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प्रश्न 1. पुरातत्व से आप क्या समझते है ?
उत्तर – पुरातत्व वह विज्ञान है जिसके माध्यम से पृथ्वी के गर्व में छिपी हुई, समाग्रियो की खुदाई कर अतीत के लोगो के भौतिक जीवन का ज्ञान प्राप्त किया जाता है , वैसे विज्ञान को ही पुरातत्व विज्ञान कहते है |
प्रश्न 2. कार्बन 14 पद्धति या कार्बन 14 विधि से आप क्या समझते है ?
उत्तर – यह विधि तिथि निर्धारण की वैज्ञानिक विधि है, अर्थात तिथि निर्धारण की वैज्ञानिक विधि को ही कार्बन 14 विधि कहा जाता है, इस विधि के अनुसार किसी भी जीवित वस्तु में कार्बन 12 एवं कार्बन 14 समान मात्र में रहता है, कार्बन 12 तो स्थिर रहता है, लेकिन कार्बन 14 का लगातार नाश होता है, जिस प्रदार्थ में कार्बन की मात्रा जितनी कम होती है, उतनाही प्रचान्तं माना जाता है, प्रदार्थ में कार्बन 14 के पद्धति की प्रकिरिया को रेडियो धर्मिता कहा जाता है |
प्रश्न 3. हडप्पा वासियों द्वारा विर्ह्ध सिंचाई के साधनों का वर्णन करे ?
उत्तर – हडप्पा वासियों द्वारा विर्ह्र्ध सिचाई के निम्नलिखित साधन थे जो इस प्रकार से है :-
क. कुँए द्वारा :- हडप्पा वासी कृषि कार्य के लिए कुँए द्वारा सिंचाई करते है |
ख. जलाशय द्वारा :- हडप्पा वासी कृषि की सिंचाई हेतु छोटे या बड़े जलाशयों द्वारा सिंचाई का काम करते थे
ग. नहरों द्वारा :- कई प्रमाणों से पता चलता है की हडप्पा वासी नहरों से भी सिंचाई करते थे |
प्रश्न 4. हडप्पा सभ्यता के पतन के प्रमुख कारणों का वर्णन करे ?
उत्तर – हडप्पा सभ्यता के पतन के निम्नलिखित करण है जो इस प्रकार से है :-
क. बाढ़ के कारण :- कई इतिहास करो का मानना है, की सिन्धु घाटी में आचानक बाढ़ आ गई होगी, जिसके कारण पूरी सभ्यता जलमगन हो गई होगी, जिससे सभ्यता नष्ट हो गया होगा |
ख. भूकम्प के कारण :- कई इतिहास कारो का मानना है, की आचानक वहाँ भूकम्प आया होगा, जिसके कारण पूरी सभ्यता नष्ट हो गई होगी |
ग. युद्ध के कारण :- कई इतिहास कारो का मानना है, की सिन्धु घाटी में आचानक कोई आक्रमण किया होगा, जिसके कारण वहाँ भयंकर युद्ध हुई होगी, जिससे पूरी सभ्यता का विनाश हो गया होगा |
घ. मलेरिया या महामारी जैसे प्राकृतिक आपदा से :- कई विद्वानों का मानना है, की सिन्धु घाटी में मलेरिया या महामारी जैसी भयंकर प्राकृतिक आपदा आई होगी, जिसके कारण पूरी सभ्यता नष्ट हो गई होगी |
प्रश्न 5. सिन्धु घाटी सभ्यता के नगर योजनाओं का वर्णन करे ?
उत्तर – सिन्धु घाटी नगर योजना क्र निम्नलिखित विशेषता है जो इस प्रकार से है :-
क. सड़क व्यवस्था :- सिन्धु घाटी सभ्यता की सड़क व्यवस्था बहुत ही उत्तम थी, कई साध्यो से पता चलता है, की उस समय की दशक 8 फिट 16 फिट और 32 फिट के होते थे, ये सडक मिटटी और इटे दोनों के होते थे, सडक ईएसआई बनी हुई थी की अगर हवा बहे तो रोड साफ़ हो गए, कई मिलो तक सदके सीधी जाती थी, सडको के दोनों किनारे कूड़ेदान रखे जाते थे |
ख. जलनिकासी की सुविधा :- प्रत्येक घरो से जल निकासी की सुविधा थी, वे जल छोटे छोटे नालियों में आकर मिल जाते थे |
ग. सार्वजनिक स्नान घर की सुविधा :- हडप्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता थी, की वहाँ पर सार्वजनिक स्नान घर की सुविधा थी, स्त्रियों के लिए कपड़ा बदलने के लिए स्नान घर के किनारे एक कामरा बना हुआ था, तथा पुरुषो के लिए कपड़ा बदलने के लिए अलग कमरा की व्यवस्था थी |
घ. नालियों की सुविधा :- प्रत्येक घरो से जल निकासी के लिए नालियाँ बनाई गई थी, नालियाँ इतनी साफ़ होती थी, की अगर सुई भी गिर जाए तो मिल जाती थी, नालियों में कचड़े निकालने के लिए जगह जगह झरने लगे हुए थे |
ङ. एक ही डिजाइन के बने मकान :- सिन्धु सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता थी, की सारे मकान एक ही डिजाइन के बने थे, जिससे पता चलता है, की उस समय कोई इंजिनियर उस सभ्यता के सारे मकानों का नक्शा देता था |
च. प्रकाश की सुविधा :- सिन्धु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी विशेताएँ थी, की उस समय प्रकाश की सुविधा थी, लोग तिसी और सरसों के तेल में चौक चौराहे पर दीपक जलाते थे, जिसके करण पूरा शहर चका चौध रहता था |
प्रश्न 6. इति वृत्त क्या है ?
उत्तर – मुग़ल काल में बाबर जहांगीर जैसे कुछ शासको, नए अपने काल का इतिहास दरबारी इतिहासकारों से लिखवाया इस प्रकार के इतिहास को इति वृति कहा गया है |
प्रश्न 7. कार्बन R-37 से आप क्या समझते है ?
उत्तर – हडप्पा नगर क्षेत्र की दक्षिण दिशा में हडप्पा सभ्यता के काल का एक कब्रिस्तान मिला है, जिस समाधि को R या कार्बन R-37 कहते है |
प्रश्न 8. सिन्धुघाटी सभ्यता को हडप्पा सभ्यता क्यों कहते है ?
उत्तर – सिन्धुघाटी सभ्यता को हडप्पा सभ्यता इसलिए कहा जाता है , क्योकि इस सभ्यता की खोज 1921 में सर्वप्रथम हडप्पा नामक स्थान से हुई थी, हडप्पा संस्कृति का विस्तार पंजाब सिंध राजस्थान गुजरात तथा बुल्चिस्थान के हिस्से और पशिचिम उत्तर प्रदेश के सिमर्वती भाग तक था, इसलिए हडप्पा सभ्यता को सिन्धु घाटी सभ्यता के नाम से भी जानते है |
प्रश्न 9. हडप्पा के मुहरो के विषय में आप क्या जानते है ?
उत्तर – मुहरो से हडप्पा संस्कृति के विभिन्न पहलुओ पर काफी जानकारी प्राप्त होती है, हडप्पा संस्कृति से सम्बोधित लोगो के धर्म पशु पक्षियों एवं पेड़ पौधो तथा लिपि की उपस्थिति से यह अनुमान लगाया है, की हडप्पाई लोग पढ़े लिखे थे, इस लिपि के पढ़े जाने के बाद उनके सम्बन्ध में कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी|
प्रश्न 10. हडप्पा सभ्यता के जलनिकासी प्रणाली का वर्णन करे ?
उत्तर – मोहनजोदड़ो था हडप्पा के नगर नियोजन की एक प्रमुख विशेषता यहाँ की प्रभावशाली जल निकासी प्रणाली थी, सिन्धु घाटी सुव्यवस्थित एवं वैज्ञानिक ढंग से नालियों का प्रबन्ध करना जानते थे, यहाँ के अधिकांश भवनों में निजी कुँए और स्नानघर थे, भवनों में निजी कुँए और स्नान थे, भवन के कमरों रसाई स्नान घर शौचालय आदि , सभी का पानी भवन की छोटी छोटी नालियों से निकलकर गली की नाली में आता था, गली की नाली को मुख्य सडक के दोनों ओर बनी पकी नालिओ से जोड़ा गया था, मुख्य सदके के दोनों ओर बनी नालियों को पत्थर आथवा सिलाओ द्वारा ढक दिया जाता था, नालियों की सफाई एवं कूड़ा कंकर को निकलने के लिए बिच बिच में नर मोख भी बनाए गए थे ,औरतो के राख और कूड़ा डालने पर पाबंधी थी, इस प्रकार की अद्भुत व्यवस्था दुनिया की किसी भी नगर में नहीं मिलती थी, अर्थात कुल मिलाकर उनलोगों का सफाई पर विशेष ध्यान था |
प्रश्न 11. मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानघर के विषय में लिखें ?
उत्तर – मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानघर एक अद्भुत व्यवस्था थी, लोग सार्वजनिक स्तर पर या तीर्थ मेले में उसमें स्नान करते थे, पुरुषों तथा स्त्रियों के कपड़ा बदलने के लिए अलग-अलग कमरों की व्यवस्था थी, विशाला स्नानघर का आकार 180 गुना 180 वर्ग फुट था, ईशा स्नानघर की गहराई 8 फीट की इसके चारों ओर बरामदा होते थे, गंदे पानी की निकासी के लिए भी प्रबंधन था , अनुमान लगाया जाता है, कि सार्वजनिक स्नानघर धार्मिक अवसरों पर सामूहिक रूप से नहाने के लिए होता था,
प्रश्न 12. मोहनजोदड़ो के अनागार के विषय में लिखे ?
उत्तर – सार्वजिनक भवनों में स्तंभों वाला हल और अन्य संग्रालय के जगह को मोहनजोदड़ो का अनागार कहते है, अनागार में हवा जाने की व्यवस्था थी, अनागार सुधीर्ण आकर प्रकार हवा आने जाने की व्यवस्था उच्च कोटि की थी, यह 45 – 72 मीटर लम्बा एवं 22.86 मीटर चौड़ा था |
प्रश्न 13. प्राचीन इतिहास के अध्ययन के बिभिन्न स्रोतों का वर्णन करे ?
उत्तर – प्राचीन इतिहास के निम्नलिखित स्रोत है जो इस प्रकार से है :-
क. अभिलेख :- पुरातत्विक स्रोतों के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण स्रोत अभिलेख है, सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक का है, अभिलेखों के अध्ययन से तात्कालीन शासको के राजनितिक विस्तार अध्ययन पर प्रकाश पड़ता है |
ख. सिक्के :- प्रत्त्विक स्रोतों में सिक्को का स्थान भी कम महत्वपूर्ण नहीं है, मुद्रा के अध्ययन से देश की आर्थिक स्थिति की विशेष जानकारी प्राप्त होती है, उसके अतिरिक्त सांस्कृतिक राजनितिक विस्तार के अध्ययन तथा धार्मिक महत्व की चीजो का भी जानकारी मिलती है |
ग. स्मारक और भवन :- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के स्रोत में स्मारक और भवन का महत्वपूर्ण स्थान है, प्राचीनकाल के महलो और मंदिरों की शौली से वास्तुकल के विकास पर प्रकाश है |
घ. मूर्तियाँ :- प्राचीन भरतीय इतिहास के अध्ययन में मूर्तियों का भी प्रमुख योगदान है, प्राचीन काल में कुसानो तथा गुप्त राजाओ द्वारा जो मूर्तियाँ बनाई गई, उनका जन सधारन की धार्मिक अवस्थाओ और मूर्ति कला के विकास पर प्रकाश पड़ता है |
ङ. वेद :- आर्यों का प्राचीनतम ग्रन्थ वेद है चारो वेद में इतिहास की सामग्री मिलती है |
च. रामायण एवं महाभारत :- रामायण से तात्कालीन राजनितिक समाजिक तथा धार्मिक स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है, महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास है, महाभारत पुराने जमाने के धर्म राजनितिक एवं समाज पर प्रकाश डालता है |
छ. प्राण और स्मृतियाँ :- प्राचीन भारतीय इतहास के अध्ययन मेपुरण और स्मृत्यां का महत्वपूर्ण स्थान है, इसकी संख्या 18 है, पुरानो में नन्द सुंग तथा गुप्त वंशो की वंशावलिया प्राप्त होती है |
प्रश्न 14 .हडप्पा सभ्यता का विकाश या विस्तार लिखे ?
उत्तर – हडप्पा सभ्यता का विकाश या विस्तार केवल भारत तक ही सिमित नहीं रहा, पाकिस्तान अफगानिस्तान तक फैला हुआ था, भारत के राजस्थान गुजरात हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश पाकिस्तान के उत्तर पूर्वी भाग तक यह हडप्पा सभ्यता फैला हुआ था |
प्रश्न 15. इतिहास लिखने में अभिलेखों का क्या महत्व है ?
उत्तर – इतिहास को लिखने में अभिलेखों का महत्वपूर्ण स्थान होता है, इसी अभिलेखों के माध्यम से कोई भी इतिहास कार को लिखने में मदद मिलती है, यहाँ पर अभिलेखों का मतलब होता है, पत्थर या लकडियो पर उस समय के राजा महराजा के बारे में लिखी गई बाते होती है |
प्रश्न 16. सिन्धु घाटी सभ्यता में समाजिक आर्थिक राजनितिक तथा धार्मिक विशेषताओ का वर्णन करे अथवा सिन्धु घाटी या हडप्पा सभ्यता की प्रमुख विशेस्ताओ का वर्णन करे ?
उत्तर – सिन्धु घाटी सभ्यता को हडप्पा सभ्यता भी कहा जाता है, इसके बारे में अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है, हम सिर्फ अनुमान के आधार पर इसके बारे में की जानकारी प्राप्त करते है, हम सिर्फ अनुमान लगते है, की हडप्पा सभ्यता ईएसआई वैसी सभ्यता थी, हडप्पा सभ्यता का कार्य काल 2350 से लेकर 1750 तक माना जाता है, सिन्धु घाटी की सभ्यता की निम्नलिखित विशेषताए इस प्रकार से है :-
क. समाजिक :- सिन्धु घाटी सभ्यता का समाज सुखी सम्पन्न था, परिवार का प्रधान माँ होती थी, मांसाहारी तथा शाकाहारीदोनों होते थे, वे लोगो अपने हाथो से वस्त्र बनाकर पहनते थे, महिलाए विभिन्न प्रकार के अभुष्ण पहनती थी, लोग मिट्टी के वर्तन में खाना बनाते थे, उस समय मनोरंजन के साधन भी थे |
ख. आर्थिक जीवन :- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग जीवन यापन के लिए खेती का काम करते थे , उनके जीवन का मुख्य आधार कृषि होता था, लोग कृषि में चावल दाल गेंहू मक्का फल आदि उगते थे, खेती के साथ साथ वे लोग पशु पालन का कार्य भी करते थे, वे लोग पशुओ में गाय भैंस बैल बकरी बिल्ली खरगोश आदि पालते थे, इसके अलावा मिट्टी के बर्तन छोटे छोटे उघोग और आभुष्ण भी बनाते थे |
ग. राजनितिक जीवन :- अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है, की सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगो के शासन व्यवस्था कैसा था, लेकिन इतना तो जरुर कहा जा सकता है, की पुरोहित वर्ग शासन का कार्य करते थे, वे शासन दुर्ग में रहते थे तथा उनके शासन चलाने का अधिकार धर्म होता था |
घ. धार्मिक जीवन :- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग धर्म में काफी विश्वास रखते थे, लोग भुत परते ताबुज जादू टोना में विश्वास करते थे, वे लोग पेड़ पौधा की पूजा करते थे, साथ ही वे लोग जानवरों और पक्षियों को भी देवता मानकर पूजा करते थे, इसके आलावा लिंग तथा देवी का पूजा करते थे |
प्रश्न 17. गंधार कला की क्या विशेषताए है ?
उत्तर – गंधार कला की निम्नलिखित विशेषताए है जो इस प्रकार से है :-
क. गंधार कला उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक फैला हुआ था |
ख. गन्धर कला के तहत ही भारत के की नगरो का विकाश हुआ |
ग. गन्धर कला को मूर्ति बनाने में तथा भवन बनाने में देखा जा सकता है |
क. गंधार कला उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक फैला हुआ था |
ख. गन्धर कला के तहत ही भारत के की नगरो का विकाश हुआ |
ग. गन्धर कला को मूर्ति बनाने में तथा भवन बनाने में देखा जा सकता है |