्रमा अपनी प्रकाश से संसार को प्रकाशित करता है उसी प्रकार मेरा काव्य भी संसार को प्रकाशित करेगा मुझे एक ही नेत्र से संसार दीखता है इस प्रकार मै नक्षत्रो के मध्य शुक्र तारा के समान उदित हुआ हूँ जब तक आम में तीखी डाब नहीं निकलती तब तक उसमे सुगंध नहीं उत्पन्न होता विधाता नए समुन्द्र के जल को जब खरा बनाया तभी वह इतना अपार हुआ जब इंद्र नए अपने त्रिशूल से सुमेरु पर्वत को नष्ट किया तभी वह स्वर्ण गिरी होकर आकाश तक उचां हो गया जब तक घडीए में कोयला नहीं पड़ता तब तक कच्चे सोने में कंचन की दमक नहीं आती जायसी कहते है की मेरा एक नेत्र दर्पण के समान है इसी कारण मेरा भाव भी निर्मल है संसार के सरे रूपवान पुरुष नए इस कुरूप जायसी के पैर पकड़कर और रूचि के साथ उसका मुख जोहते रहते है |
bihar Board Class 12 Hindi सूरदास पद Solutions,
पाठ – 2
शीर्षक : सूरदास पद
लेखक : सूरदास
जन्म : 1478 अनुमानतः
मुत्यु : 1583
जन्म स्थान : दिल्ली के निकट सीही नामक ग्राम में
प्रश्न 1. सूरदास का पद का सारांश अथवा भवार्थ लिखे , आथवा कवि कृष्ण को जगाने के लिए सूरदास क्या क्या उपमा दे रहे है ?
उत्तर – इस पद में सूरदास नए दुलार भरे कोमल मधुर स्वर में सोये हुए बालक कृष्ण को भोर होने की सुचना देते हुए आग्रह कर रहे है की हे नन्द के पुत्र कृष्ण आप जागी अब कमल के फुल खिल उठे है भौरा लताओं को भूल गए है मुर्गी तथा एनी पक्षियों कोलाहल कर रहे है तथा गए बर्बो में रंभा रंभाकर बिलने लगी है और बछड़ो के लिए सूर्य का प्रकाश फ़ैल गया है स्त्री और पुरुष गा रहे है इसलिए कमल सदृश्य हाथो वाले हे शेम आप उठे आब प्रातः काल हो गया है , श्याम नन्द की गोद में बैठे भोजन कर रहे है वे कुछ खाते है और कुछ भूमि पर गुरते है इस छवि को नंदरानी देख रही है बड़ी बाड़ा वेसन के बहुत से प्रकार तथा विभिन्न प्रकार के अनगिनत व्यंजन है वे अपने हाथो से लेकर डालते हुए खा रहे है धी तथा मक्खन की तरफ उनकी विशेष रूचि है दही और मक्खन को मिलकर छवि के घनी कृष्ण मुख में डालते है वे अपने भी खाते है और नन्द के मुख में भी डालते है |
प्रश्न 2. कवि कृष्ण को जगाने के लिए क्या क्या उपमा दे रहा है ?
उत्तर – ब्जराज कुंवर जागिय कमल के फुल खिल चुके है मुर्गा और पक्षियों क्लाह्ल कर रहे है इसलिए हे श्याम आप जानिए कमल हाथ में धारण करने वाले श्याम आप जगी कवि कृष्ण को जगाने के लिए श्याम ब्ज्रराज कमल धारण करने वाले नंदानन्द की उपमा दे रहे है |
प्रश्न 3. आचर्मन किया हुआ सूरदास जूठन क्यों मांग रहे है ?
उत्तर – सूरदास के प्रभु श्री कृष्ण है सूरदास को श्री क्रिशन का रूप अधिक आकर्षण दिखाई देता है उसमे उसका बालक रूप बहुत मनमोहक और आनन्दायक डिकी देता है सूरदास देखते है की नंदा नंदन कृष्ण जब भोजन कर आचमन करते है तो उनकी इच्छा है की उन्हें कृष्ण का जूठन भी मिल जाता सूरदास नए कहा है की उस काग का भाग देखी जो हरि के हाथ से माक्खन और रोटी को लेकर भाग जाता है मुझे यह सौभग्य तो नहीं लेकिन यदि उनका जूठन भी मुझे नसीब होता तो मै धन्य हो जाता इसलिए सूरदास जूठन मांगते है |
प्रश्न 4. सूरदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डाले ?
उत्तर – सूरदास अपने प्रभु कृष्ण को वैसे रूप पर अधिक मोहित होता है जिनमे बालपन हो अर्थात सुर को बाल रूप अधिक मोहोत करता है और ईश्वर को बालक के रूप में चित्रित कर मोक्ष की आकांशा था भक्ति करना वात्सल्य भक्ति कहलाता है सूरदास अपने प्रभु कृष्ण का बाल वर्णन ही अधिक किया है चुकी बालक परिवार के केंद्र में होता है उसके क्रिया कलाप सभी को मोहते है यधपि सूरदास नए कृष्ण का यपन रूप का वर्णन भी बड़े मन योग से किया है परन्तु उनका बालपन में जितना मन रमा है उतना और में नहीं |
Bihar Board Class 12 Hindi Solutions Chapter 3 तुलसीदास,
पाठ – 3
लेखक : तुलसीदास
जन्म : 1543
मुत्यु : 1623
जन्म स्थान : राजापुर उत्तरप्रदेश
बचपन का नाम : राम बोला
माता, पिता : हुलसी एवं आत्माराम दुबे
पत्नी : रत्नावली
गुरु : बाबा नरहिर दास
प्रश्न 1. तुलसी को किस वस्तु की भूख है ?
उत्तर – तुलसी की भक्ति रूप अमृत के समान सुंदर भक्ति की भूख है अर्थात हे प्रभु अपने चरणों में वैसी भक्ति दे दीजिए की फिर कोई दूसरी कामना न रह जाए |
प्रश्न 2. तुलसी सीता से कैसी सहायता मांगते है ?
उत्तर – तुलसी सीता से वचनों से ही सहयता मांगते है अर्थात वाणी की सहायता मांगते सीता माता से यह कहते है की यदि प्रभु मेरा नाम दसा पूछे तो यह बताना है की मै दीन्हीं हूँ मेरा अपना कोई नहीं है मै प्रतिदिन उन्ही के नाम लेकर अपना पेट भरता हूँ |
प्रश्न 3. तुलसी सीधे राम से न कहकर सीता से क्यों कहलवाना चाहते है ?
उत्तर – तुलसी सीधे राम से न कहकर बात सीधे सीता से इसलिए कहलवाना कहते है की सीता राम की प्रिय धर्म पत्नी है कोई भी पुरुष अपनी पत्नी से अधिकतम प्रेम करता है और उसकी हर बात मानता है कोई भी पति आपने पत्नी की कही गई बात नहीं टाल पाटा है वैसे स्थिति सीता के साथ राम में भी है अतः अपनी बात को प्रभावी ढंग से पहुचाने के लिए कवि सीता से कहलवाना चाहते है |
प्रश्न 4. दुसरे पद में तुलसी नए अपना परिचय किस तरह दिया है ?
उत्तर – तुलसी नए इस पद में अपना परिचयण एक भिखारी के रूप में दिया है जो उनके दरवाजे पर सवेरे से ही रट लगाए हुए है की मुझे कुछ नहीं चाहिए राम के एक कवर जूठन टुकड़े से काम चल जाएगा |
प्रश्न 5. राम के सुनते ही तुलसी की बिगड़ी बात बन जाएगी तुलसी के इस भरोसे का क्या कारण है ?
उत्तर – तुलसी कहते है की हे प्रभु मै अत्यंत दिन दुर्बल और पापी मनुष्य हूँ फिर भी आपका नाम लेकर अपना पेट भरता हूँ तुलसी को यह विश्वास है की राम कृपालु है वे हर बात को अच्छी तरह से समझकर उसका समाधान करते है यही उनके भरोसे का मुख्य कारण है |
प्रश्न 6. कबहुक अब अवस गुण गन गई दिन सब अंग छिनछिन मालिन अधो अच्छाई ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में तुलसीदास जी कहते है की हे माता कभी अवसर हो तो कुछ करुना की बात छेदकर श्रीराम जी को मेरी भी याद दिला देना और कहना की मै बहुत ही गरीब कमजोर और पापी हूँ मै तेरी ही नाम जपकर पेट भरता हूँ इस पर प्रभु कृपालु करके पूछे की वह कौन है तो मेरा नाम और मेरी दसा उन्हें बता देना कृपालु रामचन्द्र जी के इतना सुन लेने से ही मेरी सारी बिगड़ी बात बन जाएगी हे जगत जननी माता यदि इस दास की आपने इस प्रकार वचनों से ही सहायता कर डी तो यह तुलसी दास आपकी स्वामी की गुणवान गाकर भाव सागर से तर जाएगा |
प्रश्न 7. मुख देखि नाही धानी का क्या अर्थ है ?
उत्तर – मुख देखकर के नहीं कहना कबीर नए पक्षपात रहित होकर हिन्दू और मुसलमान दोनों को कहा है।
प्रश्न 8. दवार है भोर को आजू पेट भरी तुलसी ही जेवाइरो भक्ति सुधा सुनाजू ?
उत्तर – इस पंक्ति में तुलसी दास जी अपना परिचय एक भिखारी के रूप में दिया है जो उनके दरवाजे पर सवेरे से ही रट लगाए हुए है वह भिखारी कहता है की मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे एक कवर टुकड़े से ही काम चल जाएगा अर्थात हे प्रभु मुझे पर जरा सी कृपा दृष्टि कीजिए उसी दृष्टि से मै पूर्ण काम हो जाउंगा यदि आप कहे की कोई उधम का दारुण दुरभिक्ष पड़ गया है जितने उधम और उपाय साधन है सभी बुरे है कोई भी निर्विघन पूरा नहीं होता अतः आपसे भीख मांगना ही उचित समझ है तुलसी आपनी उद्महिता के लिए अपने आप को दोषी मानते है मैंने संतो से पूछा है की किसके शरण में जाने पर मुक्ति मिलेगा तो उन्होंने बताया है की कौशल पति महराज श्रीराम चंद्रजी ही यह काम सकते है मै जन्म का ही भूखा गरीब भीख मंगा हूँ बीएस अब इस तुलसी को भक्ति रूपी अमृत के समान सुंदर भोजन पेट भर खिला दीजिए |
Class 12th Hindi Solutions Chapter 4 छप्पय Bihar Board,
पाठ – 4
शीर्षक : छप्पय
लेखक : नाभादास
जन्म : 1570
मुत्यु : 1600
गुरु : अग्रदास
जन्म स्थान : दक्षिण भारत
प्रश्न 1. नाभादास के छप्पय का सारांश अपने शब्दों में लिखे ?
उत्तर – नाभादास कबीर और सुर पर लिखे गए छप्पय भक्तकाल से लिए है पहली पद कबीरदास से लिया गया है उनके अनुसार जो मनुष्य भक्ति से विमुख हो जाता है वह किसी लायक नहीं रहता है भक्ति के बिना योग जंग व्रत दान भजन सभी कुछ बेकार है व्यक्ति को मनुष्य के लिए ऐसा वचन कहना चाहिए जो सबको पसंद हो और सबके भलाई की बात कहता हो इस संसार पर ऐसा दवा सवार है जो प्रत्यक्ष देकर कोई कार्य नहीं करता है बल्कि सुनी सुने बातो पर विश्वास कर लेता है इसलिए कबीर नए कहा है की आप कोई भी काम सुनी सुनाई कामो को मत कीजिए |
सूरदास :- नाभादास कहते है की सुर की भक्ति में ऐसा चमत्कार है की उनकी स्थिति दुसरे पर भारी पड़ती है वचन में प्रेम का अर्थ निर्वाह अद्भुत तक के साथ रहते है उनकी दिव्य दृष्टि में ह्रदय में हरिलीला का आभाव हो रहा है जन्म कर्म गुण रूप सब जिन्दगी से प्रकाशित किया है निर्मल बुर्धि जिसकी है जो यह गुण सुनता है वह सुर के समान कोई कवि नहीं है जो सुर के आगे
प्रश्न 2. आत्महत्या एक घृणित अपरह है यह पूर्णतः कायरता का कार्य है सप्रसंग व्यख्या करे ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों भगत सिंह द्वारा लिखित एक लेख और एक पत्र से लिया गया है भगत सिंह नए सुख्ठो नामक क्रन्तिकारी मित्र को लिखे एक पत्र में कहा था की वे भले ही कुछ परिस्थितियों में आत्महत्या को सही मानने लगे हो पर जो इस विषय में उसनका पर्व का मत था वाही उनका अब भी है यानी भगत सिंह आत्महत्या को एक घृणित अपराध पुर्णतः कायरता का कार्य मानते है इसे किसी भी परिस्थिति में वे अनुचित मानते है |
प्रश्न 3. पुत्र के लिए उसकी माँ क्या क्या करती है ?
उत्तर – माँ को बच्चे के लिए शीत से रक्षा करने की चिंता रहती है माँ गोद से भी उसे नहीं उतरती है बच्चे की आवाज सुनकर वह दौड़कर आती है और उसकी रक्षा करती है माँ थपकी देकर बच्चे सुलाती है माँ हर पत्थर को देव मानकर बच्चे के लिए दुआ सलामत मांगती है नारियल फल और फुल चढ़ाती है लेकिन बच्चा छींटे ही वह आशय और विवश हो उठती है |
प्रश्न 4. राख से लिपा हुआ चौका के बारे में कवि का क्या कहना है ?
उत्तर – सूर्योदय के समय असमान के वातावरण में नभी दिखाई दे रही है और वह राख से लिपा हुआ गीला चौका सा लग रहा है इससे उसकी पवित्रता झलक रही है कवि नए सूर्योदय से पहले आकाश को रख से लिपे चौके के समान इसलिए बताया है ताकि वह उसकी पवित्रता को अभिव्यक्त कर सके |
प्रश्न 5. जन जन का चेहरा एक से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – जन जन का चेहरा एक कविता अपने में एक विशिष्ट व्यापक अर्थ समेटे हुए है कवि पीड़ित संघर्षशील जनता की एक रूपता तथा समान चिंतनशीलता का वर्णन कर रहा है कवि की सम्वेदना विश्व की तमाम देशो में संघर्ष जनता के प्रति मुर्खित हो गई जो अपने अधिकारों के लिए कार्यरत है एशिया यूरोप अथवा कोई भी एनी महादेश या प्रदेश में निवाश करने वाले समस्त प्राणियों का शोषण तथा उत्पीडन के प्रतिकार का स्वरूप एक जैसा है उनमे एक अदृश्य एवं अप्रत्यक्ष एकता है |
प्रश्न 6. नहीं फौजी वहन लड़ने के लिए है वे नहीं भाग सकते जो फौज छोड़कर भागता है उसे गोली मर दी जाती है सप्रसंग व्यख्या करे ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों मोहन राकेश द्वारा लिखित सिपाही की मन शीर्षक एकांकी से लिया गया है मानक की प्रतीक्षा में बिशनी और मुन्नी पड़ोसन कुंती से बातचीत कर रही है इसी बिच दो नवजवान लडकिय भिक्षा मांगने बिशनी के समक्ष आ जाती है बातचीत के क्रम में मालुम होता है की दोनों लडकीया वर्मा में होने वाली लड़ाई से जान बचाकर भाग आई है वर्मा में अंग्रेजी और जपानी सेना के बिच युद्ध चल रहा है मानक भी वर्मा की लड़ाई में एक फौज है तर्क वितर्क के प्रसंग में वर्मा से कोई फौजी भागकर बही आ सकता है और कहती है वाही फौजी वहाँ लड़ने के लिए है वे नहीं भाग सकते जो फौज छोड़कर भागता उसे गोली मर दी जाती है|
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक नए सेना के नियमो एवं सेना से भागने पर फौजीयो के साथ व्यहार पर चर्चा की है लेखक का कहाना है की एक सही फौजी युद्ध से भागता भी नहीं और उसके भागने का परिणाम भी बड़ा बुरा होता है |
प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक नए सेना के नियमो एवं सेना से भागने पर फौजीयो के साथ व्यहार पर चर्चा की है लेखक का कहाना है की एक सही फौजी युद्ध से भागता भी नहीं और उसके भागने का परिणाम भी बड़ा बुरा होता है |