Bihar Board Class 10th Science Solutions विधुत – धारा Subjective

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Bihar Board Class 10 Chemistry Solutions Chapter 4 विधुत – धारा

अध्याय – 4 विधुत – धारा

प्रश्न 1. विधुत धरा किसे कहते है ?
उत्तर – आवेशो के व्यवस्थित प्रवाह को विधुत धारा कहते है |

प्रश्न 2. विधुत प्रवाह किसे कहते है ?
उत्तर – ईकाई धनावेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को विधुत विभव कहते है|

प्रश्न 3. चालक किसे कहते है ?
उत्तर – ऐसे पदार्थ जिनसे होकर विधुत – धारा आसानी से प्रवाहित होती है उसे चालक कहते है |

प्रश्न 4. विधुत – रोधी किसे कहते है ?
उत्तर – ऐसे पदार्थ जिनसे होकर धारा आसानी से प्रवाहित नहीं होती है | उसे विधुत रोधी कहते है |

प्रश्न 5. प्रतिरोध :- किसी पदार्थ का वह गुण जो उससे होकर जाने वाले धारा के प्रवाह का विरोध करता है | उसे हम प्रतिरोध कहते है | इसे R से सूचित किया जाता है | इसका SI मात्रक ओम होता है |

प्रश्न 6. एम्पियर मीटर \ ऐमीटर :- जिस यंत्र द्वारा किसी विधुत परिपथ की धारा मापी जाती है | उसे ऐमीटर कहते है | इसे A से सूचित किया जाता है | तथा इसे श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है |

प्रश्न 7. बोल्ट मीटर :- जिस यंत्र द्वारा किसी विधुत परिपथ में वोल्टेज को मापा जाता है | उसे वोल्ट मीटर कहते है | इसे V से सूचित किया जाता है | इसको समांतर क्रम में जोड़ा जाता है |

प्रश्न 8. ओम का नियम :- 1836 ई. में जर्मनी के एक प्रशिद्ध वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम नए किसी चालक के सिरों पर लगाए गए विभवान्तर तथा उसमे प्रवाहित होने वाली विधुत – धारा के बिच एक सम्बन्ध बताया गया | उसी सम्बन्ध को ही ओम का नियम कहा जाता है |
अर्थात किसी चालक के टाप में परिवर्तन न हो तो उसमे प्रवाहित विधुत – धारा उसके सिरों के बिच आरोपित विभांतर के समानुपाती होती है | इसके अनुसार I = V/R

प्रश्न 9. विधुत शक्ति :- विधुत उर्जा के व्यय की दर को विधुत शक्ति कहते है | इसका SI मात्रक वाट होता है | P = W/I

प्रश्न 10. विभवान्तर :- किसी विधुत परिपथ में दो विभव के बिच के अंतर को विभवान्तर कहते है |

प्रश्न 11. जुल के उष्मीय नियम :- यदि एक ही विभवान्तर के दो प्रतिरोधको पर आरोपित किया जाए तो कम प्रतिरोध वाले प्रतिरोधोको में अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है |

प्रश्न 12. सेल या बैट्री :- ऐसी युक्ति जो अपने अंदर हो रहे | रसायनिक अभिक्रियाओ द्वारा दोनों इलेक्ट्रोडो के बिच विभवान्तर बनाए रखती है | उसे हम सेल या बैट्री कहते है | अर्थात सेलो की सामूहिक व्यवस्था को ही बैट्री कहा जाता है |

प्रश्न 13. परिपथ आरेख :- किसी विधुत परिपथ के विभिन्न अव्ययो की व्यवस्था को उनके प्रतिको द्वारा दर्शाने वाले आरेख को परिपथ आरेख कहते है |

प्रश्न 14. सुरक्षा फियुज क्या है ?
उत्तर – यह एक प्रकार का सुरक्षा यंत्र है | इसका उपयोग हम बिजली के उपकरणों तथा मकानों के वारिंग में करते है | किसी भी कारण बीएस परिपथ में लगे यंत्रो में हाई वोल्टेज आ जाता है | तथा यंत्र ओभर लोडिंग होने लगता है | तो फियुज सर्किट को तोड़ देता है | जिसे परिपथ में लगे यंत्र जलने – फुकने से बच जाता है |

प्रश्न 15. ऐम्पियर मीटर और वोल्ट मीटर में क्या अंतर है ?
उत्तर – ऐम्पियर मीटर और वोल्ट मीटर में निम्नलिखित अंतर है जो इस प्रकार से है :-

क. ऐमीटर :- 1. परिपथ में धारा मापने वाले यंत्र को ऐम्पियर मीटर कहते है | 2. ऐम्पियर मीटर को किसी विधुत परिपथ में श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है | 3. ऐम्पियर मीटर को A से सूचित किया जाता है |

ख. वोल्ट मीटर :- 1. परिपथ में वोल्टेज मापने वाले यंत्र को वोल्ट मीटर कहते है | 2. वोल्ट मीटर को किसी विधुत परिपथ को समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है | 3. वोल्टमीटर को V से सूचित किया जाता है |

प्रश्न 16. श्रेणीक्रम संयोजन :- जब ऐम्पियर मीटर को किसी परिपथ में जुड़े उपकरणों के साथ इस प्रकार जोड़ा जाता है की परिपथ की कुल धारा जिससे होकर प्रवाहित हो इस प्रकार के संयोजन को हम श्रेणीक्रम संयोजन कहते है |

प्रश्न 17. समांतर क्रम संयोजन :- जब किसी विधुत परिपथ में दोनों सिरों के बिच विभवान्तर और वोल्टमीटर के टर्मिनलो का विभवान्तर समान रखने के लिए जिस युक्ति का हम प्रयोग करते है | उन्हें हम समांतर क्रम संयोजन कहते है |

प्रश्न 18. महत्वपूर्ण सूत्र :-
i. आवेश Q = IT
जहाँ I = धारा और T = समय
तथा Q = आवेश
ii. I = Q / T
iii. W = Q V
iv. V = W / Q
v. I = V / R
vi. P = W / R
vii. ओम का नियम I = V / R
viii. श्रेणी क्रम समूहन PS = R1 + R2 + R3
ix. समांतर क्रम समूहन = 1/RP + 1/R1 + 1/R2 + 1/R3
x. P = V X 1
xi. W = VIT
xii. P = V2R
xiii. R = V / P
xiv. U = QV जहां U उर्जा है |

प्रश्न 19. राशि – संकेत – SI मात्रक
विधुत धारा – i – ऐम्पियर
विधुत विभव – V – वोल्ट
विभवान्तर – VAB – वोल्ट
विधुत स्थितिज उर्जा – U – जुल
प्रतिरोध – R – ओम

प्रश्न 20. विधुत परिपथ :- विधुत धारा जिस मार्ग या पाठ से होकर गुजरती है , उसे विधुत परिपथ कहते है |

प्रश्न 21. बिजली के बल्ब का फिलोमेंट टंग्स्टन का क्यों बना रहता है ?
उत्तर – बिजली के बल्ब का फिलामेंट टंग्स्टन का इसलिए बना रहता है | ताकि उसका गलनांक अत्यधिक उच्च और प्रतिरोधक कम रह सके |

प्रश्न 22. किस तार का प्रतिरोधक एक ओम है | इस कथन का क्या अर्थ है ?
उत्तर – जब किसी तार का प्रतिरोधक एक ओम होता है तो इसका यही अर्थ होता है की उसमे एक विभवान्तर लगाने से उस चालक में एक ऐम्पियर धारा प्रवाहित हुई है | जिसका PHYSICAL अर्थ ओम = V / A होता है |

प्रश्न 23. ओम के नियम को लिखकर इसकी व्यख्या करे ?
उत्तर – ओम के नियम के अनुसार यदि किसी चालक के ताप में परिवर्तन न हो तो उसमे प्रवाहित विधुत – धारा उसके सिरों के बिच आरोपित विभवान्तर के समानुपाती होती है |
अर्थात I = V / R इस नियम का प्रतिपादन 1826 ई. में जर्मनी वैज्ञानिक जर्ज साइमन ओम नए किसी चालक के सिरों पर लगाए गए विभवान्तर तथा प्रवाहित होने वाली विधुत धारा का सम्बन्ध एक नियम द्वारा व्यक्त किया | इसी नियम को ही ओम के नियम से जानते है |

प्रश्न 24. प्रतिरोधक की उत्पति का कारण क्या है ?
उत्तर – किसी परिपथ में प्रतिरोध के उत्पति के निम्नलिखित कारण है जो इस प्रकार से है –
क. जब हम परिपथ में पत्तले तथा लम्बे तार का उपयोग करते है | तब प्रतिरोध अधिक उत्पन्न होता है | क्योकि पप्रत्येक वस्तु में प्रतिरोध उत्पन्न होता है |
ख. जब हम चालकता वाले चालक का प्रयोग करते है तो प्रतिरोध उत्पन्न होता है | क्योकि कम चालकता वाले पदार्थ में अधिक विरोध का गुण पाया जाता है |

प्रश्न 25. किसी चालक का प्रतिरोध किन – किन बातो पर निर्भर करता है ?
उत्तर – किसी चालक तार का प्रतिरोध निम्नलिखित बातो पर निर्भर करता है –

क. तार की लम्बाई :- किसी टार का प्रतिरोध उसके लम्बाई के समानुपाती होता है | अतः तार की लम्बाई जितनी अधिक होगी उसका प्रतिरोध उत्तना ही अधिक होगा |

ख. तार की मोटाई :- तार जितना ही मोटा होगा उसका प्रतिरोध उत्तना ही कम होगा | तथा तार जितना ही पत्तला होगा उसका प्रतिरोध उत्तना ही अधिक होगा |

ग. चालक के पदार्थ :- यदि विभिन्न पदार्थो के तार समान लम्बाई और समान मोटाई के हो तो उसका प्रतिरोध भिन्न – भिन्न होगा | क्योकि प्रत्येक प्रकार के पदार्थो का प्रतिरोध अलग – अलग होता है |

घ. चालक के ताप :- ताप बढने से चालक का प्रतिरोध बढ़ता है | तथा टाप घटने से प्रतिरोध कम होता है |

प्रश्न 26. फ्यूज की क्षमता से आप क्या समझते है ?
उत्तर – फ्यूज की क्षामता से हम यही समझते है की विधुत धारा की प्रबलता के जिस मान पर पहुंचते ही फ्यूज गल जाता है | उसे फ्यूज की क्षमता कहते है |

प्रश्न 27. यदि ऐम्पियर मीटर को समांतर क्रम में जोड़ दिया जाए तो उसके कुंडलिय तार को जलने की खतरा होता है क्यों ?
उत्तर – दो युक्तियो की किसी विधुत परिपथ से समांतर क्रम में जोड़ने पर कम प्रतिरोध वाली युक्ति से अधिक धारा प्रवाहित होता है | क्योकि ऐम्पियर मीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है | इसलिए किसी युक्ति के साथ इसे समांतर क्रम में जोड़ने पर परिपथ की लगभग कुल धारा ऐम्पियर मीटर से होकर प्रवाहित हो जाती है | जिसके कारण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न ऊष्मा से उसकी कुंडलिय तार के जलने का खतरा होता है |

प्रश्न 28. ओम के नियम को लिखकर सत्यापित कीजिए ?
उत्तर – यदि किसी चालक के टाप में परिवर्तन न हो तो उसमे प्रवाहित धारा उसके सिरों के बिच आरोपित विभवान्तर के समानुपाती होती है | I = V / R (चित्र उपलब्ध नहीं है )
सत्यापन :- इसे सत्यापन करने के लिए सबसे पहले एक शुष्क सेल लेंगे एक ऐम्पियर मीटर एक वोल्ट मीटर एक बल्ब , एक सुइच तथा एक दो नाइक्रोन के तार के टुकड़े को चित्रानुसार संयोजित करेंगे | और उसमे सुईच ऑन कर धारा प्रवाहित कर देंगे | उसके बाद दो तीन बार बारी – बारी से ऐम्पियर मीटर और वोल्ट को मापेंगे तथा इसे नोट बुक में नोट कर देंगे हम पाते है की प्रत्येक बार अनुपात V/ I का माना लगभग समान आता है |
अतः जब हम विभवान्तर और धारा को एक ग्राफ पर सजाते है तो प्राप्त ग्राफ एक सरल रेखा होता है | जिससे हमे स्पष्ट हो जाता है की प्रवाहित विधुत धारा विभवान्तर के समानुपाती होती है | जिससे ओम के नियम का सत्यापन हो जाता है |

प्रश्न 29. समांतर क्रम और श्रेणी क्रम में अंतर स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर – समांतर क्रम और श्रेणी क्रम में निम्नलिखित अंतर है जो इस प्रकार से है –

क. समांतर क्रम :- 1. सभी प्रतिरोधो के सिरों के बिच एक ही विभवान्तर होता है | परन्तु उनके प्रतिरोधो के मान के अनुसार भिन्न – भिन्न धारा प्रवाहित होता है | 2. प्रतिरोधको के समतुल्य प्रतिरोध का व्युत क्रम सभी प्रतिरोधको के अलग – अलग प्रतिरोधो के व्युत क्रम के बराबर होता है | 3. किसी एक प्रतिरोधक के परिपथ से हटा दिए जाने पर बच्चे हुए अन्य प्रतिरोध से धारा प्रवाहित होती है |

ख. श्रेणी क्रम :- 1. सभी प्रतिरोधको में एक ही धारा प्रवाहित होती है | परन्तु उनके सिरों के बिच विभवान्तर उनके प्रतिरोधो के अनुसार अलग – अलग होता है | 2. प्रतिरोधको के समतुल्य प्रतिरोध का सभी प्रतिरोध अलग – अलग प्रतिरोधो के बराबर होता है |3. किसी एक प्रतिरोधको को परिपथ से हटा दिया जाने पर बचे हुए प्रतिरोधको से प्रवाहित होने वाली धारा शून्य हो जाएगी |

प्रश्न 30. सुरक्षा फ्यूज का सचित्र वर्णन करे ?
उत्तर – फ्यूज सुरक्षा की एक युक्ति है | इसे बिजली के उपकरणों तथा मकानों में बिजली के धारा को ले जाने के लिए परिपथ में ही लगाया जाता है | इसमें कांच की नली या चीनी मिटटी या प्लास्टिक से ढके उपकरण होते है | जिसे फ्यूज कहते है | इसमें जास्ता लेंड या टिन की मिच्र धातु का तार लगा होता है | इसकी प्रतिरोधकता अधिक तथा गलनांक कम होता है | किसी कारण बस धारो में लगे परिपथ में अधिक वोल्टेज आ जाता है , अधिक वोल्टेज परिपथ में आ जाने के कारण उसमे लगे उपकरण ओभर लोडिंग लेने लगता है | तो फ्यूज सर्किट को तोड़ देता है | जिससे परिपथ में लगे पंखे टीवी फ्रिज टेलीविजन मोटर जलने फुखने से बच जाते है | विधुत की प्रबलता के जिस मान पर पहुंचते ही फ्यूज गल जाता है उसे फ्यूज या फ्यूज टाप भी कहते है  |

प्रश्न 31. विधुत बल्ब का सचित्र वर्णन करे ?
उत्तर – विधुत बल्ब में टंग्स्टन के पतले तार एक छोटी अईठी हुई पतले कुंडली होती है | जिसे तन्तु या फिलामेंट कहते है | तन्तु या फिलामेंट कांच के बल्ब में बंद रहता है | बल्ब के अंदर निम्न दाब पर नाइट्रोजन और आर्गन जैसे निष्क्रिय गैसों का मिश्रण भरा रहता है | यदि फिलामेंट से हवा के माध्यम से धारा प्रवाहित कराई जाए तो यह हवा के आक्सीजन से आक्सीकृत होकर भंगुर हो जाएगी और टूट जाएगी | इसीलिए फिलामेंट कांच बल्ब के व्यवस्थापित रहता है | उसकी हवा निकालकर निष्क्रिय गैस भर डी जाती है | ताकि ऊष्मा की हानि कम हो , बल्ब के अंदर टांगस्टन का फिलामेंट इसलिए बनाया जाता है की इसका गलनांक अत्याधिक उंच होता है | अतः यह बिना गले 2700 C का स्वेत टाप प्राप्त कर सकता है | चूँकि टांगस्टन की प्रतिरोधकता बहुत कम होती है | इसलिए पतला और लम्बा तन्तु लेना पड़ता है | ताकि प्रतिरोध अधिक और ऊष्मा अधिक उत्पन्न करे |

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