Bseb Class 10th Hindi Chapter 8 जित – जित मै निरखत हूँ

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Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 8 जित जित मै निरखत हूँ  Subjective

पाठ – 8
लेखक – पंडित बिरजू महाराज
शीर्षक – जित – जित मै निरखत हूँ
जन्म – 4 फरवरी 1938 में

प्रश्न 1. लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है ?
उत्तर – लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का संबंध यही है | की पंडित बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ में हुआ था | और वह रामपुर में अपने बाबूजी के साथ बचपन बिताई थी |

प्रश्न 2. रामपुर के नवाब की नौकरी छूटने पर हनुमान जी को प्रसाद क्यों चढाया गया था ?
उत्तर – रामपुर के नवाब की नौकरी छूटने पर हनुमान जी को प्रसाद इसलिए चढाया गया | क्योकि वह 20 साल से नवाब के यहाँ नौकरी करते – करते तंग आ गए थे | इसलिए नवाब के यहाँ नौकरी छूटने के बाद उन्होंने हनुमान जी को प्रसाद चढाया |

प्रश्न 3.  नृत्य की शिक्षा के लिए पहले – पहले बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े ? और वहाँ किनके संपर्क में आये ?
उत्तर – नृत्य की शिक्षा के लिए पहले – पहले बिरजू महाराज हिन्दुस्तान डांस एकैडमी नामक संस्था से जुड़े | और वहाँ वे कपिला जी और नीला कृपालानी आदि के संपर्क में आये |

प्रश्न 4. किनके साथ नाचते हुए ? बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला ?
उत्तर – अपने पिता तथा चाचा शम्भु महाराज के साथ कोलकता में बिरजू महाराज को प्रथम पुरस्कार मिला था |

प्रश्न 5. बिरजू महाराज के गुरु कौन थे ? उनका संक्षिप्त परिचय दे ?
उत्तर – बिरजू महाराज के गुरु स्वयं उनके पिता जी एवं माता जी थे | बिरजू महाराज की शुरूआती तालीम उनके पिताजी से ही शुरू हुआ | उनके पिता जी जहाँ भी जाते थे | वहाँ खुद नाचते थे | तथा वहाँ अपने पुत्र को नाचवाते थे | उन्होंने 20 साल तक रामपुर के नवाब के यहाँ काम किया था |


प्रश्न 6. बिरजू महाराज नए नृत्य की शिक्षा किसे और कब देनी शुरू की ?
उत्तर – बिरजू महाराज दस साल के उम्र में एक अमीर घर के सीताराम नामक बालक जो बंगाली था | उसको शिक्षा देना शुरू किया था |

प्रश्न 7. बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद समय कब आया ? उससे संबंधित प्रसंग का वर्णन कीजिए ?
उत्तर – बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद समय तब आया | जब उसके पिताजी की मृत्यु हो गई | उनके पास पिता का श्राद कार्य करने के लिए भी पैसे नहीं थे | उस समय श्राद कार्य करने के लिए उन्होंने उस परिस्थिति में भी 10 दिनों के अंदर दो प्रोग्राम किए | और किसी तरह अपने पिता जी का दसवीं और तेरहवी किए |

प्रश्न 8. शम्भू महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंधो पर प्रकाश डाले ?
उत्तर – शम्भू ,महाराज बिरजू महाराज के चाचा थे | लेकिन शम्भु महाराज का व्यवहार उनके साथ अच्छा नहीं था | उनका अलग खाना बनता था | और घर में हमेशा अशांति फैलाते थे | तथा उनका आचरण भी अच्छा नहीं था |

प्रश्न 9.  कोलकता के दर्शको की प्रशंसा का वीडियो बिरजू महाराज के नर्तक जीवन में क्या प्रभाव डाला ?
उत्तर – कोलकता के दर्शको की प्रशंसा का वीडियो बिरजू महाराज के अंदर तक जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला | वह इतना अच्छा दंग से नाचने लगे की अखबारों की सुर्खिया और उनका नाम छपने लगा | इनका बुलावा भारी – भारी शहर कोलकता , मुंबई , मद्रास आदि से आने लगा | वह अपने को ऊँचा समझने लगे | तथा भविष्य में भी और अच्छा बनने का मन बनाने लगे |

प्रश्न 10. संगीत भारती में बिरजू महाराज की दिनाचार्य क्या थी ?
उत्तर – संगीत भारती में बिरजू महाराज की दिनाचार्य बहुत कठिन थी | संगीत भारती में उनका नियम था | की सुबह 4 बजे जगना है | चाहे उस समय उनको बुखार या खांसी ही क्यों ना हो और 5 बजे रियाज करना ही था | 8 बजे तक रियाज करके फिर घर जाना और 1 घंटे में तैयार होकर 9 बजे से 1 घंटा क्लास कराते थे | यही उनकी दिनाचार्य थी |

प्रश्न 11.  बिरजू महाराज कौन – कौन से वाह बजाते थे ?
उत्तर – बिरजू महाराज सितार , गिटार , हारमोनियम, तबला , बासुरी आदि बजाते थे |

प्रश्न 12.  अपने विवाह के बारे में बिरजू महाराज क्या बताते है ?
उत्तर – बिरजू महाराज अपने शादी के बारे में यही बताते है | की जब मै 18 साल का था | तब हमारी शादी हमारी माता जी नए करा दिया | हम अपनी शादी से प्रसन्न नहीं थे | लेकिन यह सब हमारी माँ नए ही किया क्योकि मेरे पिता जी की मृत्यु के कारण माता जी घबरा गई थी | जिसके चलते हमारी शादी करा डी | शादी के बाद कुछ दिनों तक घर की आर्थिक स्थिति खराब चली | लेकिन तुरंत बाद स्थिति में सुधार हो गया |

प्रश्न 13.  बिरजू महाराज की अपने शागिर्दो के बारे में क्या राय है ?
उत्तर – बिरजू महाराज अपने शागिर्दो के बारे में यही राय है | की जब किसी को कुछ सिखाओ तो पूर्ण रूप से मेहनत करके सिखाओ और उसे अच्छा बना दो | सिखाने में बेईमानी नहीं करनी चाहिए | उसे इतना सिखा देना चाहिए की वह दुसरे को सिखा सके |

प्रश्न 14.  व्याख्या करे ?

क. 500 रुपया देकर मैंने अपना गांठ बांधवाया ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक पंडित बिरजू महाराज द्वारा लिखित जित – जित मैं निरखत हूँ | शीर्षक से लिया गया है | कवि इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है | की जब मै छोटी उम्र के था | तो मैंने अपने पिता जी को हो गुरु बनाया और 500 रुपया देकर गांठ बांधवाया |

ख. मै कोई चीज चुराता नहीं हूँ | की अपने बेटे के लिए यह रखना है | उसको सिखाना है ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक पंडित बिरजू महाराज द्वारा लिखित जित – जित मैं निरखत हूँ | शीर्षक से लिया गया है | कवि इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है | की म्हारी माता जी बहुत महान थी | उनमे एक कुशल शिक्षक का गुण था | उन्होंने बताया था | की किसी को कुछ सिखाओ तो पूर्ण रूप से मेहनत करके सिखाओ किसी को भी अधूरा नहीं सिखाना चाहिए | यह नहीं सोचना चाहिए | की कोई स्टेप अपने ख़ास बच्चो के लिए छुपा के रखना है | उनकी यह विशेषता उन्हें एक ईमानदार कलाकार तथा शिक्षक सिद्ध करता है |

ग. मै तो बेचारा उनका असिस्टेंट हूँ | उस नाचने वाले का ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक पंडित बिरजू महाराज द्वारा लिखित जित – जित मैं निरखत हूँ | शीर्षक से लिया गया है | कवि इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है | की उसकी प्रशंसा छाने वाले बहुत है | किन्तु यह सब कुछ उनकी नृत्य कला से ही है | अगर उनमे नृत्य कला का गुण नहीं होता | तो उनकी ऐसी प्रशंसा नहीं होती | वह लोग उनकी इज्जत इसलिए करते है | की वह सब उनके कला के प्रेमी है |

प्रश्न 15.  बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज किसे मानते है ?
उत्तर – बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को मानते थे | वह अपनी माँ के निर्णय को ही सबसे बड़ा निर्णय मानते थे |

प्रश्न 16.  पुराने और आज के नर्तको के बिच बिरजू महाराज क्या फर्क पाते है ?
उत्तर – पुराने और आज के नर्तको के बिच बिरजू ,महाराज यही फर्क पाते है | की पुराने नर्तक सीधे – साधे तथा मेहनती होते थे | चाहे जमीन पर नाचना हो या स्टेज पर गाना हो | वह गाने में कमी नहीं करते थे | जबकि आज के नर्तक बहुत कुछ देखते है | जैसे स्टेज सीधा है | या टेढ़ा साउंड व्यवस्था ठीक – ठाक  है | या नहीं यानी सारी व्यवस्था ठीक है | की नहीं यह सब कुछ देखते है |

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