Bihar Board Class 12th Geography Subjective Notes | Bseb Class 12th Geography मानव विकास

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Bseb Class 12th Geography Chapter 4 मानव विकास Subjective

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1.     मुक्त व्यापार क्या है ?

उत्तर – मुक्त व्यापार के तहत एक देश दुसरे देशो के साथ मुक्त में व्यापार करते है | इस तरह के व्यापार करने से हमें कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है | जैसे saarc संगठन में जितने देश है | सबके सब मुक्त व्यापार करते है |

2.     ग्रामीण अधिवासो के किन्ही चार प्रतिरूपों का वर्णन करे ?

उत्तर – ग्रामीण अधिवासो के चार प्रतिरूप निम्नलिखित है जो इस प्रकार से है –
क.  सघन आबादी
ख.  विरल आबादी

3.     ऊर्जा के अपरम्परागत स्रोत का वर्णन करे ?

उत्तर – ऊर्जा के अपरम्परागत स्रोत निम्नलिखित है – 

क.   सौर ऊर्जा :- फोटोवोल्टेक सेलो में विकसित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में प्रिवार्तिती किया जा सकता है | जिसे सौर उर्जा  के  नाम  से जाना जाता है |

ख.  पवन उर्जा :- पवन ऊर्जा का अस्माप्न स्रोत है | प्रवाहित स्रोत से उर्जा को परिवर्तित करने की अभियन्त्रिकी बिलकुल सरल है |पवन की गतिज ऊर्जा को टर्बाइन के माध्यम से विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है |

ग.    ज्वारीय एवं तरंग उर्जा :- महासागरीय धाराएँ ऊर्जा का अपरिमित भंडार संग्रह है सत्रहवी  एवं अठारवी शताब्दी के आरम्भ से ही अविरल ज्वारीय तरंगो और महासागरीय धाराओं से अधिक ऊर्जा तंत्र बनाने के निरंतर प्रयास जारी है | भारत के पश्चिमी तट पर वृहत ज्वारीय तरंगे उत्पन्न होती है |

घ.    जैव उर्जा :- जैव ऊर्जा उस ऊर्जा को कहा जाता है जिसे जैविक उत्पादों से प्राप्त किया जाता है | जिसमे कृषि अवशोष नगर पालिका औधोगिक तथा अन्य अपशिष्ट शामिल होते है | जैव ऊर्जा , ऊर्जा परिवर्तन का एक संग्रह स्रोत है | उसे विधुत ऊर्जा , टाप ऊर्जा तथा खाना पकाने के लिए गैस में परिवर्तित किया जा सकता है |

ङ.   भूतापीय उर्जा :- जब पृथ्वी के गर्मी से मैग्मा निकलता है तो अत्यधिक उष्मा निर्मुक्त होती है | उस टाप को सफलता पूर्वक काम में लाया जा सकता है |

4.     भारत में सुचना प्रौधोगिक उधोग की व्याख्या कीजिए ?

उत्तर – आरम्भ में संचार के साधन ही परिवहन के साधन होते थे | डाकघर , तार , प्रिंटर प्रेस , दूरभाष तथा उपग्रहों की खोज नए संचार को बहुत त्वरित एवं आसान बना दिया | विज्ञान और प्रौधोगिक के क्षेत्र में कर्न्ति लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है | माप दंड एवं गुणवता के आधार पर संचार साधनों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है जो इस प्रकार से है –
क.   सार्वजनिक , रेडियो , टेलीविजन , सिनेमा , उपग्रह सामान पत्र पत्रिकाएँ , जन सभाएं आदि |
ख.  व्यक्तिगत , पत्रादि , दूरभाष , तार फैक्स , ई-मेल , इंटरनेट आदि |  

उपरोक्त सभी व्यक्तिगत संचार तंत्रों में इन्टरनेट सार्वधिक प्रभावी एवं आधुनिक है | नगरीय क्षेत्रो में व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जाता है | यह उपयोग कर्ता को ई-मेल के माध्याम से ज्ञान एवं सुचना की दुनिया में सीधे पहुचने में सहायक होता है | यह ई – कामर्स तथा मैद्रिक लेन – देन के लिए अधिकाधिक प्रयोग में लाया जा रहा है | जनसंचार तंत्र में रेडियो एवं टेलीविजन का विशेष प्रचलन है | भारत में रेडियो का प्रसारण 1925 में किया गया था  1936 में उसे all इंडिया रेडियो और 1957 में आकाश वाणी में बदल दिया गया all इंडिया रेडियो सुचना , शिक्षा एवं मनोरंजन से जुड़े विभिन्न प्रकार के कार्यकर्मो को प्रसारित करता है |सुचना के प्रसार और आम लोगो को शिक्षित करने में टेलीविजन के रूप में उभरा है | उसकी शुरुआत 1959 में की गई थी | 1976 में टी. वी. को all इंडिया रेडियो से अलग कर दिया गया उसे दूरदर्शन डी.डी.के रूप में अलग पहचान दी गई | उपग्रह संचार की स्वयं में एक विधा है | और ये संचार के अन्य साधनों का भी नियमन करते है |

5.     सतत विकास की अवधारणा को लिखे ?

उत्तर – साधारण तथा विकास शब्द से अभिप्राय समाज विशेष की स्थिति और उसके द्वारा अनुभव किए गए परिवर्तन की प्रक्रिया से होता है | मानव इतिहास के लम्बे अंतराल में समाज और उसके जैव – भौतिक पर्यावरण की निरंतर अंतर क्रियाएं समाज की स्थिति का निर्धारण करती है | विकास की संकल्पना गतिक है और इस संकल्पना का प्रादुभार्व 20 वी. शताब्दी के उतरार्द्ध वृद्धि की पर्याय  थी जिसे सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्रति व्यक्ति आय और प्रति व्यक्ति उपभोग में समय के साथ बढ़ोतरी के रूप में मापा जाता था | 1960 के दशक के अंत में पश्चिमी दुनिया में पर्यावरण सम्बन्धी मूल मुद्दों पर बढती जागरूकता पोषणीय धारणा का विकास सतत पोषणीय धारणा का विकास हुआ | इससे पर्यावरण पर औधोगिक विकास के अनुपेक्षित प्रभावों के विषयों में लोगो की चिंता प्रकट होती थी | 1968 में प्रकाशित एहरालिव की पुस्तक द पापुलेशन बम और 1972 में मोकोस और अन्य द्वारा लिखी गई पुस्तक द लिमिट टू ग्रोथ के प्रकाशन नए इस विषय पर लोगो और विशेषकर पर्यावरण विदो की चिंता और भी घरी कर दी | उस घटना के परिपेक्ष्य में विकास के एक नए मॉडल जिसे सतत पोषणीय विकास कहा जाता है की शुरुआत हुई |

6.     चतुर्थक क्रियाओं का वर्णन करे ?

उत्तर – आर्थिक वृद्धि के आधार के रूप में तृतीयक सेक्टर के साथ चतुर्थ सेक्टर में सभी प्राथमिक व द्रितियक से रोजगारो को प्रतिस्थापित कर दिया है | विकशित अर्थव्यवस्थाओ में आधे से अधिक कर्मी ज्ञान के इस क्षेत्र में कार्यरत है | तथा पारस्परिक कोष प्रबंधको से लेकर परामर्शदाताओ सॉफ्टवेयर सेवाओं की मांग में अति उच्च वृद्धि हुई है | कार्यालय भवनों , अस्पतालों , व डॉक्टरो के कार्यालय , रंगमंच , लेखाकारी और दल्ली की फर्मो में काम करने वाले कर्मचारी इस वर्ग की सेवाओं से सम्बन्ध रखते है | कुछ तृतीयक क्रियाओं की भांति चतुर्थ क्रियाकलापों को भी बाह्रय स्रोत के माध्याम से किया जा सकता है | ये सेवाएँ संसाधनो से बंधी हुई पर्यावरण से प्रभावित तथा अनिवार्य रूप से बाजार द्वारा स्थानीकृत नहीं है |

7.     पाइप लाइन परिवहन की उपयोगिता को बतावे ?

उत्तर – पाइप लाइन गैसों एवं तरल पदार्थो के लम्बी दुरी तक परिवहन हेतु अत्यधिक सुविधा जनक  एवं सक्षम परिवहन प्रणाली है | यहाँ तक की इनके द्वारा ठोस पदार्थो को भी घोल में बदलकर परिवर्तित किया जा सकता है | पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के प्रशासन के अधिन स्थापित ऑयल इंडिया लिमिटेड कच्चे तेल एवं प्राकृतिक गैस के अन्वेषण उत्पादन और परिवहन में संगलन है | इसे 1959 में एक कंपनी के रूप में निगमित किया गया था एशिया की पहली लम्बी देशपारीय पाईपलाइन असम के नहर कतिया तेल क्षेत्र से बरौनी के तेल शोधन कारखाने तक का निर्माण आई. ओ. एल नए किया था इसे 1966 में और आगे कानपुर तक विस्तारित किया गया | पश्चिम भारत में एक – दुसरे विस्तीर्ण पाइप लाइन का महत्वपूर्ण नेटवर्क – अंकलेश्वर , जगदीश पुर HVJ का निर्माण किया गया | हाल ही में 1256 की. मी. लम्बी एक पाइप लाइन चलाया गुजरात से मथुरा उत्तर प्रदेश तक बनाई गई | इसके साथ ओ. आई. एल. द्वारा नुमाली गढ़ से सिलीगुड़ी तक 660 की. मी. लम्बी पाइप लाइन बनाने की प्रक्रिया चल रही है |

8.     स्वर्णिम चतुर्भुज परम राजमार्ग पर एक नोट्स लिखे ?

उत्तर – स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना दिल्ली , कोलकता , मुंबई , एवं चेन्नई को क्लेन वाले दुर्तगामी सडक मार्ग से जिदने के लिए 2 जनवरी 1999 को भरतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्रधिकरण द्वारा आरम्भ की गई इस योजना में स्वर्णिम चतुर्भुज जो दिल्ली , मुंबई , चेनई और कोलकता चार महानगरो को जोड़ने वाले 5,846 की. मी. और उत्तर दक्षिण तथा पूरब पश्चिम गलियारो 7300 की. मी. जो क्रमशः थी श्री नगर से कन्याकुमारी तथा सिल्वर से पोरबन्दर को जोड़ते है | 4/6 लेन वाली सदके शामिल है | स्वर्णिम चतुर्भुज जो 5846 की. मी. लम्बा है इसके 5319 की. मी. को 4 लेन वाला किया जा चुका है | 7300 की. मी. लम्बे गलियारों के 822 की. मी. मार्ग पर 4 लेन में बदलने का कार्य पूरा हो चुका है | और 4892 की. मी. लम्बाई के मार्ग पर कार्य चल रहा है |

9.     भारतीय अर्थव्यवस्था में रेलमार्ग का महत्व को बतावे ?

उत्तर – भारतीय रेलमार्ग का कुल लम्बाई के आधार पर एशिया में प्रथम स्थान है | इन रेलमार्गों का भरतीय अर्थव्यवस्था में विशेष योगदान है | भारतीय रेल नए कृषि और उधोगो के विकास के गति को बढाने में प्रमुख योगदान दिया है | रेलमार्गों के द्वारा यात्रियों की भारी संख्या को दूर – दराज के स्थानों तक लाने ले जाने तथा भारी समानो को पहुचने का कार्य भी करता है | औधोगिक और कृषि क्षेत्रो के विकास में रेलमार्गों की मांग में अधिक वृद्धि हुई है | रेलमार्गों द्वारा कोयले की सबसे अधिक ढुलाई होती है | सन 2001 – 2002 में रेलमार्गों द्वारा 230 करोड़ टन कोयला ढोया गया था रेलमार्गों द्वारा ही लौह अयस्क , मैगनीज चुना पत्थर आदि की ढुलाई औधोगिक इकाइयों तक की जाती है | विदेशो में आयातित माल को देश के आंतरिक मार्गो तक पहुचने का कार्य भी रेलमार्गों द्वारा किया जाता है | रेलमार्गों द्वारा की श्रमिक एक स्थान से दुसरे स्थान पर रोजगार के लिए जाते है | इस प्रकार हम कह सकते है की भारतीय अर्थव्यवस्था में रेलमार्गों का वाही महत्व है | जो मानव शरीर में रुधिर वाहित धमनियों का है | रेलमार्गों के आभाव में भारतीय अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी अतः देशो की अर्थव्यवस्था को बढाने के लिए दूरस्थ से दूरस्थ स्थानों तक फैलाना होगा |

10.   भारत में भूमिगत जल संसाधन का वर्णन करे ?

उत्तर – वर्षा के जल का कुछ भाग भूमि द्वारा अवशोषण कर लिया जाता है | और यह जल पृथ्वी की बित्री सतहों में एकत्रित हो जाता है | इस जल को भूमिगत जल कहते है | भारत में भूमिगत जल क्षमता लगभग 434 अरब घनमीटर है | भारत के उतरी मैदान में भौम जल के विकास की सम्भावनाएं अधिक है | उत्तर प्रदेश में ही भूमिगत जल की क्षमता 19% है | देश के फिल भूमिगत जल भंडार का लगभग 42% भाग भारत के विशाल मैदानों में उपलब्ध है | प्राय द्रिपीय भारत में भूमिगत जल की मात्रा कम पाई जाती है | क्योकि प्राय दिपिय भारत चट्टानों का प्रदेश है तथा वर्षा का जल चटानो द्वारा अवशोषित नहो हो पाता है | भूमिगत जल का उपयोग कृषि और घरेलू कार्य में होता है | देश में वर्षा से प्राप्त जल की कुल मात्रा का लगभग 22% भाग जाल भूमि द्वारा शोख लिया जाता है | इसका 60 % भाग मिटटी की उपरी साथ तक ही पहुंच पाता है | यह जल देश में कृषि सिंचाई के लिए भण्डारण का लगभग 42% भाग उत्तर भारत के विशाल मैदानो में कृषि क्षेत्र में प्रयुक्त होता है |

11.   गहन कृषि क्या है | इसके प्रभावों का वर्णन करे ?

उत्तर – यह कृषि प्रणाली उष्ण आर्द्र कटिबद्ध प्रेदेशो में अपनाई जाती है | यहाँ का किसान केवल उत्तना ही भूमि पर कृषि करता है | जितने से उसका तथा उसके परिवार का भरन – पोषण हो गाए | इसमें केवल खाधानो का ही उत्पादन किया जजाता है | जीवन निर्वाह कृषि अमेजन  बेसिन ,कार्न्गो बेसिन , दक्षिण पूर्वी एशिया में सुमात्रा बौर्नियो, न्यूगिनी ,न्युगेब्राइडोज , थाईलैंड , मलेशिया आदि में की जाती है इस कृषि के दो प्रकार है जो इस प्रकार से है –

क.   झुमिंग कृषि :- यदि कृषि लगातार एक ही स्थान पर नहीं की जाती है | इसमें किसान आपना आवास तथा कृषि क्षेत्र बदलता रहता है | किसी एक भूमि को साफ़ करने के बाद उसमे कई फसले उगाने के बाद जब वह उर्वर नहीं रहती है तब उसे छोड़ दिया जाता है उष्ण आर्द्र प्रदेशो में मिटटी कम उर्वर होती है | वहाँ वनों को जलाकर उस क्षेत्र पर झुमिंग कृषि की जाती है | यह कृषि इंडोनेशिया तथा मलेशिया में लदांग श्रीलंका में चेना तथा जैटे में मिल्पा कहलाती है | यह कृषि भारत के असम में पहाड़ी भाग नागालैंड मेघालय अरुणाचल प्रदेश छतीसगढ़ तथा राजस्थान के दक्षिणी पश्चिमी भाग में की जाती है | यहाँ पैदा की जाने वाली प्रमुख फसले मक्का , ज्वार , बाजड़ा, जिमीकंद तथा आलू आदि है |

ख.  स्थायी कृषि :- यह कृषि अधिकांशतः वहां होती है जहाँ भूमि की कमी होती है अतः भूमि का स्थानांतरित रूप में प्रयोग में नहीं लाया जाता है | इस कृषि का विकास झुमिंग कृषि प्रणाली से ही हुआ है

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