Bihar Board Class 12th Hindi Chapter 1 कडबक Subjective Solutions,

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काव्यखंड
पाठ – 1
शीर्षक : कडबक
लेखक : मलिक मुहम्मद जायसी
जन्म : अनुमानतः 1492
मुत्यु : 1548 अनुमानतः
निवास स्थान : जायस कब्र अमेठी उत्तरप्रदेश
पिता : मलिक शेख ममरेज
रचना : पदमावत, आखरी कलाम, कहरानामा, चंपावत होलनामा, आदि

प्रश्न 1. राम का नाम सुनते ही तुलसीदास की बिगड़ी बात बन जायेगी तुलसीदास के इस भरोषे का कारण स्पष्ट करे ?
उत्तर – तुलसीदास श्रीराम चरित्र मानस की रचना की थी उनका विश्वास था की राम दरवार पहुचते हु उस्न्की सारी बिगड़ी बाते बन जाएगी अर्थात राम ज्योही उनकी बातो को जान जाएंगे उनकी समस्याओं एवं कष्टों से परिचित होंगे वे इसका समाधान कर देंगे उनकी बिगड़ी हुए बाते बन जाएगी |


प्रश्न 2.   रक्त के लेई में जायसी का क्या अर्थ है ?
उत्तर – जायसी कहते है की हमने यह प्रेम कथा जोड़ जाड करके सबको सुनाई जिसने सूना वह प्रेम पीर से पीड़ित हुआ मैंने इस कविता को ख़त की लेई लगा लगाकर जोड़ा कलेजे के खून से रचे इस काव्य के प्रति आपना आत्मविश्वास को दर्शाता है |

प्रश्न 3.  मोहम्मद कवि यह जोड़ी सुनावा कवि नए जोड़ी शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया है ?
उत्तर – जोड़ी का अर्थ जोड – जोड़कर है कवि नए जोड़ी का प्रयोग कई कथाओ को जोड़ जोड़कर यह कथा सूना रहा हूँ की अर्थ में किया है |

प्रश्न 4.  कवि ने किस रूप में स्वयं को याद रखे जाने की इच्छा व्यक्त की है ?
उत्तर – कवि कहते है की एक दिन वह नहीं रहेंगे जिस प्रकार फुल सड़कर नष्ट हो जाती है उर उसकी खुशबु रह जाती है उसी प्रकार कवि यह खाना चाहता है की एक दिन वे भी पीछे रह जायेगे कवि इस रूप में स्वयं को याद रखे जाने की इच्छा व्यक्त की है |

प्रश्न 5.  कवि ने अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से क्यों की है ?
उत्तर – दर्पण स्वच्छ और निर्मल होता है ठीक उसी प्रकार कवि की आँखे है व्यक्ति अपनी छवि जिस प्रकार साफ़ और स्पष्ट से दर्पण में देखता है ठीक उसी प्रकार कवि की आँख भी स्वच्छता और प्रदर्शिता का प्रतीक है कवि अपनी निरमल वाणी द्वारा सरे जन मानस को प्र्व्हाबित करते है जायसी छवि वैसा ही प्रतिबिम्ब दर्पण में उभरता है महा कवि जायसी ने अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से इसलिए की है |


प्रश्न 6.  प्रथम पद में कलंक और कवच से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – कलंक का तात्पर्य चन्द्रमा के कलंक से है कच्छ का तात्पर्य है घड़ीए में कोयला नहीं डाला जाता तब तक सोने में कंचन की दमक नहीं आती कंचन का तात्पर्य सुमेरु पर्वत के स्वर्णमय होने से है जिसको शिव त्रिशूल नए स्पर्श किया था |

प्रश्न 7.   दुसरे कडबक में रचना का उदेश्य निहित है वर्णन करे ?
उत्तर – मलिक मुहम्मद जायसी नए दुसरे कडबक में बताया है की मेरा काव्य जिसने सूना उसे प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ इस प्रेम कथा को कवि नए खत की लेई लगाकर जोड़ा है इसकी गाढ़ी प्रीति को आंसुओ से भिगोया है और मन में यह समझकर ऐसा कविता रचा है की शायद जगत यही निशानी बची रह जाए कवि कह रहे है की ब राजा रत्न सिंहइस पुथ्वी पर नहीं है और न हिरामन तोता रह गया है जिसने राजा को ईएसआई वृद्धि उत्पन्न कराई सुलतान आलाउदीन भी अब नहीं रह गया राघव चेतन का भी अब कोई पता नहीं सुन्दरी पद्मावती भी इस संसार से विदा हो गई उन पात्रो में से कोई भी अब शेष नहीं रहा है उनकी केवल कथा ही शेष रह गया है जो संसार में जश छोड़ जाता है वाही मनुष्य धनी है फुल झड़कर नष्ट हो अजते है पर उसकी खुशबु रह जाता है कवि यह कहना चाहता है की एक दिन वह भी नहीं रहेगा पर उसकी कृति सुंगंध की तरह पीछे रह जाएगी |


प्रश्न 8.  कडबक में व्यंजित जायसी के आत्म विश्वास का परिचय दे , एक नयन दर्पण अव्तोहित निर्मल भावु सुनरुप्वंत गहि ज्वोही कई चऊ ?
उत्तर – जायसी आपना परिचय देते हुए कहे है की एक नेत्र के होते हुए भी वह गुनी है उनके लिए एक नेत्रहीन होना दोष नहीं है ज्सिके भी उनका यह काव्य सूना वह मोहित अवतरित किया जिस प्रकार चंद्रमा कलंकित है उसकी प्रकार मुझे भी एक नेत्र से हिन् करके कलंकित कर दिया परन्तु उसने उज्जवल प्रकाश भी दिया जिस प्रकार चंद्रमा अपनी प्रकाश से संसार को प्रकाशित करता है उसी प्रकार मेरा काव्य भी संसार को प्रकाशित करेगा मुझे एक ही नेत्र से संसार दीखता है इस प्रकार मै नक्षत्रो के मध्य शुक्र तारा के समान उदित हुआ हूँ जब तक आम में तीखी डाब नहीं निकलती तब तक उसमे सुगंध नहीं उत्पन्न होता विधाता नए समुन्द्र के जल को जब खरा बनाया तभी वह इतना अपार हुआ जब इंद्र नए अपने त्रिशूल से सुमेरु पर्वत को नष्ट किया तभी वह स्वर्ण गिरी होकर आकाश तक उचां हो गया जब तक घडीए में कोयला नहीं पड़ता तब तक कच्चे सोने में कंचन की दमक नहीं आती जायसी कहते है की मेरा एक नेत्र दर्पण के समान है इसी कारण मेरा भाव भी निर्मल है संसार के सरे रूपवान पुरुष नए इस कुरूप जायसी के पैर पकड़कर और रूचि के साथ उसका मुख जोहते रहते है |

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