Bseb Class 10 Sanskrit शास्त्रकारा Subjective

Sanskrit Class 10th पाठ - 14 शास्त्रकारा Subjective


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पाठ – 14 शास्त्रकारा

1. शास्त्र मनुष्यों को किन – किन चीजो का बोध कराता है ?
उत्तर – शास्त्र मनुष्यों को कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध कराता है |

2. वेदांग कितने है ? सभी का नाम लिखे ?
उत्तर – वेदांग चार प्रकार के होते है,, जो इस प्रकार से है :-
क. ऋग्वेद
ख. यजुर्वेद
ग. सामवेद
घ. अथर्वेद

3. शास्त्र्कारा पाठ में किस विषय पर चर्चा की गई है ?
उत्तर – शास्त्रकारा पाठ में शास्त्रों के माध्यम से सदगुणों का ग्रहण करने की प्रेरणा है,, इससे हमें अच्छे संस्कार की सिख मिलती है,, यश पारपत करने की शिक्षा भी मिलती है |

4. शास्त्रकारा पाठ का पांच वाक्यों में परिचय दे ?
उत्तर – यह नव निर्मित सम्वादात्म्क पाठ है,, जिसमे रचयिताओ का परिचय दिया गया है,, इससे भारतीय संस्कृति निधि के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न होगी ,, यही पाठ का उद्देश्य है |

5. शास्त्रकारा पाठ के आधार पर शास्त्र की परिभाषा दे ?
उत्तर – सांसारिक विषयों से आसक्ति या विरक्ति स्थायी , अस्थायी या कृत्रिम उपदेश जो लोगो को देता है,, उसे शास्त्र कहते है,, यह अम्नुश्यो के कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध कराता है,, यह ज्ञान का शासक है,, आजकल अध्ययन विषय को भी शास्त्र कहा जा सकता है,, या देशो में अनुशासन को ही शास्त्र कहते है |

6. वेद रूप शास्त्र और कृत्रिम शास्त्र में क्या अंतर है ?
उत्तर – जो शास्त्र ईश्वर प्रदत है,, नित्य है,, उस शास्त्र को वेदरूप शास्त्र कहते है | कृत्रिम शास्त्र उस शास्त्र को कहते है,, जो ऋषियों के द्वारा लिखे गए है,, आथवा विद्धानो द्वारा रचे गए है,, वेदरूप शास्त्र का उदाहरण है,, तथा रामायण कृत्रिम शास्त्र का उदाहरण है |

7. वेदों के अंगो तथा उसके प्रवर्तक के नाम लिखे ?
उत्तर – वेदों के छः अंग है,, जो इस प्रकार से है :-
क. शिक्षा
ख. कल्प
ग. व्याकरण
घ. निरुक्त
ड. छंद
च. ज्योतिष
शिक्षा उच्चारण प्रक्रिया का बोध कराता है,, इसके प्रवर्तक पाणिनि है |
कल्प अंग में सूत्रात्मक कर्म कांड ग्रन्थ है,, जिसके प्रवर्तक बौधायन , भारद्वाज , गौतम, वशिष्ट आदि ऋषि है |
व्याकरण अंग के प्रवर्तक पाणिनि है,, निरुक्त वेद अर्थ का बोध कराता है |इसके प्रवर्तक यास्क है |
छंद अंग सूत्र ग्रन्थ है,, जिसके प्रवर्तक पिंगल है,, तथा ज्योतिष अंग के प्रवर्तक लग धर ऋषि है |

8. शास्त्रकारा पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर – प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बताया है की भारतवर्ष में शास्त्रों का महत्व प्राचीन काल से ही चली आ रही है,, समस्त ज्ञान के स्रोत शास्त्र ही है,, शास्त्र के प्रवर्तक शास्त्रों के माध्यम से सदगुणों को ग्रहण करने के लिए हमें प्रेरित करते है,, इससे हम अच्छे संस्कार और यश प्राप्त करते है,, प्रश्नोतर शैली यश पारपत करते है,, प्रश्नोत्तर शैली के कारण हमारा मनोरंजन भी होता है |

9. भारतीय शास्त्रकारो का परिचय दे ?
उत्तर – भारत वर्ष में शास्त्रों की महान परम्परा सुनी जाती है,, प्रमाण स्वरूप शास्त्र समस्त ज्ञान के स्रोत स्वरूप है,, भारत में अनेको शास्त्रकारा हुए, सर्व प्रथम वेदांग शास्त्र है,, वे है शिक्षा , व्याकरण , निरुक्त , और ज्योतिष संख्या दर्शन के प्रवर्तक कपिल मुनि है,, योग दर्शन के पतंजली जी है,, इसी तरह गौतम ने न्याय दर्शन की रचना की है | विज्ञान की शिक्षा देने वाले शास्त्र का परिचय दे ?
उत्तर – प्राचीन भारत में विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के पुस्तको की रचना हुई है,, आयुर्वेद शास्त्र में चरक संहिता और सुसरित तो शास्त्रकार के नाम से ही प्रसिद्ध है,, वाही रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान अन्त्भुत है,, ज्योतिष शास्त्र में भी खगोल , विज्ञान गणित आदि शास्त्र है, आर्यभट्ट की पुस्तक आर्यभट्टिय नाम से प्रसिद्ध है,, इसी तरह बारह मिहिर की बहु संहिता विशाल ग्रन्थ है,, जिसमे अनेक विषयों का समावेश है,, कृषि विज्ञान परासर मुनि के द्वारा रचित है |