Bihar Board 10th Class Hindi राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा,

 10th Class Hindi गध खंड Chapter 1 राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा Subjective Solutions

पाठ – 1
लेखक – गुरुनानक जी
शीर्षक – राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा
जन्म – 1469 में तलबंडी ग्राम जिला लाहौर
मृत्यु – 1539 में
 
प्रश्न 1. राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा झोली पिया ?
उत्तर – इस कविता में गुरु नानक जी कहते है | की जो मनुष्य राम का भजन नहीं करता है | उसका इस दुनिया में आना ना के समान है | बिना कुछ बोले विष का पान करता है | तथा वह माया रूपी संसार में भटकता हुआ रहता है | राम का ज्ञान ना करो माया जाल में फंस जाता है | शास्त्र पुराण चर्चा करता है | की सुबह शाम दोपहर तीनो समय जो बंदना करता है | उसे भगवान का सहारा मिलता है | गुरु नानक जी लोगो से यही कहते है | की भजन के बिना व्यक्ति को संसार में मुक्ति नहीं मिलती है | इस कविता में गुरुनानक जी कहते है | की जो मनुष्य दुख को दुःख नहीं मानता | जिसे किसी प्रकार की सुख सुविधा का लालच नहीं रहता | जो मिटटी को सोना समझता है | तथा जिसको किसी से भी लाभ नहीं रहता है | जिसके लिए आपमान माँ के बराबर है | वैसे मनुष्य के हृदय में ईश्वर का निवास होता है | उसके पास कितनी भी बड़ी समस्या आ जाए | वह व्यक्ति नहीं घबराता है | वाही व्यक्ति आगे बढ़ता है |

प्रश्न 2. लेखक किसके बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है ?
उत्तर – कवि राम नाम के जप के बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है | तथा जो सच्चे मन से राम नाम का जप करता है | उसी व्यक्ति के हृदय में ईश्वर हमेशा निवास करता है |

प्रश्न 3. वाणी कब विष के समान हो जाती है ?
उत्तर – हमारी नजर में वाणी उस समय विष के समान हो जाती है | जब व्यक्ति राम नाम का जप छोड़ कर संसारिकता पर चर्चा करता है | तब वह उस समय विष खाता है | और विष ही उगलता है | उसी समय वाणी विष के समान हो जाती है |

प्रश्न 4. नाम कीर्तन के आगे कवि किन कर्मो को व्यर्थता सिद्ध करता है ?
उत्तर – हमारे गुरु नानक जी का कहना है | की नाम कीर्तन ही मनुष्य को इस दख में संसार से छुटकार दिलाता है | पूजा – पाठ आदि नहीं होता है | इस सांसारिक जीवन में राम नाम का जप करके भाव सागर को भी पार किया जा सकता है | यानी कवि राम नाम के बिना सभी कर्मो को व्यर्थ मानता है |

प्रश्न 5. प्रथम पद के आधार पर बताए की कवि नए अपने युग में धर्म साधना के कैसे – कैसे रूप देखा है ?
उत्तर – प्रथम पद के आधार पर कवि धर्म साधना के बारे में बताएं है | की प्राचीन काल में साधू लोग दंड , कमंडल धारण करते थे | तथा लम्बे – लम्बे केस दाढ़ी रखते थे | उस समय ब्राह्मण में चमक दमक तथा दिखावा नहीं था |

प्रश्न 6. हरिरस से कवि का अभिप्राय क्या है ?
उत्तर – हरिरस से कवि का यही अभिप्राय है | की राम नाम का जप करो जो व्यक्ति राम नाम का रस पी लिया है | उसके लिए संसार में कोई भी कठिनाईया नहीं है | वह हमेशा प्रकाश की दुनिया में मगन रहता है |

प्रश्न 7. कवि की दृष्टि में ब्रह्मा का निवास कहाँ है ?
उत्तर – कवि की दृष्टि में ब्रह्मा का निवास आत्मा में है | कवि का कहना है | की अगर व्यक्ति सच्चे दिल से परमपिता परमेश्वर को याद करता है | तो वह स्वयं उसनके साथ आ जाते है | तथा उसका आत्मा शांत हो जाता है | इसलिए कवि का कहना है | की ब्रह्मा का निवास आत्मा में ही है | वह जब चाहे प्रकट हो सकते है |

प्रश्न 8. गुरु की कृपा से किस व्यक्ति की पहचाना हो जाती है ?
उत्तर – कवि का कहना है | की जिस व्यक्ति में ईश्वर का वास हो जाता है | वह व्यक्ति सारी कठिनाइयो से आजाद हो जाता है | ऐसा व्यक्ति दुःख हो या सुख दोनों में आसानी से जिन्दगी गुजार लेता है | तथा किसी भी परिस्थिति का सामना कर लेता है |

प्रश्न 9.    व्याख्या करे ?

क. राम नाम बिनु अरुगी मरै
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पात के काव्यखंड से राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा शीर्षक से लिया गया है | जिसके लेखक गुरु नानक जी है | वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है | की ईश्वर की प्रति प्रेम से होती है | जो व्यक्ति स्वर से सच्चे दिल से प्रेम करते है | वह संसार की जाल से मुक्त हो जाते है | तथा उनके जीवन में कोई भी परेशानिया नहीं आती है |

ख. कंचन माटी जानो ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पात के काव्यखंड से राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा शीर्षक से लिया गया है | जिसके लेखक गुरु नानक जी है | वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है | की जो मनुष्य दुःख को दुःख नहीं समझता है | समय के अनुसार सुख , भोजन और सोने को मिट्टी के समान समझता है | वाही व्यक्ति भगवान को प्राप्त कर सकता है |

ग. हरष सोके ते रहै नियारो नाही मान अपमाना ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पात के काव्यखंड से राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा शीर्षक से लिया गया है | जिसके लेखक गुरु नानक जी है | वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है | की व्यक्ति अपना सब कुछ त्यागकर राम नाम का जप करता है | उसको सांसारिक विषयों के बारे में कोई चिंता नहीं रहता है | जिससे उसके दिल में भगवान का निवास हो जाता है |

घ. नानक लीन भयो गोबिंद सो ज्यो  पानी संग पानी ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी पात के काव्यखंड से राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा शीर्षक से लिया गया है | जिसके लेखक गुरु नानक जी है | वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है | की व्यक्ति को भक्ति में ऐसा लीन हो जाना चाहिए | जिस प्रकार समुन्द्र अपनी मर्यादा के साथ रहता है | जैसे नदी जल का अस्तित्व समुन्द्र में मिल जाने से समाप्त हो जाता है | वैसे ही अब भक्त भी गोबिंद में मिल जाए | तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है |

प्रश्न 10.  आधुनिक जीवन में उपासना के प्रचलित रूप को देखते हुए ? गुरु नानक के इन पदों की क्या प्रासंगिकता है | अपने शब्दों में विचार करे ?
उत्तर – आधुनिक जीवन में उपासना से इसकी बात करते है | जो प्राचीन काल  से आ रही परंपरा है | आज भी लोग तीर्थ व्रत पूजा पाठ वेशभूषा तथा सम्प्रादायिता तक का विचार की बात अक्र्ते है | इसमें थोडा सा उंच – नीच का गिरावट आया है | आज भी अम्नुश्य में सच्ची भक्ति का उत्साह है |

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