1. संज्ञा किसे कहते है , इसके भेदों को सोदाहरण लिखे ?
Ans- संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है जिससे किसी विशेष वस्तु , स्थान , अथवा जिव के नाम का बोध हो उसे संज्ञा कहते है
संज्ञा का मुख्यतः पांच भेद होता है जो इस प्रकार से है ;-
i) व्यक्तिवाचक
ii) जातिवाचक
iii) समूहवाचक
iv) द्रव्यवाचक
v) भाववाचक
i) व्यक्तिवाचक :- जिस शब्द से किसी एक वस्तु या व्यक्ति का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है|
जैसे:- राम , गांधीजी , गंगा , काशी आदि
ii) जातिवाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा से एक ही प्रकार की वस्तुओ तथा व्यक्तियों का बोध हो उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते है |
जैसे :- पुरुष , स्त्री, घर , नदी , देश आदि
iii) समूहवाचक संज्ञा:- जिस संज्ञा से वस्तु अथवा व्यक्ति के समूह का बोध हो उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है|
जैसे :- दल , सभा, बाजार , मेला आदि
iv) द्रव्यवाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा से आप तौल वाली वस्तु का बोध होता है उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है|
जैसे:- सोना , दुश , पानी , लोहा आदि
v) भाववाचक संज्ञा:- जिस संज्ञा से व्यक्ति या वस्तु के गुण धर्म स्थिति अथवा व्यापार का अनुभव होता है उसे भाववाचक संज्ञा कहते है | याजिस वस्तु को छुआ या देखा न जा सके उसे ही हम भाववाचक संज्ञा कहते है ?
जैसे:- बुढ़ापा , लम्बाई , मिठास , गर्मी , प्यार आदि
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2. वचन किसे कहते है इसके भेदों को लिखे ?
Ans- शब्द का वह रूप जिससे उसके एक या अनेक होने का बोध हो उसे वचन कहते है|
जैसे:- घोडा-घोड़े , स्त्री-स्त्रियाँ आदि
वचन मुख्यत: दो प्रकार का होता है:-
i) एक वचन
ii) बहुवचन
i) एक वचन:- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसके एक होने का बोध होता है उसे एक वचन कहते है|
जैसे:- लड़का , घर , गदहा , पहिया , कपड़ा आदि
ii) बहुवचन:- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसके एक से अधिक होने का बोध हो उसे बहुवचन कहते है|
जैसे;- घोड़े , बच्चे , लडकिया , नदियाँ आदि
3. अव्यय किसे कहते है सोदाहरण लिखे ?
Ans- अव्यय ऐसे शब्द को कहते है जिसके रूप में लिंग , वचन , पुरुष , कारक, आदि के कारण कोई विकार नहीं उत्पन्न नहीं होता है
जैसे:- अभी जब –तब ,उधर – इधर , वहाँ –यहाँ , किन्तु-परन्तु आदि
4. संज्ञा और सर्वनाम में अंतर स्पष्ट करे ?
Ans- संज्ञा और सर्वनाम में निम्नलिखित अंतर है , जो इस प्रकार से है :-
संज्ञा:- i. किसी वस्तु , व्यक्ति स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते है | जैसे;- सीता, पटना आदि |
ii. संज्ञा के पांच भेद होते है|
iii. संज्ञा के रूप लिंग वचन और कारक चिन्हों के अनुसार बदल जाते है|
सर्वनाम:- i. जो संज्ञा के बदले में आता है, उसे सर्वनाम कहते है| जैसे:- मै , तुम , आप , वह आदि
ii. जबकि सर्वनाम के छ: भेद होते है |
iii. जबकि सर्वनाम का रूपान्तर पुरुष , वचन और कारक की दृष्टि से होता है इनमे लिंग भेद के कारक रूपान्तर नहीं होता है
5. उत्पति की दृष्टि से शब्द के भे बताइए ?
Ans- उत्पति की दृष्टि से शब्द के चार भेद होते है जो इस प्रकार से है :-
i) तत्सम
ii) तद्भव
iii) देशज
iv) विदेशज
i) तत्सम:- जो शब्द हिंदी में संस्कृत से जेव का तेव ले लिए जाते है , वे तत्सम कहलाते है|
जैसे:- इंद्र , धनुष , तपस्या आदि
ii) तद्भव:- जिन शब्दों का रूप संस्कृत से हिंदी में आने पर बदल जाता है आथवा तत्सम के बिगड़े रूप को तद्भव कहते है
जैसे:- अगिन का अंग , कुब्ज का कुबड़ा कर्पुर का कपूर आदि |
iii) देशज :- देश की बोल चाल में पाये जाने वाले शब्द देशज कहलाता है |
जैसे:- डिबिया , लोटा , आदि
iv) विदेशज:- जिन शब्दों का जन्म विदेश में हुआ है उसे विदेशज कहते है |
जैसे:- बुक , हौस्पितल आदि
6. शब्द किसे कहते है ?
Ans- वर्णों या ध्वनियो के सार्थक मेल को शब्द कहते है |
जैसे:- गाय , घर , रोटी , जंगल आदि
7. बनावट या रचना कि दृष्टि से शब्द के कितने भेद होते है ?
Ans- बनावट या रचना की दृष्टि से शब्द के तीन भेद होते है जो इस प्रकार से है:-
i) रूढ़
ii) यौगिक
iii) योगरूढ़
i) रूढ़ :- जिन शब्दों के खंड किए जाने पर कोई अर्थ न निकले उन्हें रूढ़ कहते है |
जैसे:- नाक शब्द का खंड होने पर ना और क का कोई अर्थ नहीं है |
ii) यौगिक;- ऐसे शब्द जो दुसरे शब्दों के मेल से बने है और जिनके सभी खंड सार्थक होते है उन्हें यौगिक कहते है
जैसे:- विधालय , हिमालय , घुड़सवार आदि
iii) योगरूढ़ :- ऐसे यौगिक शब्द जो साधारण अर्थ को छोड़ विशेष अर्थ ग्रहण करे यौगिक कहलाते है |
जैसे:- पंकज (कमल), लम्बोदर (गणेश), चक्रपाणी (विष्णु), नीलकंठ(शिव) आदि |
8. कारक किसे कहते है , कारक के भेदों को परिभाषित करे तथा विभक्ति चिन्ह के साथ लिखे ?
Ans- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप के दवारा उसका सम्बन्ध वाक्य के दुसरे शब्दों के साथ जाना जाता है उसे कारक कहते है |
कारक के मुख्यतः आठ भेद होते है जो इस प्रकार से है :-
i) कर्ता कारक – ने
ii) कर्म कारक – को
iii) करण कारक – से
iv) सम्प्रदान कारक – के लिए को
v) अपादान कारक – से जुदाई के अर्थ में
vi) संबंध कारक – का , के , की
vii) अधिकरण कारक – में , पै , पर
viii) सम्बोधन कारक – हे , अरे , ओह, आह
i) कर्ता कारक:- जिस संज्ञा के द्वारा क्रिया सम्पादित हो उसे कर्ता कारक कहते है |
जैसे:- लड़का पढ़ता है |
ii) कर्म कारक:- जिस संज्ञा या सर्वनाम पर क्रिया के व्यापार का फल पड़ता है , उसे कर्म कारक कहते है|
जैसे:- वह सूर्य को देखता है , मिहन किताब को पढता है , इसमें सूर्य और किताब कर्म कारक है |
iii) करण कारक:- क्रिया के साधन को बताने वाला शब्द करण कारक होता है |
जैसे:- मै कलम से किताब लिखता हूँ, रमेश कान से सुनता है |
iv) सम्प्रदान कारक:- जिनके लिए कुछ क्रिया की जाए या जिसको कुछ दिया गाए पर वापस लेने की भावना नहीं रहे , उसे सम्प्रदान कारक कहते है |
जैसे:- रमेश गरीब को वस्त्र देता है , राम मोहन के लिए किताब लाता है , ऊपर के वाक्यों में गरीब को और मोहन के लिए सम्प्रदान कारक में है |
v) अपादान कारक:- जिस संज्ञा या सर्वनाम से क्रिया ह्टे या निकले या अलग हो उसे अपादान कारक कहते है |
जैसे:- पेड़ से पते गिरते है , लड़के स्कुल से घर जाते है , ऊपर के वाक्यों में पेड़ से और स्कुल से अपादान कारक है
vi) संबंध कारक:- संबंध कारक वाही होता है जंहा कोई नाता या संबंध व्यक्त हो |
जैसे:- मोहन का भाई , सीता का खेत , यहाँ मोहन , सीता संबंध कारक में है वे वक्र से भाई और खेत से संबंध बताते है |
vii) अधिकरण कारक:- जो क्रिया का आधार होता है उसे अधिकरण कारक कहते है |
जैसे:- वह चटाई पर बैठा है , दूध में मक्खन है , ऊपर के वाक्यों में चटाई और दूध अधिकरण कारक में है
viii) सम्बोधन कारक:- सम्बोधन का अर्थ पुकारना या चेतना होता है , संज्ञा के जिस रूप से पुकारना या सम्बोधित करना सूचित हो उसे सम्बोधन कहते है |
जैसे:- हे भगवान मेरी रक्षा करो |
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