Bseb Class 12th Political Science Chapter 1 शीत युद्ध का दौर

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Bihar Board Class 12 Political Science Subjective Solutions Chapter 1,

प्रश्न 1. बहुदलीय व्यवस्था क्या है ?
उत्तर – ऐसी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था जिसमे दो से अधिक राजनितिक दल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है, | उसे बहुदलीय व्यवस्था कहा जाता है, | भारत में बहुदलीय व्यवस्था है |

प्रश्न 2. दल बदल से आप क्या समझते है ?
उत्तर – जब कोई निर्वाचित प्रतिनिधि अपने दल को छोड़ कर किसी दुसरे दल में शामिल होने के क्रिया को दल बदल कहा जाता है, | वर्तमान समय में दल बदल को रोकने के लिए दल बदल कानून बनाया गया है, | इसके तहत किसी भी निर्वाचित प्रतिनिधि के द्वारा दल बदलने पर उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है |

प्रश्न 3. राष्ट्रीय विकास परिषद् के क्या कार्य है ?
उत्तर –  राष्ट्रीय विकाश परिषद् पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम स्वीकृति प्रदान करता है, | इसकी स्थापना 6 अगस्त 1952 को हुई थी, | राष्ट्रीय विकाश परिषद् का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है, | और निति आयोग का उपाध्यक्ष ही राष्ट्रीय विकास परिषद का भी उपाध्यक्ष होता है, | निति आयोग के सभी सदस्य राष्ट्रीय विकाश परिषद के भी सदस्य होता है, | इसके अतिरिक्त सभी केन्द्रीय मंत्री राज्यों के मुख्य मंत्री और केंद्र शासित प्रदेशो के प्रशासक भी राष्ट्रीय विकाश परिषद के सदस्य होते है, | निति आयोग देश के लिए पंचवर्षीय योजना बनाता है, | और फिर उसे राष्ट्रीय विकाश परिषद को शौप देता है, | राष्ट्रीय विकाश परिषद में इस पंचवर्षीय योजना पर व्यापक विचार – विमर्श होता है, | और अंतिम स्वीकृति प्रदान की जाती है, | इसके बाद इसे पुरे देश में लागु कर दिया जाता है, | अतः राष्ट्रीय विकाश परिषद का मुख्य कार्य यह है, की जो निति आयोग पंचवर्षीय योजना बनाती है, | वह देश के विकाश के लिए कितना दक्ष है, | उसके बाद राष्ट्रीय विकाश परिषद देश में लागु करने के लिए अंतिम स्वीकृति देती है |

प्रश्न 4. हरित क्रांति क्या थी ? हरित क्रांति के दो सकारात्मक और दो नाकारात्मक परिणामो को उल्लेख करे |
उत्तर – उन्नत किस्म के बिज , उरबर्क , किटनाशक  और बेहतर सिंचाई सुविधा को अनुदानित मूल्य पर उपलब्ध कराकर सरकार नए कृषि उत्पादन में अभूत पूर्व वृद्धि लाने का प्रयास किया, जिसे हरित क्रांति कहा जाता है, | इसकी शुरुआत श्रीमति  इंदिरा गांधी  द्वारा 1966 – 67 में की थी |

हरित क्रांति के दो सकारात्मक परिणाम – 

क.  हरित क्रान्ति के परिणाम स्वकार खाधान्न विशेषकर गेंहू के उत्पादन में काफी वृद्धि  हुई, जिसे देश खाधान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गया |
ख.  हरित क्रान्ति के मध्यवर्गीय किसानो का एक नया वर्ग सामने आया, जिसने वैज्ञानिक कृषि के प्रति रूचि दिखाई

हरित क्रांति के दो नाकारात्मक परिणाम –

क.   हरित क्रांति से सिर्फ गेंहू के फसल को फायदा हुआ, धान एवं अन्य फसलो के इससे विशेष लाभ नहीं हुआ |
ख.  अत्यधिक सिंचाई के कारण जहां जल उपलब्धता में कमी आई, वही उर्वरको एवं कीटनाशको के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी की गुणवक्ता भी प्रभावित हुई |

प्रश्न 5. एक दलीय प्रभुत्व व्यवस्था क्या है ?
उत्तर – एक दलीय प्रभुत्व व्यवस्था से तात्पर्य उस व्यवस्था से है, | जहाँ राजनितिक दल प्रकिया में एक ही दल का प्रभुत्व होता है, | उसे एक दलीय प्रभुत्व कहा जाता है, | यदि किसी देश में केवल एक ही दल हो तथा उसी दल के सदस्य सरकार में शामिल हो तो, वहाँ  एक दलीय व्यवस्था कहा जाता है |

प्रश्न 6. श्वेत क्रान्ति क्या है ?
उत्तर – भारत को विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बनाने की उदेश्य से साल 1970 में ऑपरेशन फ्लड नाम से एक अभियान चलाया गया था, | जो की आगे चलकर श्वेत क्रांति के रूप में जाना जाता है, सन 1970 में राष्ट्रीय श्वेत विकाश बोर्ड द्वारा शुरू की गई, योजना नए भारत को विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश बनाने में मदद की |

प्रश्न 7. भारतीय राजनीति में कांग्रेस प्रभुत्व से आप क्या समझते है ?
उत्तर – भारतीय राजनीति में कांग्रेस प्रभुत्व का अर्थ है, कांग्रेस का भरतीय राजनीति में वर्चस्व स्थापित करना, | 1952  में भारत में प्रथम आम चुनाव हुए जिसमे कांग्रेस को बहुत बड़ी सफलता मिली, | उस समय केंद्र एवं सभी राज्यों में कांग्रेस दल की सरकारे काम कर रही थी, | इस सफलता के पीछे कारण था,  कांग्रेस की मिली राष्ट्रीय आन्दोलन की विरासत व पंडित जवाहर लाल नेहरु का चमत्कारी नेतृत्व, | इसके अलावा अन्य विरोधी दल भी इस समय भुत मजबूत स्थिति में नहीं उभर पाए थे, | जो गैर कांग्रेसी वोट होती थी, | वे कई विरोधी पाटियो में बट जाती थी, | जिससे कांग्रेस को लगातार सबसे अधिक सीटे मिल जाती थी, | इस प्रकार 1952  के प्रथम आम चुनाव से लेकर 1962  के तृतीय आम चुनाव तक कांग्रेस का चुनाव विजयी भारतीय राक्निती पर बराबर प्रभुत्व बना रहा |

प्रश्न 8. दो राष्ट्र का सिद्धांत क्या है ?
उत्तर – भारत में दो राष्ट्र का सिद्धांत मोहम्मद अली जिन्ना नए दिया, | जिसके अनुसार उनकी यह मान्यता थी, की भारत में हिन्दू व मुसलमान दो अलग – अलग लोह है, | दो अलग – अलग राष्ट्रीयता है,, | जिनमे अपने धार्मिक विश्वास है, | सामाजिक मूल्य है | राजनितिक आकांक्षाए है,, | अतः ये दोनों समुदाय एक जगह नहीं रह सकते है,, |
अतः भारत को दो राष्ट्रों में विभाजित अनिवार्य रूप से होना चाहिए,, |
दुसरे शब्द में :- शीत युद्ध के समय 1945 – 91 में दो अलग – अलग गुटों में विश्व विभक्त था ,| एक का नेतृत्व सोवियत संघ कर रहा था, तो दुसरे का अमेरिका कर रहा था इसे ही द्रिध्रुवियता कहा जाता है,, | वैसे राष्ट्र जो दोनों ध्रुवो से जुड़े थे,,  दृराष्ट्र सिद्धांत के पोषक थे, | दृराष्ट्र सिद्धांत दो मतो दो प्रभावो एवं दो ध्रुवो के मत को मानते थे |

प्रश्न 9. भारत में विविधता में एकता है | स्पष्ट करे ?
उत्तर – भारत एक विविधता पूर्ण देश है, | इसके विभिन्न भागो में भौगोलिक अवस्थाओं , निवासियों और उनकी संस्कृतियों में काफी अंतर है, | तमिलनाडू पंजाब और असम के निवासियों को एक साथ देखकर कोई उन्हें एक नस्ल एक संस्कृति तथा एक देश का अंग नहीं मान सकता है, | देश के निवासियों का अलग – अलग धर्म विविधता पूर्ण भोजन और वाटर उतना ही भिन्न है,, जितनी उनकी भाषाए या बोलिया | इतनी भिन्नता के बावजूद भी सम्पूर्ण भारत एक सूत्र में निबद्ध है,, | भारतीय संस्कृति अति प्राचीन है, और वह अपनी विशिष्टताओ सहित विकसित होती रही है,, | इसके कुछ विशेष लक्षण है, | जिन्होंने भारतीय एकता के सूत्र की जडो को और भी सुदृढ़ किया है |

प्रश्न 10. स्वतंत्रता के समय भारत के पास कौन – कौन सी चुनौतिया थी ?
उत्तर – स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश के समक्ष तीन मुख्य चुनौतियाँ थी जो निम्नलिखित है :-

क.   भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता हुआ था, | आजाद हिन्दुस्तान शुरूआती कुछ साल चुनौतियों से भरे थे,, | भारत में उस समय सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्रीय एकता और अखंडता की थी,, | देशी सियासतों का भरत संघ में शामिल करने का मामला तुरंत हल करना जरुरी था |

ख.  आजादी मिलने के साथ  –साथ देश का विभाजन भी हुआ था,, | इस बटवारे के कारण बड़े पैमाने पर देश में हिंसा हुई, | लोगो को पुनः बसना एक बड़ी चुनौती थी |

ग.    देश विभाजन विस्थापना आदि के कारण धर्म निरपेक्ष भारत की धारणा पर ही आंच आने लगी,, | सविंधान में देश का धर्म निरपेक्ष घोषित कर इस चुनौती को हल कर दिया गया |

घ. भारत लम्बे समय तक अंग्रजो का गुलाम रहा , इस लिए भारत का विकास नहीं हो सका,, | अतः स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात तेजी से भारत का आर्थिक विकास एक प्रमुख चुनौती थी,, | जिससे निपटने के लिए सरकार को नियोजन को अपनाया गया,, तथा अनेक प्रकार की योजना बनाई गई |

प्रश्न 11. एक धुविय्ता का क्या अर्थ है ? यह कब प्रारम्भ हुआ ?
उत्तर – जब अंतराष्ट्रीय व्यवस्था किसी एक महाशक्ति के दबदबे में हो तो ऐसी व्यवस्था को एक ध्रुवीय व्यवस्था कहा जाता है,, | अर्थात पुरे विश्व व्यवस्था में टाक का एक ही ध्रुव आथवा केंद्र हो, | 1945 – 1991 के बिच  शीत युद्ध के दौर में अमेरिका और सोवियत संघ दो प्रमुख सत्ता केंद्र थे,, | आगे चलकर यानी 1991 के बाद विश्व में एक ध्रुविय्ता व्यवस्था कायम हुई,, | जिसका संचालन अमेरिका कर रहा है |

प्रश्न 12. उन कारणों का वर्णन करे जिनके कारण 1975  में आपात काल की घोषणा हुई थी ?
उत्तर – निम्नलिखित कारणों से 1975 का आपात काल लागू किया गया,, | बँगला देश से लाखो शर्णार्थियो के आगमन पाकिस्तान से युद्ध और भयंकर सूखे एवं तेल संकट से निपटने के लिए सरकार भरसक कोशिश कर रही थी,, | तभी  विपक्षी डालो नए लोकतान्त्रिक संख्याओं को लागु करने के लिए आन्दोलन छेड़ दिया,, | सरकार का मानना था की बार – बार प्रदर्शन करना और सामूहिक कार्यवाही लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है,, |
दूसरी बा की इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री पद से इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्तीफा देने का आदेश दे दी, | लेकिन इंदिरा गाँधी प्रधान मंत्री पद से स्तीफा देना सही नहीं समझा, इस लिए वह स्तीफा नहीं दे रही थी, | ठीक उसी समय जय प्रकाश नारायण दिल्ली के रामलीला मैदान में अपनी रैली को सम्बोधित करते हुए,, कहा की इस देश के विध्राथियो , सैनिको और पुलिस वालो से मेरा अपील है,, की वे लोग इस दमनकारी , निरंकुश सरदार के आदेशो को ना माने क्यों की कोर्ट में इंदिरा गाँधी को प्रधान मंत्री पद से हटाने को बोल दिया है,, | बस इसी रैली के आधार पर इंदिरा गाँधी नए आपात काल लगाने का फैसला किया था |

प्रश्न 13.गैर कांग्रेस वाद से आप क्या समझते है ?
उत्तर – 1952 से लेकर 1962  तक के चुनावों में कांग्रेस को ही बार – बार सफलता मिलती रही,, जिससे चुनावी राजनीती पर कांग्रेस का ही प्रभुत्व रहा,, | गैर कांग्रेसी वोट विभिन्न राजनितिक दलों के उम्मीद वारो में बट जाती थी,, | जिससे कांग्रेस को ही अधिक सीटे  व अधिक वोट प्राप्त होती थी,, | 1967 के चुनाव में इस स्थिति को रोकने के लिए विरोधी दलों नए गठबंधन बनाए तथा कांग्रेस के खिलाफ अलग – अलग उम्मीदवार खड़े न करके एक संयुक्त उम्मीदवार को खड़ा किया,, | गैर कांग्रेसी विरोधी दलों नए एक प्रकार की भावना का नारा दिया की इस बार कांग्रेस को हराना है,, | इस भावना को गैर कांग्रेस वाद के नाम से जाना जाता है |

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