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Class 10th Sanskrit Chapter 2 पाटलिपुत्रवैभवम् |
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पाठ – 2 पाटलिपुत्रवैभवम्
|| अर्थ स्पष्ट करे ||
1. अस्ति महितलतिलकं सरस्वति कुल गृहं महान नगरम् नाम्ना पाटलिपुत्रं परिभूत पुरन्दर स्थानम् ||
अर्थ :- पाटलिपुत्र नाम का यह जो महानगर है,, इस समय धरती पर सर्वश्रेष्ट और सरस्वती के कुल गृह के रूप में इंद्र की नगरी के समान सर्वश्रेष्ट है |
2. अत्रोपवर्षवर्षाविह पाणिनिपिड्ग्लाविः व्याडी : | वररुचिपञजली इह परीक्षिताः रग्रतिमुप्जग्मुः ||
अर्थ :- कवी राजशेखर ने इस श्लोक में पाटलिपुत्र की पढ़ने – पढ़ाने की परम्परा का वर्णन करते हुए कहा है,, की यह वर्षो वरस से वररुचि और पञजली यहाँ रहकर अपने विधा की कौशल कला से उसे ख्याति प्रदान किए है,, यह पाटलिपुत्र उनके विधा की कसौटी से परीक्षित है,, और संसार में ख्याति प्राप्त है |
|| पाठ के साथ ||
1. पाटलिपुत्र के गरिमा का सारांश लिखे ?
उत्तर – पाटलिपुत्र भारत के दुसरे नगरो से अनोखा और सर्वश्रेष्ट नगर है,, इसका इतिहास लगभग 2.5 हजार वर्ष पुराना है,, यह धार्मिक क्षेत्र , राजनितिक क्षेत्र तथा औधोगिक क्षेत्र की तरफ विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करता है,, यह महानगर दुनिया का सर्वश्रेष्ट और सरस्वती के कुल गृह के रूप में इंद्र की नागरी के समान सर्वश्रेष्ट था,, इसका पुराना नाम कुसुमपुर या पुष्पपुर था,, क्योकि यहाँ पर पाटल पुष्पों की खेती होती थी,, इसलिए इसका नाम पाटलिपुत्र पड़ा,, यह नगर विश्व प्रसिद्ध गंगा नदी जे किनारे बसा हुआ है,, जो पाटलिपुत्र की शोभा को और बढ़ा देता है,, कहा जाता है की स्वयं बुद्ध भगवान ने यहाँ पर आकर अनेक कृतियाँ रची,, यहाँ पर चन्द्रगुप्त मौर्य का शासन रहा है,, चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपनी शासन व्यवस्था से इस नगर की शोभा और बढ़ा दी,, जिससे यह नगर दुनिया में प्रसिद्ध हो गया,, यहाँ पर दुर्गा पूजा जैसा कौमुदी महोत्सव मनाया जाता है,, यहाँ पर सिक्खों के दशवे गुरु गुरु गोविन्द सिंह का जन्म स्थान है,, यहाँ पर प्रसिद्ध रूप से चिड़ियाघर , गोलघर, महावीर मंदिर, पटनदेवी , संग्रहालय एवं ऐतिहासिक गांधी मैदान है,, इस नगर के उत्तर दिशा में जो गंगा नदी बहती है,, उसके ऊपर एशिया का सबसे लम्बा पुल स्थित है,, जो इस महानगर का महत्व बढ़ा देता है |
2. पाटलिपुत्र नगर के वैभव का वर्णन करे ? Or पाटलिपुत्र के प्राचीन महोत्सव का वर्णन करे ?
उत्तर – पाटलिपुत्र के प्राचीन महोत्सव का वर्णन इस पाठ में बड़ा ही सुंदर वर्णन किया गया है,, कवी के अनुसार पाटलिपुत्र में कौमुदी महोत्सव बड़ी धूम – धाम से मनाया जाता था,, समस्त नगरवासी आनंद मगन हो जाते थे,, इस समारोह का विशेष प्रचलन गुप्तकाल के शासन में था,, आजकल जिस तरह दुर्गा पूजा मनाई जाती है,, उसी प्रकार प्राचीन काल में कौमुदी महोत्सव मनाया जाता था |