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Bihar Board Class 10th Science नियंत्रण एवं समन्वय
1. हमारे जैसे बहुकोशकिए जीवो में आक्सीजन की आवश्यकता की पूर्ति करने में विसरण क्यूँ आवश्यक है ?
उत्तर – सभी जीवो में जितने भी बहुकोश्कीय जीव है | जो वातावरण के सम्पर्क में नहीं रहते है | यदि विसरण द्वारा आँक्सीजन को शरीर के कोशिकाओं में भेजा जाए तो बहुत अधिक समय लग जायेगा जिसके कारण शरीर के अंदर की कोशिकाएं कार्य नहीं कर पाएगी | यही कारण है की बहुकोश्कीय जीवो में आँक्सीजन की पूर्ति करने में विसरण आवश्यक है |2. मनुष्य में पाए जाने वाले पाचन ग्रंथियों के नाम लिखे ?
उत्तर – मनुष्य में पाए जाने वाले पाचन ग्रंथियों के नाम निम्नलिखित है जो इस प्रकार से है –क. लार ग्रंथि
ख. यकृत ग्रंथि
ग. अग्नाशय ग्रंथि
3. मनुष्य में पाचन आहार नाल के किस भाग से शुरू होता है ?
उत्तर – मुख्य गृहा से |4. जठठर ग्रंथियाँ कहां पायी जाती है ?
उत्तर – अमाशय की भीती में |5. सिद्ध कीजिए की प्रकाश संश्लेषण के लिए क्लोरिफिल आवश्यक है ?
उत्तर – प्रकाश संश्लेष्ण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है | इसे दिखाने के लिए क्रोटोन या कोलियस का पत्ता लेंगे | पत्ते पर हरे रंग की पट्टी को रेखांकित करेंगे अब इसे एल्कोहल में डाल कर उबालेंगे ऐसा करने से क्लोरोफिल पट्टी से निकलकर एल्कोहल में मिल जाता है | जब पत्ता रंगहीन हो जाए तो उसे उबालना बंद कर देंगे | ठंडा होने पर पत्ती को जल से धोकर आयोडीन में मिलाते है | तो हम पाते है की पत्ती का हरा भाग नीला हो जाता है | लेकिन शेष भाग नील नहीं होता है | इसका कारण है की हरे भाग में क्लोरोफिल था जिससे मंड का निर्माण हुआ और शेष में नहीं | इससे यह साबित होता है की प्रकाश संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है |6. अमाशय क्या है ?
उत्तर – अमाशय एक चौड़ी थैली जैसी रचना है | जो उदार गुहा बायीं ओर से शुरू होकर अनुप्रस्था दिशा में फैली होती है | अमाशय के अग्र भाग को कौर्डीएक तथा पिछला भाग पाइलोरिक होता है |7. पौधो में परिवहन कैसे होता है ?
उत्तर – एक कोशकीय पौधो में पदार्थो का परिवहन विसरण द्वारा होता है | लेकिन जटिल बहु कोशकीय पौधो में पदार्थो के परिवहन के लिए एक विशेष परिवहन तंत्र होता है | इस तन्त्र में पदार्थो का परिवहन लम्बी – लम्बी नलिकाओं के सहारे होता है | ये नालिकाएं दो प्रकार की होती है |क. जाइलम :- जाइलम पौधे का संवहन उतक है | यह उतक जड़ से प्राम्भ होकर ताने , शाखा एवं पतियों तक फैले होते है | ये जल एवं जल में घुली खनिज पदार्थो को जड़ से सिरा तक पहुंचाने का कार्य करती है |
ख. फ्लोएम :- यह भी जाइलम के साथ – साथ पौधो के प्रत्येक हिस्से में फैला होता है | अक्सर यह पौधे के पत्तियों में बनने वाले पोषक पदार्थो को पौधे की प्रत्येक हिस्सा में पहुंचाता है | लेकिन सिर्फ ऊपर से निचे की ओर परिवहन नहीं होता है | यह जद एवं भूमिगत तलो में उपस्थित पदार्थो को भी ऊपर की ओर ले जाते है |
8. जाइलम और फ्लोरम में अंतर स्पष्ट करे ?
उत्तर – जाइलम तथा फ्लोरम में निम्नलिखित अंतर है जो इस प्रकार से है –क. जाइलम :- 1. जाइलम की कोशिकाए मृत होती है | 2. जाइलम जल एवं खनिज लवन को पत्तियों तक पहुंचाता है | 3. जैल्म में जल एवं खनिज लवण का परिवहन ऊपर की ओर होता है |
ख. फ्लोरम :- 1. जबकि फ्लोरम की कोशिकाए जीवित होती है | 2. जबकि फ्लोरम पत्तियों द्वारा बनाए गए भोजन को पौधे के विभिन्न भागो तक पहुंचाता है | 3. जबकि फ्लोरम में खाध पदार्थो का परिवहन दोनों से होता है |
9. श्वसन कितने प्रकार के होते है ?
उत्तर – श्वसन दो प्रकार के होते है जो इस प्रकार से है –क. कोशिका श्वसन या आतंरिक श्वसन :- कोशिका के अंदर ग्लूकोस के आक्सीकरण की रासायनिक अभिक्रिया को हम कोशिका श्वसन कहते है |
ख. बाह्रय श्वसन :- वैसे जंतु या पौधा जिसमे आक्सी श्वसन होती है | यानी साँस लेने और छोड़ने की क्रिया होती है | वैसे श्वसन को बाह्रय श्वसन कहते है |
कोशिका श्वसन मुख्यत: दो प्रकार के होते है जो इस प्रकार से है –
क. आक्सी श्वसन या वायवीय श्वसन :- श्वसन की वह प्रक्रिया जिसके लिए आक्सीजन की आवश्यकता होती है | उसे हम आक्सी श्वसन कहते है |
ख. अनाक्सी श्वसन या अवायवीय श्वसन :- कभी – कभी आक्सीजन के अभाव में भी श्वसन की क्रिया होती है | यानी ग्लूकोस के आक्सीकरण में आक्सीजन खर्च नहीं हो तो वैसी श्वसन को अनाक्सी श्वसन या अवायवीय श्वसन कहते है |
10. आक्सी श्वसन और अनाक्सी श्वसन में अंतर स्पष्ट करे ?
उत्तर – आक्सी श्वसन और अनाक्सी श्वसन में निम्नलिखित अंतर है जो इस प्रकार से है –क. आक्सी श्वसन :- 1. वायवीय श्वसन आक्सीजन की उपस्थिति में होता है | 2. वायवीय श्वसन क्रिया में खाध पदार्थो का पूर्ण विखंडन होता है | 3. यह क्रिया सभी जिवाधारियो में पाई जाती है |
ख. अनाक्सी श्वसन :- 1. जबकि अवायवीय श्वसन आक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है | 2. जबकि अवायवीय श्वसन की क्रिया में खाध पदार्थो का आंशिक विखंडन होता है | 3. जबकि यह क्रिया बहुत ही कम जिव धारियों में पाई जाती है |
11. मानव श्वसन तंत्र के क्रियाविधि को लिखे ?
उत्तर – मानव श्वसन तंत्र की क्रियाविधि निम्नलिखित चरणों में होती है जो इस प्रकार से है –क. अन्तः श्वसन या निःश्वसन :- वायुमंडल से वायु को फेफड़े में प्रवेश करने की क्रिया को अन्तः श्वसन या निः श्वसन कहते है | निः श्वसन में साइन की पसलियाँ फैलती है | और पेट की मांस पेशियाँ सिकुड़ती है | तथा वच्छ गुहा का आकार बढ़ जाता है | तथा फेफड़े में जाकर भर जाती है |
ख. बाह्रय श्वसन :- फेफड़े की अन्दर की हवा को बाहर जाना बाह्रय श्वसन कहलाता है | बाह्रय श्वसन में साइन की पसलियाँ सिकुड़ती है | तथा पेट की मांस पेशियों में फैलती है | उस समय फेफड़ा प्च्काने लगता है | तथा नाक से हवा बाहर निकलने लगती है |
ग. गैस विनियम :- फेफड़े में स्थित कुपिकाओ में भरी हुई वायु तथा कुपिकाओ के सिराओ के बिच आक्सीजन तथा कार्बन डाई आक्साइड के लेन ददेन को गैस विनियम कहते है |
12. रक्त या रुधिर किसे कहते है ?
उत्तर – रक्त लाल रंग का गढा क्षारीय पदार्थ है | यह हृदय तथा रक्त वाहिनियो में बहता है | यह बहने के दौरान शरीर के सभी उतकों को जोड़ने का कार्य करता है | अतः इसे तरल संयोजी उत्क कहा जाता है | एक समान्य व्यक्ति के शरीर में लगभग 5 – 6 लीटर रक्त होता है | रक्त के PH का मान 7.4 होता है |13.मूत्र की अवयवो की प्रतिशत कितनी होती है ?
उत्तर – मूत्र में 96% जल तथा 4 % ठोस होता है | इस ठोस में 2 % यूरिया तथा 2 % अन्य पदार्थ होता है |14.दीर्ध रोम या क्षुद्रांश क्या है ?
उत्तर – छोटी आत की आंतरिक भित्ति अंगुली के आकार का आधार है | जिसको दीर्ध रोम या क्षुद्रांश कहते है |15. मनुष्य के शरीर में छोटी आत लम्बाई कितनी होती है ?
उत्तर – मनुष्य के शरीर में छोटी आत की लम्बाई 6 मीटर चौड़ाई 2.5 सेमी. होता है |16. रक्त कणिकाएं कितने प्रकार की होती है ? और कौन – कौन
उत्तर – रक्त कणिकाएं तीन प्रकार की होती है जो इस प्रकार से है –क. लाल रक्त कोशिका :- लाल कण में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन पाया जाता है | जिसको हिमोग्लोबिन कहते है | हिमोग्लोबिन के कारण ही रक्त का रंग लाल होता है | हिमोग्लोबिन कार्बन डाई आक्साइड और आक्सीजन को बारी – बारी से परिवहन करता है | हिमोग्लोबिन के कमी से एनेमिया नामक रोग होता है | रक्त में लाल रंग कोशिकाओं की संख्या 5 X 106 प्रति MM3 होता है | मर्द के शरीर के R.B.C की संख्या 5 से 5.5 million \ mm3 होता है | जबकि औरत में 4.5 से 5.5 million \ mm3 होता है | वाही बच्चो में 6 से 7 million \ mm3 होता है |
ख. श्वेत रक्त कोशिका :- लाल रक्त के अपेक्षा ये छोटे आकर के होते है | इसमें केन्द्रक पायी जाती है | इसमें हिमोग्लोबिन जैसा कोई वर्णक नहीं होता है | इसलिए ये रंगहीन होते है | तथा शरीर में बिमारी पैदा करने वाले रोगाणुओ से लड़ने का कार्य करते है | इसका निर्माण हड्डी के मज्जा लसिका द्वारा होता है |
ग. प्लेटलेट्स या रक्त पटीकाणु :- यह चोट लगने या कट जाने पर रक्त को थका बनाने में मदद करते है | मानव शरीर में इसकी संख्या 300000 /mm3 होता है | इसका आकार R.B.C तथा W.B.C से छोटा होता है |
17.मानव का उत्सर्जन तंत्र किसे कहते है ?
उत्तर – मानव के शरीर में पाचन क्रिया के समय उत्सर्जित पदार्थो का विभिन्न अंगो जैसे – नाक , कान आँख त्वचा मलद्वार , फेफड़ा एवं गुर्दा होता है | परन्तु गुर्दा द्वारा उत्सर्जित की क्रिया जटिल एवं महत्वपूर्ण होती है | इन्ही सभी अंगो को मानव का उत्सर्जन तंत्र कहते है |18. अपहण क्या है ?
उत्तर – वह प्रक्रिया जिसके द्वारा रक्त में उपस्थित पदार्थो के छोटे अनु छान लिए जाते है | परन्तु प्रोटीन जैसे बड़े अनु नहीं छान पाते है | उन्हें हम अपहण कहते है |19. मानव के शरीर में पाचन क्रिया का वर्णन करे ?
उत्तर – मनुष्य के शरीर में भोजन करने के लिए एक विशेष अंग करने के लिए एक विशेष अंग होता है | जिसको आहार नाल कहते है | आहार नाल मुख गुहा से लेकर माल द्वार तक फैली होती है | जिसकी लम्बाई 8 से 10M तक होती है | आहारनाल भोजन को ग्रसिका से अमाशय में पहुंचाती है | अमाशय में तीन प्रकार के रस निकलते है | जिसमे कर्बोहाईट्रेट प्रोटीन तथा जठर रस ग्रंथि भी पायी जाती है | पित्ताशय से पित्तरस निकलते है | जो भोजन को पचाते है | साथ ही साथ उस भोजन को सड़ने से भी बचाते है |अमाशय में जब भोजन क्षुद्रांश में प्रवेश करता है | तो छोटी आत में भोजन के पचाने की क्रिया पूर्ण होती है | जो शरीर के विभिन्न भागो में पहुंचाती है | जो भोजन बाकी रह जाता है | वह भोजन बड़ी आत में प्रवेश करती है | और वहां पर बेकार जल का अब्शोषण होता है | जिसके कारण अनपचा भोजन मल के रूप में त्याग दिए जाते है |
20. अमीबा का भोजन क्या है ? और अमीबा में
पोषण का वर्णन करे ?
उत्तर – अमीबा का भोजन शौवाल बैक्ट्रिया डायटम तथा छोटे – छोटे एक कोशिकाए जिव एवं
मृत्यु कार्बनिक पदार्थ है | अमीबा को भोजन करने के लिए मुख जैसा कोई निश्चित नहीं
होता है | बल्कि यह शरीर के किसी भी सतह को फैलाकर भोजन प्राप्त कर सकता है | भोजन
अमीबा के जब बिलकुल नजदीक होता है | तो अमीबा भोजन के चारो ओर कुट्पाद का निर्माण
कर लेता है | धीरे – धीरे उनके सिरे तथा पाशर्व आपस में जुट जाते है | इस तरह एक
भोजन का पाचन भोजन के र्स्धानी में ही एंजाइम के द्वारा होती है | उसके बाद पचा
हुआ भोजन र्स्धानी से निकलकर कोशिका द्रव्य में चला जाता है | जहां से वह पुरे
शरीर में विभाजित हो जाता है | अमीबा में बिना पचे भोजन को बाहर निकालने के लिए
कोई निश्चित स्थान नहीं होता है | ये शरीर के किसी भी सतह या भाग में एक अस्थायी
छिद्र का निर्माण करते है | जिसके द्वारा अनपच भोजन शरीर से बाहर निकल जाता है |21.पादपो में भोजन का वाहन कैसे होता है ?
उत्तर – चूँकि पत्तियों में भोजन तैयार होता है | इसलिए भोजन का वाहन पत्तियों से शुरू होकर फ्लोरम द्वारा पुरे पौधे के शरीर में चला जाता है | फ्लोरम वाहिनी की चालनी नालिकाएं में चालनी पर्टर से होकर भोजन का प्रवाह उंच सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर चला जाता है |22. रक्त चाप मापने वाले यंत्र को क्या कहते है ?
उत्तर – सिफ्ग्मोमैनोमिटर23.मनुष्य में मूत्र का उत्सर्जन कैसे होता है ?
उत्तर – मानव के उत्सर्जन तंत्र में एक जोड़ा किडनी एक युरैटा एक यूरैटी ब्लारडर तथा युर्र्था होता है | किडनी में मूत्र बननए के बाद युरेरथा से होता हुआ युरेटी ब्लारडर में आ जाता है | और वह तब तक रुका रहता है | जब तक की वह युरेथर से निकल न जाए इसी प्रकार मूत्र का उत्सर्जन होता है |24.मछली तथा जन्तुओ के श्वसन अंग के नाम बतावे ?
उत्तर – मछली का श्वसन अंग गिल्स है | जबकि जन्तुओ में मुख्यतः तीन प्रकार के श्वसन अंग होता है जो इस प्रकार से है –क. श्वास नली
ख. फेफड़ा नली
ग. गिल्स
25. विसरण किसे कहते है ?
उत्तर – दो विभिन्न पदार्थो के कण जब अपने आप आपस में मिल जाते है | मिलजुल जाने की इसी क्रिया को हम विसरण कहते है |26. रक्त के क्या कार्य होते है ?
उत्तर – रक्त के निम्नलिखित कार्य होते है जो इस प्रकार से है –क. यह शरीर में फिफ्दा से आक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागो में पहुंचाता है | इसी आक्सीजन से श्वसन होती है | और ऊर्जा उत्पन्न होती है |
ख. यह पचे हुए शरीर के अनु को शरीर के विभिन्न अंगो तक पहुंचाता है |
ग. यह संक्रमन रोगों से शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है |
घ. शरीर में बने बेकार पदार्थो को रक्त से होकर गणत्श्य स्थान तक पहुंचाता है |
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