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Class 12th Hindi काव्यखंड पाठ - 2 सूरदास Solutions Bihar Board,
पाठ
– 2
शीर्षक
: सूरदास पद
लेखक
: सूरदास
जन्म
: 1478 अनुमानतः
मुत्यु
:
1583
जन्म
स्थान : दिल्ली के निकट सीही नामक ग्राम में
प्रश्न 1. सूरदास का पद का सारांश
अथवा भवार्थ लिखे , आथवा कवि कृष्ण को जगाने के लिए सूरदास क्या क्या उपमा दे रहे
है ?
उत्तर
– इस पद में सूरदास नए दुलार भरे कोमल मधुर स्वर में सोये हुए बालक कृष्ण को भोर
होने की सुचना देते हुए आग्रह कर रहे है की हे नन्द के पुत्र कृष्ण आप जागी अब कमल
के फुल खिल उठे है भौरा लताओं को भूल गए है मुर्गी तथा एनी पक्षियों कोलाहल कर रहे
है तथा गए बर्बो में रंभा रंभाकर बिलने
लगी है और बछड़ो के लिए सूर्य का प्रकाश फ़ैल गया है स्त्री और पुरुष गा रहे है
इसलिए कमल सदृश्य हाथो वाले हे शेम आप उठे आब प्रातः काल हो गया है , श्याम
नन्द की गोद में बैठे भोजन कर रहे है वे कुछ खाते है और कुछ भूमि पर गुरते है इस
छवि को नंदरानी देख रही है बड़ी बाड़ा वेसन के बहुत से प्रकार तथा विभिन्न प्रकार के
अनगिनत व्यंजन है वे अपने हाथो से लेकर डालते हुए खा रहे है धी तथा मक्खन की तरफ
उनकी विशेष रूचि है दही और मक्खन को मिलकर छवि के घनी कृष्ण मुख में डालते है वे
अपने भी खाते है और नन्द के मुख में भी डालते है |
प्रश्न 2. कवि कृष्ण को जगाने के
लिए क्या क्या उपमा दे रहा है ?
उत्तर
– ब्जराज कुंवर जागिय कमल के फुल खिल चुके है मुर्गा और पक्षियों क्लाह्ल कर रहे
है इसलिए हे श्याम आप जानिए कमल हाथ में धारण करने वाले श्याम आप जगी कवि कृष्ण को
जगाने के लिए श्याम ब्ज्रराज कमल धारण करने वाले नंदानन्द की उपमा दे रहे है |
प्रश्न 3. आचर्मन किया हुआ सूरदास
जूठन क्यों मांग रहे है ?
उत्तर
– सूरदास के प्रभु श्री कृष्ण है सूरदास को श्री क्रिशन का रूप अधिक आकर्षण दिखाई
देता है उसमे उसका बालक रूप बहुत मनमोहक और आनन्दायक डिकी देता है सूरदास देखते है
की नंदा नंदन कृष्ण जब भोजन कर आचमन करते है तो उनकी इच्छा है की उन्हें कृष्ण का
जूठन भी मिल जाता सूरदास नए कहा है की उस काग का भाग देखी जो हरि के हाथ से माक्खन
और रोटी को लेकर भाग जाता है मुझे यह सौभग्य तो नहीं लेकिन यदि उनका जूठन भी मुझे
नसीब होता तो मै धन्य हो जाता इसलिए सूरदास जूठन मांगते है |
प्रश्न 4. सूरदास की भक्ति भावना
पर प्रकाश डाले ?
उत्तर
– सूरदास अपने प्रभु कृष्ण को वैसे रूप पर अधिक मोहित होता है जिनमे बालपन हो
अर्थात सुर को बाल रूप अधिक मोहोत करता है और ईश्वर को बालक के रूप में चित्रित कर
मोक्ष की आकांशा था भक्ति करना वात्सल्य भक्ति कहलाता है सूरदास अपने प्रभु कृष्ण
का बाल वर्णन ही अधिक किया है चुकी बालक परिवार के केंद्र में होता है उसके क्रिया
कलाप सभी को मोहते है यधपि सूरदास नए कृष्ण का यपन रूप का वर्णन भी बड़े मन योग से
किया है परन्तु उनका बालपन में जितना मन रमा है उतना और में नहीं |
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