Bseb Class 10th Hindi Chapter 12 शिक्षा और संस्कृति

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Bihar Board Class 10 Hindi Solutions Chapter 12 शिक्षा और संस्कृति Subjective

पाठ – 12
लेखक – महात्मा गाँधी
शीर्षक – शिक्षा और संस्कृति
जन्म – 2 अक्टूबर 1869
विवाह – 1883 में कस्तूरबा गाँधी के साथ
मृत्यु – 30 जनवरी 1948 में नई दिल्ली

प्रश्न 1. गांधी जी बढिया शिक्षा किसे मानते है ?
उत्तर – गाँधी जी के अनुसार हिंसक प्रतिरोध सबसे बढ़िया शिक्षा है | क्योकि उनके अनुसार प्रेम से घृणा तथा सत्य से असत्य को आसानी से जीता जा सकता है |

प्रश्न 2. इन्द्रियों का बुद्धि पूर्वक उपयोग सीखना क्यों जरुरी है ?
उत्तर – इन्द्रियों का बुद्धि पूर्वक उपयोग सीखना इसलिए जरुरी है | क्योकि यह बौद्धिक विकास का सुगम तरीका है | तथा इससे शारीरिक मानसिक दोनों का विकास आसानी से होता है |

प्रश्न 3. मस्तिष्क और आत्मा का उत्तम विकास कैसे संभव है ?
उत्तर – मस्तिष्क और आत्मा का विकास वैज्ञानिक ढंग से डी जाने वाली शिक्षा से संभव है |

प्रश्न 4. गांधी जी कटाई और बुनाई जैसे ग्राम उधोग द्वारा सामाजिक क्रांतिकारी कैसे संभव मानते है ?
उत्तर – गाँधी जी का कहना था | की जब कटाई और बुनाई जैसे गरम उधोगो का प्रचलन होता है | तब हाथो से बनने वाली चीजो का विकास हो जाता है | इसमें हर कोई अपनी आवश्यकता के अनुसार कमाई करे | तो ऐसी सामाजिक क्रांति बिना किसी खून खराबे के ग्राम उधोग द्वारा संभव है |

प्रश्न 5. शिक्षा का अभिप्राय गांधी जी क्या मानते है ?
उत्तर – शिक्षा का अभिप्राय गांधी जी यही मानते है | की बच्चो का शरीर , बुद्धि , आत्मा सभी प्रकार के उत्तम गुण को प्रकट करना ही शिक्षा का अभिप्राय मानते है |

प्रश्न 6. शिक्षा का अध्याय गाँधी जी क्या मानते थे ? और क्यों
उत्तर – हमारे गाँधी जी चरित्र निर्माण को ही शिक्षा का अध्याय मानते थे | क्योकि चरित्र ज्ञान वाले व्यक्ति से ही हमारे समाज को सहानुभूति प्रेम , सदाचार , संघर्ष तथा समानताओ का विकास आवश्यक होता है | हमारे गाँधी जी का कहना है | की चरित्र निर्माण में ही अच्छी शिक्षा जुडी हुई है | इसलिए गांधीजी शिक्षा का अध्याय चरित्र निर्माण को ही मानते है |

प्रश्न 7. गाँधी जी देशी भाषा में बड़े पैमाने पर अनुवाद कार्य को आवश्यक मानते है ?
उत्तर – गाँधी जी ऐसा इसलिए चाहते है | की जो अंग्रेजी या संसार की एनी भाषाओं का भंडार है | उसे हम भारतवासी राष्ट्र की भाषा में ही उपयोग करे | और दुसरे माध्यम से सिखने की जरूरत नहीं है | क्योकि हमारी अपनी भाषा देश भक्ति की भावनाओं को जगाती है | इसलिए गाँधी जी देशी भाषाओं में बड़े पैमाने पर कार्य आवश्यक मानते है |

प्रश्न 8. दूसरी संस्कृति से पहले अपनी संस्कृति की गहरी समझ क्यों जरूरी है ?
उत्तर – हमारे देश के महान व्यक्ति गाँधी जी कहते है | की दूसरी संस्कृति से पहले अपनी संस्कृति का ज्ञान रखो क्योकि हमारी संस्कृति औरो की संस्कृति से एवरेस्ट की तरह सर्वश्रेष्ट है | हमारी संस्कृति हिरा जैसी वस्तु के समान है | हमारी संस्कृति प्रेम शंकर आचरण तथा शिक्षा में भी उत्तम है |

प्रश्न 9. अपनी संस्कृति और मातृभाषा की बुनियाद पर दूसरी संस्कृतियों और भाषाओं से संपर्क क्यों बनाया जाना चाहिए ? गाँधी जी की राय स्पष्ट करे |
उत्तर – गाँधी जी की राय है | की भारत वासी अंग्रेजी तथा अन्य विश्व की भाषाएँ भी सीखे | लेकिन अपनी संस्कृति मातृभाषा को छोड़कर नहीं | हमारे भारत देश में दूसरी भाषा का उपयोग हो लेकिन अपनी भाषा पर आज भी प्रकाश डाले गए है | ऐसे व्यक्तियों में सुभाष चन्द्र बोस , राजा राममोहन राय , भगत सिंह , रविन्द्र नाथ टैगोर , आदि महान राष्ट्रवादी भाषा वादी थे |

प्रश्न 10. गाँधी जी किस तरह के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते है ? और क्यों
उत्तर – गाँधी जी वैसे समाज को भारत के लिए बेहतर ,मानते थे | जिनका भारतीय जीवन पर प्रभाव पड़ चूका है | क्योकि ऐसे समाज हमारी संस्कृति की अच्छी तरह से रक्षा कर सकती है |

प्रश्न 11. आशय स्पष्ट करे ?
क. मै चाहता हूँ की सारे शिक्षा किसी दस्तकारी या उधोगो के द्वारा दी जाए ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक में शिक्षा वे संस्कृति शीर्षक से लिया गया है | जिसके लेखक स्वयं गाँधी जी है | वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है | की ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे बच्चो के मस्तिष्क एवं आत्मा का विकास संभव हो | ऐसी शिक्षा वैज्ञानिक ढंग से सिखाने के लिए वकालत की है |

ख. इस समय भारत में शुद्ध आर्य संस्कृति जैसी कोई चीज मौजूद नहीं है ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक में शिक्षा वे संस्कृति शीर्षक से लिया गया है | जिसके लेखक स्वयं गाँधी जी है | वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है | की आर्य संस्कृति की विशेषताएँ बहुत अच्छी है | उनका कहना है | की दूसरी संस्कृति से हम लोग घुलमिल गए है | यहाँ पर संस्कृति का प्रभाव पड़ गया है | तथा समाज विनाश के कगार पर पहुंच गया है |

ग. मेरा धर्म  कैद का धर्म नहीं है ?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारे हिंदी पाठ्य पुस्तक में शिक्षा वे संस्कृति शीर्षक से लिया गया है | जिसके लेखक स्वयं गाँधी जी है | वह इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है | की हमें अपनी संस्कृति और अपना तो समझना चाहिए | उन्होंने यह भी बताया है | की अच्छी संस्कृति वाले लोग यहाँ पर आकर रहे | साथ ही विचार कारे लेकिन अपनी भाषा नहीं भूले | क्योकि मेरा धर्म कैद दिखाने की धर्म नहीं है |

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