Bihar Board Class 10 Science रासायनिक प्रतिक्रियाएं और समीकरण

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Class 10th Chemistry Solutions Chapter 1 रासायनिक प्रतिक्रियाएं और समीकरण Subjective,

प्रश्न 1. रासायनिक अभिक्रिया किसे कहते है ?
उत्तर – जब कोई पदार्थ स्वयं अपघटित होकर या दो या दो से अधिक तत्व आपस में मिलकर नया पदार्थ बनाता है | जिसका गुण मूल पदार्थो के गुण से भिन्न होता है | उस अभिक्रिया को रासायनिक अभिक्रिया कहते है |

प्रश्न 2. प्रतिफल क्या है ?
उत्तर – रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप बने नये पदार्थ को प्रतिफल कहते है |

प्रश्न 3. रासायनिक समीकरण क्या है ?
उत्तर – जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले प्रतिकारक एवं प्रतिफलो को उनके संकेतो एवं सूत्रों के माध्यम से दर्शाया जाता है | उसे रासायनिक समीकरण कहते है |
जैसे :- H2 + O = H2O
जैसे :- H2 + O = H2O

प्रश्न 4. रासायनिक परिवर्तन किसे कहते है ?
उत्तर – जिस अभिक्रिया में नए पदार्थ बनाते है | उसे रासायनिक परिवर्तन कहते है |

प्रश्न 5. सोना की शुद्धता कैसे मापी जाती है ?
उत्तर – सोना की शुद्धता कैरेट में मापी जाती है शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है | यह बहुत ही कोमल होता है | इससे प्रायः आभुष्ण नहीं बनाया जाता है | इसे कठोर बनाने के लिए ताम्बे या चांदी मिलाया जाता है | 24 कैरेट सोना का अर्थ है | की आभूषण में 22 भाग सोना और 2 भाग चांदी का मिलावट हो |

प्रश्न 6. धातुमल क्या है ?
उत्तर – अयस्क में उपस्थित ऐसे पदार्थ जो अद्रवानझील पदार्थो के साथ संयोग करके द्रवणझील पदार्थ में परिवर्तित कर देता है | उसे धातुमल कहते है |

प्रश्न 7. प्रगलन किसे कहते है ?
उत्तर – धातु के आक्साइड को कोक के साथ गर्म करके धातु में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को प्रगलन कहते है |

प्रश्न 8. निस्तापन किसे कहते है ?
उत्तर – वह प्रक्रिया जिसमे अयस्क को उच्च ताप पर वायु अनुपस्थिति में उसके द्र्नांक से कम ताप पर गर्म करके धातु को उसके आक्साइड में परिवर्तित किया जाता है | उसे निस्तापन कहते है |

प्रश्न 9. जारण या गर्जन किसे कहते है ?
उत्तर – जारण वह प्रक्रिया है जिसमे अयस्को को वायु की उपस्थिति में गर्म करके धातु को आक्साइड में परिवर्तित किया जाता है | उसे जारण या गर्जन कहते है |

प्रश्न 10. आपके अनुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा जाता है ?
उत्तर – उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में रखा गया है | क्योकि यह अक्रिय होती है | और अन्य किसी भी तत्व या यौगिक से अभिक्रिया नहीं करती है |

प्रश्न 11. डाबेराइनर की वर्गीकरण की क्या सीमाएं है ?
उत्तर – डाबेराइन की वर्गीकरण की सीमा है की वह उस समय तक ज्ञात तत्व में केवल तीन त्रिक ही ज्ञात कर सकते है |

प्रश्न 12. आधुनिक आर्वत सारणी द्वारा किस प्रकार से है | मेडलिव की आर्वत सारणी के विसंगतियो को लिखे ?
उत्तर – मेडलिप के आर्वत सारणी के निम्नलिखित आर्वत विसंगतिया है जो इस प्रकार से है –
क. आधुनिक आर्वत सारणी में हाइड्रोजन का प्रथम समूह में तर्क संगत स्थान है | क्योकि हाइड्रोजन विधुत धनात्मक होता है |
ख. आधुनिक आर्वत सारणी में तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु संख्या के क्रम में रखा गया है | इसलिए किसी तत्व के समस्थानिको को तत्व के साथ उसी स्थान पर आर्वत सारणी में रखा गया है |
ग. भारी एवं हल्के तत्व का क्रमशः भी आधुनिक आर्वत सारणी में सही है | जो मेडलिव के आर्वत सारणी में नहीं था |
घ. अक्रिय गैसों का स्थान भी तर्क संगत 18 वे समूह में है |

प्रश्न 13. मैग्नेशियम की तरह रसायनिक अभिक्रिया शील दिखाने वाले दो तत्व के नाम लिखे | आपके चयन का क्या आधार है ?
उत्तर – कैल्सियम और बेरियम क्योकि दप तत्व मैग्नेशियम समूह में है | तथा इन दो तत्व में मैग्नेशियम की तरह दो संयोजी इलेक्ट्रन है |

प्रश्न 14. न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की क्या सीमाएं है ?
उत्तर – न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत के निम्नलिखित सीमाएं है जो इस प्रकार से है :-
क. अष्टक का सिद्धांत केवल कैल्सियम तक ही लागू होता था | क्योकि कैल्शियम के बाद प्रत्येक आठवे तत्व का गुण धर्म पहले तत्व से नहीं मिलता है |
ख. बाद में कई नये तत्व पाये गए जिनका गुण अष्टक सिद्धांत से मेल नहीं खाते थे |
ग. अपनी सारणी में इन तत्व को समाहित करने के लिए न्यूलैंड्स नए दो तत्व को एक साथ रख दिया और कुछ असामान तत्व को एक स्थान में रख दिया है |

प्रश्न 15. आधुनिक आर्वत सारणी में तत्व के व्यवस्थापन का क्या आधार है ? मेडलिव की आर्वत सारणी से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर – आधुनिक आर्वत सारणी में तत्व के व्यवस्थापन का आधार उसकी परमाणु संख्या को रखा गया है |
क. मेडलिव के आर्वत सारणी में तत्व के परमाणु भार को आधार माना गया है | जबकि आधुनिक आर्वत सारणी में तत्व के परमाणु संख्या को आधार माना गया है |
ख. आधुनिक आर्वत सारणी में भिन्नता तत्व के समस्थानिको का स्थान सुनिश्चित किया गया है |

प्रश्न 16. तत्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है | आर्वत सारणी में वर्ग तथा आर्वत क्या है ?
उत्तर – तत्व के गुण उनके परमाणु क्रमांको के आर्वत फलन होती है | जब तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु संख्या के आधार पर रखा जाए तो समान गुण वाले तत्व तो समान गुण वाले तत्व नियमित अंतर के बाद प्रकट होते है | इलेक्ट्रौनिक विन्यास इसका मूल आधार है |
क. वर्ग :- आर्वत सारणी में उद्वादर कलम समूह वर्ग कहलाते है |
ख. आर्वत :- आर्वत सारणी में क्षैतिज कमल आर्वत कहलाते है |

प्रश्न 17. तत्व के वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ी ?
उत्तर – प्रारंभ में तत्व की संख्या कम थी तो उनका अध्यन करने में कोई कठिनाई नहीं होती थी | लेकिन जैसे – जैसे तत्व का आविष्कार होने लगा उनकी संख्या बढने लगी तो इन तत्व के बारे में अध्ययन करने में परेशानी खड़ी होने लगी तत्व की संख्या काफी बढने पर उनके बारे में सहूलियत ढंग से अध्यन करने के लिए तत्व की वर्गीकरण की आवश्यकता महसूस होने लगी |

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प्रश्न 18. तत्व के वर्गीकरण से क्या लाभ है ?
उत्तर – तत्व के वर्गीकरण से निम्नलिखित लाभ है जो इस प्रकार से है :-
क. इससे तत्व के गुणों के अलग – अलग अध्ययन करने की आवश्यकता नहीं होती है |
ख. इससे तत्व के गुणों को अध्यन करने में सहूलियत होती है |
ग. किसी समूह के तत्व के गुणों को समझना आसान है |

प्रश्न 19. डोबरेनर का तिर्यक नियम क्या है ?
उत्तर – डोबरेनर का तिर्यक नियम के अनुसार तत्व की उनकी परमाणु द्रव्यमानो के कर्म में सजाने पर मध्यवर्ती तत्व का परमाणु द्रव्यमान किनारे वाले शेष दोनों तत्व के द्रव्यमानो का औसत होता है |
दोष :- डोबरेनर के तिर्यक नियम में यह दोष पाया जाता है की इनके नियम के अनुसार सभी तत्व का समावेश नहीं हो पाता है |

प्रश्न 20. न्यूलैंड्स अष्टक नियम क्या है ?
उत्तर – न्यूलैंड्स नए 1866 में तत्व को बढ़ते हुए परमाणु भार के अनुसार सजाये और कहा की किसी तत्व से शुक करने पर 8 वे तत्व का गुण पहले वाले तत्व के गुण के लगभग समान होते है | यह उसी प्रकार के होते है | जिस प्रकार संगीत में 8 वे स्वर पहले वाले स्वर के समान होते है |
दोष :- क. यह नियम अधिक परमाणु वाले तत्व द्वारा पालन नहीं होता है |
ख. यह नियम केवल कैल्सियम तक ही लागु होता है |
ग. नाइट्रोजन तथा फास्फोस के साथ MN को रख दिया जाए तो MN का गुण N तथा P से भिन्न होगा |

प्रश्न 21. मेंडलीव का आर्वत सारणी क्या है ?
उत्तर – मेंडलीव नए 1869 में तत्व के उनके परमाणु भार के क्रम में सजाया उसने तत्व को सजाने के लिए सबसे पहले आर्वत सारणी का खाका बनाया उसके द्वारा बनाये गए आर्वत सारणी को मेंडलीव का आर्वत सारणी कहते है |

प्रश्न 22. मेंडलीव का आर्वत नियम क्या है ?
उत्तर – यदि तत्व के उनके परमाणु भार के बढ़ते क्रम में सजाए तो एक निश्चित अंतराल पर लगभग समान गुण वाले तत्व पाये जाते है | इसी को मेंडलीव का आर्वत नियम कहते है |

प्रश्न 23. मेंडलीव के आर्वत सारणी के क्या विशेषताए है ?
उत्तर – मेंडलीव के आर्वत सारणी की निम्नलिखित विशेषताए है जो इस प्रकार से है :-
क. इस सारणी की सहायता से नियमित अध्यन की सुविधा थी |
ख. इस सारणी के द्वारा मेंडलीव ने नये तत्व का पूर्वानुमान लगा दिया था |
ग. इस आर्वत सारणी के आधार पर परमाणु द्रव्यमान में सुधार हो गया |
घ. इस सारणी के अनुसार किसी वर्ग विशेष के सभी तत्व की संयोजकता एक ही होती है |
ड. इस सारणी में आर्वत तथा वर्ग में विभाजित किया जाता है |