Bihar Board Class 10 Sanskrit भारतीय संस्कार Subjective

Class 10th Sanskrit Solutions Chapter 6 भारतीय संस्कार

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पाठ – 6 भारतीय संस्कार

1. भारतीय संस्कार का सरांश लिखे ?
उत्तर – भारतवासियों के जीवन में प्राचीन काल से ही ये संस्कार महत्व को धारण किए हुए है,, प्राचीन संस्कृति से संस्कारों का ज्ञान होता है,, यहाँ ऋषियों ने जो कल्पना की थी,, वे ही संस्कार जीवन के सभी अवसरों पर वेद मंत्रो का पाठ श्रेष्ट जनों का आशीर्वाद हवन और परिवारों के सदस्यों का मेल – मिलाप होता है,, वह सब संस्कार अनुष्ठान के द्वारा ही संभव होते है,, इस प्रकार संस्कार महत्व को धारण करते है,, कुछ संस्कार के मौलिक अर्थ प्रिजो के रूप गुण धारण कर ये कभी विस्मर्थ नहीं होते है,, इसलिए संस्कार मानव का क्रमशः परिमार्जन रूप दोष उपनयन और गुण धान रूप आदि में योगदान करते है,, संस्कार प्रायः 5 विधि के है,, जन्म से पूर्व तीन बचपन के छः और शैक्षणिक जीवन के पांच तथा विवाह रूप में गृहस्थ आश्रम का संस्कार एक और मरने के बाद का एक संस्कार इस प्रकार 16 संस्कार होते है | 
जन्म से पहले के संस्कारों में गर्भ धारण संस्कार पुंसवन संस्कार और सीमेता नयन ये तीन संस्कार होते है,, यहाँ गर्भ की रक्षा गर्भ में स्थित बच्चो पर संस्कार का आरोपण गर्भवती की प्रशंसा आदि आवश्यक माना जाता है,, 

बचपन के संस्कारों में जानकर्म नामकरण , घर से निकलना , बच्चो को प्रथम बार अन्न , खिलाना , चुडाकर्म, कर्म कर्ण भेद क्रमानुसार ये संस्कार होते है,, 
शिक्षा संस्कारों में अक्षर का आरम्भ उपनयन वेद आरम्भ के शांत समावर्तन संस्कार सम्मिलित है,, 
अक्षर आरम्भ संस्कार शिष्य को अक्षर लेखन और अंक्लेखन प्रारंभ किया जाता है,, 
उपनयन संस्कार का अर्थ है,, की गुरु के द्वारा अपने घर में शिष्यों को शिक्षा उस संस्कार में गुरु के घर पर शिष्यों का उपनयन होता है,, वहां शिष्य शिक्षा के नियमो का पालन करता है,, और उसके साथ अध्ययन करता है | वे नियम ब्रह्मचर्य व्रत धारण का होता है,, प्राचीन काल में शिष्यों को ब्रह्मचारी कहा जाता था,, गुरु के घर पर ही शिष्य वेद को पढ़ना आरम्भ करते थे,, वेदों का आरम्भ प्राचीन शिक्षा पद्धति में उत्कृष्ट माना जाता है,, 
केशांत संस्कार में गुरु के घर पर ही शिष्य का प्रथम और क्षैरकर्म होता था,, इसलिए साहित्य ग्रन्थ में इनके नाम के अंतर को गोदान संस्कार भी कहा जाता है,, उस समय गोदान मुख्य कर्म होता था | समावर्तन संस्कार का उद्देश्य है,, की शिष्य गुरु के घर से गृहस्य जीवन में प्रवेश करता था | शिक्षा समाप्त होने पर गुरु शिष्य को उपदेश देकर भेजते थे,, उपदेशो में प्रायः जीवन के धर्म प्रतिपादित होते थे,, | 
जैसे :- सत्य बोलो, धर्म पर चलो , स्वाध्ययन में रत- रहो आदि |
विवाह संस्कार से ही मनुष्य वास्तव में गृहस्य जीवन में प्रवेश करता है,, विवाह पवित्र संस्कार है,, यह एक ऐसा संस्कार है,, जिसके मत से जहाँ पर अनेक प्रकार का कर्मकांड किया जाता है,, घर पर वर उन कर्मकांड में वाग्दान, मंडप, निर्माण वधु के घर पर वर पक्ष का स्वागत किया जाता है,, और वधु वर के बिच एक दुसरे का निरिक्षण किया जाता है,, कन्यादान अगिनस्थापन , पाणीग्रहण , सिंदूरदान, आदि सामान्य रूप से विवाह संस्कार का आयोजन होता है,, उसके गर्भधारण आदि संस्कार होती है,, जो जीवन में चक्र की भाँती धूमता है,, मरने के बाद अंतिम संस्कार होता है,, जिसे दाह संस्कार कहते है,, इस प्रकार भारतीय जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण उपाध्ना संस्कार है,, या इसप्रकार संस्कार जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण स्रोत है |

2. संस्कार कितने होते है,, विवाह संस्कार का वर्णन करे ?
उत्तर – संस्कार मुख्यतः पांच प्रकार के होते है,, भारतीय जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण स्रोत विवाह संस्कार ही है,, विवाह संस्कार होने पर ही वस्तुतः मनुष्य गृहस्य जीवन में प्रवेश करता है,, विवाह एक पवित्र संस्कार है,, जिसमे अनेक प्रकार के कर्मकांड होते है,, उनमे वचन देना मंडप बनाना वधु के घर वर पक्ष का स्वागत कन्या निरिक्षण कन्यादान अगिन स्थापना पाणीग्रहण सप्तपदी सिन्दुदान आदि प्रमुख है |

3. शिक्षा संस्कार का वर्णन करे ?
उत्तर – शिक्षा संस्कारों में अक्श्राम्भ उपनयन वेदारम्भ मुंडन संस्कार और समावर्तन संस्कार आदि आते है | अक्श्रम्भ में बच्चा अक्षर लेखन और अंक लेखन आरम्भ शिष्य को अपने घर में लाना होता है,, वहां शिष्य शिक्षा के नियमो का पालन करते हुए अध्ययन करते है,, केशांत संस्कार में गुरु के घर में मुंडन होता है,, तथा समावर्तन संस्कार का उद्देश्य शिष्य का गुरु के घर से अलग होकर गृहस्य जीवन में प्रवेश करना होता है |

4. भारतीय जीवन में संकार का क्या महत्व है ?
उत्तर – भारतीय जीवन में प्राचीन काल से ही संस्कार के पाने महत्व को सजाया हुआ है,,यहाँ ऋषियो की कल्पना थी,, की जीवन के सभी मुख्य अवसरों में वेद मन्त्रो का पाठ, पृष्ठों का आशीर्वाद हवन एवं परिवार के सदस्यों का सम्मेलन होना चाहिए,, संस्कार दोषों का प्रिभार्जन करता है,, भारतीय जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण स्रोत स्वरूप संस्कार है |

5. भारतीय संस्कार पाठ में लेखक के क्या विचार है ?
उत्तर – भारतीय संस्कार पाठ में लेखक का विचार है,, की मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण सही संस्कार से ही होता है,, इसलिए विदेशी भी सभी संस्कारो के प्रति उन्मुख और जिज्ञासु है |

6. भारतीय संस्कार पाठ में लेखक क्या शिक्षा देना चाहता है ?
उत्तर – लेखक इस पाठ से हमें यह शिक्षा देना चाहता है,, की संस्कारों के पालन से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है,, संस्कारों का उचित समय पर पालन करने से गुण बढ़ते है,, और दोष का नाश होता है,,, भारतीय संस्कृति की विशेषता संस्कारों के कारण ही है,, लेखक हमें सही संस्कारों का पालन करने का सन्देश देता है |

7. पठित पाठ के आधार पर भारतीय संस्कारों का वर्णन अपनी मातृभाषा में करे ?
उत्तर – भारतीय जीवन में प्राचीन काल से ही संस्कार का महत्व है,, संस्कारों के सम्बन्ध में ऋषियों की कल्पना थी,, की जीवन के प्रमुख अवसरों पर वेद मंत्रो का पाठ गुरुजनों के आशीर्वाद हवन और परिवारों के सदस्यों का सम्मेलन होना चाहिए,, इन संस्कारों का उद्द्देश्य है,, मानव जीवन से दुर्गुणों को दूर करना और सद्गुणों का उपयोग करना,, जन्म पूर्व तीन गर्भधान पुंसवन और सिम्न्न्तोनयन संस्कार होते है,, शैशवास्था में छः संस्कार होते है,, जातकर्म , नामकरण, निष्क्रमण , अन्नप्राशन , चूडाकर्म और कर्णवेदा पांच शैक्षणिक संस्कार है,, अक्षरारंभ उपनयन वेदारम्भ , केशांत और समावर्तन यौवनवास्था में विवाह संस्कार होता है,, तथा व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार किया जाता है,, इस प्रकार भारतीय जीवन में कुल 16 संस्कारों का प्रवाधान किया गया है |